भारत के पिकासो कहे जाने वाले एम एफ हुसैन की आज 9वीं पुण्यतिथि, जानें कैसा था व्यक्तित्व
आज मशहूर चित्रकार मकबूल फिदा हुसैन की 9वीं पुण्यतिथि है. हुसैन का निधन 96 साल की उम्र में 9 जून 2011 को लंदन में हुआ था. उन्हें साल 1955 में पद्म श्री और साल 1973 पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है.
नई दिल्लीः कलाकार को हमेशा से ही समाज के आइने के तौर पर देखा जाता रहा है. समाज के अच्छे से लेकर बूरे हर पहलू को एक कलाकार अपनी कला के माध्यम से सबके लाता है. अगर वह कलाकार एक चित्रकार हो तो अपने जीवंत चित्रों के माध्यम से जीवन में रंग घोल देता है. चित्रकार ही वह कलाकार है जो अपनी सोच को एक रूप दे सकने में सक्षम होता है.
आज हुसैन की 9वीं पुण्यतिथि
भारतीय समाज में एक ऐसे ही कलाकार ने अपना नाम अमर किया है, और वह मकबूल फिदा हुसैन, जिन्हें हम सब एम.एफ हुसैन के नाम से ज्यादा पहचानते हैं. आज एम.एफ. हुसैन की 9वीं पुण्यतिथि है. हुसैन का निधन 96 साल की उम्र में 9 जून 2011 को लंदन में हुआ था. उनका जन्म 17 सितंबर, 1915 को महाराष्ट्र के छोटे से कस्बे पंढारपुर में हुआ था.
पद्म सम्मान से सम्मानित
एम.एफ. हुसैन भारतीय कला की दुनिया में भले ही विवादों में घिरे रहे. लेकिन उन्हें साल 1955 में पद्म श्री और साल 1973 पद्म भूषण से सम्मानित किया जा चुका है. साल 2008 में विवादों में आने के बाद भी उन्हें केरल सरकार ने 'राजा रवि वर्मा' सम्मान से सम्मानित किया था. उन्हें बेस्ट एक्सपेरिमेंटल फिल्म बनाने के लिए साल 1967 में 'थ्रू द आईज ऑफ अ पेंटर' में नेशनल फिल्म अवॉर्ड और गोल्जन बेयर शॉर्ट फिल्म पुरस्कार से सम्मीनित किया गया था.
आधुनिक पेंटिंग्स से बनाई पहचान
हुसैन ने आधुनिक कला को प्रोत्साहित करने के लिए पुरानी परम्पराओं को तोड़ते हुए अपनी आधुनिक पेंटिंग्स से अपनी एक अलग पहचान बनाई. साल 1971 में उन्हें स्पेन के महान चित्रकार पाब्लो पिकासो के साथ साओ पाब्लो समारोह में आमंत्रित किया गया था. हुसैन की एक पेंटिंग क्रिस्टीज़ ऑक्शन में 20 लाख अमेरिकी डॉलर में बिकी थी.
एम.एफ. हुसैन ने 20वीं शताब्दी में अपनी आधुनिक पेंटिंग्स से एक अलग पहचान बनाई थी. जिसके कारण एम.एफ हुसैन को भारत का पिकासो कहा जाता है. जो की खुद में ही एक बड़ी उपलब्धि है. हुसैन भारतीय समाज में अपनी पेंटिंग्स को लेकर जितने चर्चित रहे उतने ही विवादों में भी घिरे रहे.
अभिनेत्री माधुरी के फैन फिल्म जगत में हुसैन माधुरी के धुर प्रशंसक रहे हैं. हुसैन ने अपने निर्देशन में 85 साल की उम्र में अभिनेत्री माधुरी के साथ फिल्म 'गजगामिनी' में काम किया है. कहा जाता है कि हुसैन माधुरी के इस कदर फैन थे की उन्होंने फिल्म 'हम आपके हैं कौन' को 67 बार देखा था. हुसैन ने माधुरी को लेकर एक पेंटिंग की पूरी सीरीज बना डाली थी. माधुरी से दिवानगी का आलम आप इस बात से लगा सकते हैं कि फिल्म जगत में जब माधुरी दीक्षित ने 'आजा नचले' से दोबारा कदम रखा था, तो हुसैन ने उनकी फिल्म देखने के लिए दुबई के लैम्सी सिनेमा को पूरा अपने लिए बुक करा लिया था.विवादित पेंटिंगस के कारण छोड़ना पड़ा देश
एम.एफ. हुसैन पर हिंदू देवी-देवताओं और भारत माता के नग्न चित्र बनाने का आरोप लगा था. जिसके बाद उनके खिलाफ देशभर में आपराधिक मामले दर्ज किए गए. एम.एफ. हुसैन पर गैर जमानती वारंट भी दर्ज किए गए था. कहा जाता है कि 1998 में कुछ हिंदू संगठनों ने उनके घर पर हमला किया था, जिसमें उनके घर पर रखे कई पेंटिग्स को नष्ट कर दिया गया था.
विवादों में आने के बाद एम.एफ. हुसैन देश छोड़कर बाहर चले गए थे. हुसैन लंदन और दोहा में काफी समय तक रहे. जिस दौरान उन्हें कतर की नागरिकता भी मिल गई थी. उन्हें कतर की नागरिकता साल 2010 में मिली थी. जिसके बाद 9 जून 2011 को लंदन में उनकी मौत हो गई थी.
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