बीते कुछ समय से नई फिल्मों में पुराने गानों को रीमिक्स या रीक्रिएट करने का चलन चल रहा है. ऐसे में सुपरमॉडल, अभिनेता और फिटनेस आईकन मिलिंद सोमन तब गंभीर हो जाते हैं, जब उनसे पूछा जाता है कि अगर साल 1995 में आया गाना 'मेड इन इंडिया' को रीक्रिएट किया जाए तो उन्हें कैसा लगेगा.


इस पर उन्होंने मीडिया से कहा, "मुझे ऐसा नहीं लगता कि उस गाने को और भी बेहतर तरीके से बनाया जा सकता है. वह काफी प्यारा गाना है, जिसे हर कोई पसंद करता है. मैं उसके रीक्रिएशन के बारे में सोच भी नहीं सकता. मैं रीबूट या रीक्रिएशन में दिलचस्पी नहीं रखता, लेकिन अगर कोई कंपोजर कुछ नई और दिलचस्प चीजों के साथ मेरे पास आता है, तो मैं जानना जरूर चाहूंगा कि वह क्या है. मेरे लिए वह गाना परफेक्ट है और मैं उसे अलग तरीके से नहीं सोच सकता. मैं इसके खिलाफ नहीं हूं, लेकिन मैं 'मेड इन इंडिया' के रीक्रिएशन के बारे में नहीं सोच सकता."





सोमन ने हाल ही में अपना एक संस्मरण किताब लॉन्च किया है, जिसका नाम 'मेड इन इंडिया : अ मेमोएर' है. इसमें उन्होंने अपनी कहानी बताई है. उन्होंने अपनी किताब का नाम इसलिए गाने के आधार पर रखा है, क्योंकि इस गाने के बाद ही उन्हें घर-घर में पहचान मिली थी.


किताब का सह-लेखन रूपा पई ने किया है, जिसमें सोमन के अब तक के सफर के बारे में बताया गया है. इसमें अभिनेता के एक प्रशिक्षित तैराक के तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता में महाराष्ट्र को प्रस्तुत करने से लेकर सुपरमॉडल बनने और बाद में मैराथन धावक के तौर पर रिकॉर्ड बनाने तक की कहानी है.


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