भारत में मासिक धर्म से जुड़ी वर्जनाओं के खिलाफ महिलाओं की लड़ाई और असल जिंदगी के पैडमैन अरुणाचलम मुरुगनाथम के काम पर बात करती इस फिल्म को 91वें अकादमी पुरस्कार समारोह में डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट सब्जेक्ट की श्रेणी में ऑस्कर मिला है.
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मोंगा ने एक बयान में कहा, लॉस एंजेलिस के ओकवुड स्कूल से लेकर उत्तर प्रदेश के काठीकेरा तक की युवा लड़कियों के प्रयासों को पुरस्कृत करने और सर्वोच्च सम्मान देने के लिए अकादमी का आपका धन्यवाद.
उन्होंने कहा, "पीरियड्स सामान्य हैं और ये हमें किसी भी तरह कुछ भी हासिल करने से नहीं रोकते. गौरी चौधरी द्वारा कई गांवों में प्रजनन संबंधी अधिकारों को शिक्षित करने के लिए चलाए गए एक्शन इंडिया के काम को 10 साल से अधिक हो चुके हैं. फेमिनिस्ट मेजोरिटी मूवमेंट और गर्ल्स लर्न इंटरनेशनल इस कार्य को अमेरिका में आगे बढ़ा रहा है."
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ईरानी-अमेरिकी फिल्मकार रेका जेहताबची द्वारा निर्देशित फिल्म का निर्माण लॉस एंजेलिस के ओकवुड स्कूल के विद्यार्थियों के एक समूह और उनकी शिक्षिका मेलिसा बर्टन द्वारा स्थापित द पैड प्रोजेक्ट द्वारा किया गया है.
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26 मिनट की फिल्म उत्तरी भारत के हापुड़ की लड़कियों और महिलाओं और उनके गांव में पैड मशीन की स्थापना के ईद-गिर्द घूमती है. इस पुरस्कार के लिए 'पीरियड : एंड ऑफ सेंटेंस' का मुकाबला 'ब्लैक शीप', 'एंड गेम', 'लाइफबोट' और 'ए नाइट एट द गार्डन' के साथ था.
मोंगा ने दुनिया भर की लड़कियों को संदेश देते हुए कहा, "भारत में या दुनिया भर में हर लड़की को यह जानने की जरूरत है. पीरियड एक वाक्य का अंत है लेकिन एक लड़की की शिक्षा का नहीं." उन्होंने कहा कि वह वास्तव में चाहती हैं कि हर लड़की को पता चले कि उनमें से हर एक देवी है. मोंगा ने कहा, "अब हमारे पास एक ऑस्कर है..चलो दुनिया को बदल दें."