इस मुस्लिम सिंगर ने गाए सबसे ज्यादा भजन, एक बार तो गले से निकल गया था खून
Muslim Singer Who Sung Bhajans: कई सिंगर ऐसे भी रहे जिन्होंने भजन गाकर खूब नाम कमाया. इस लिस्ट में एक मुस्लिम सिंगर का भी नाम शामिल है जिन्होंने सबसे ज्यादा भजन गाए हैं.
Muslim Singer Who Sung Bhajans: बॉलीवुड में टैलेंट की कमी नहीं है और हिंदी सिनेमा के इतिहास में एक से बढ़कर एक सिंगर्स हुए हैं. इन गायकों ने अपनी आवाज के दम पर अपनी अलग पहचान बनाई और लोगों के दिलों में ऊंचा मुकाम हासिल किया.
कई सिंगरों ने हिंदी गाने गाकर शोहरत कमाई तो कई सिंगर ऐसे भी रहे जिन्होंने भजन गाकर खूब नाम कमाया. इस लिस्ट में एक मुस्लिम सिंगर का भी नाम शामिल है जिन्होंने सबसे ज्यादा भजन गाए हैं और उनके भजन आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं. हम बात कर रहें हैं आवाज के जादुगर मोहम्मद रफी साहब की.
मुस्लिम धर्म से ताल्लुक, गाए भजन
दिग्गज सिंगर मोहम्मद रफी आज भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज के जरिए वो आज भी अपने चाहने वालों के दिलों-जुबान पर जिंदा हैं. मोहम्मद रफी साहब वो शख्सियत हैं जिन्होंने सिर्फ हिंदी गाने नहीं गाए, बल्कि मुस्लिम धर्म से ताल्लुक रखने के बावजूद कई भजन गाए. फिल्म 'बैजू बावरा' में 'मन तड़पत हरि दर्शन' से लेकर 'हमसे बढ़कर कौन' में 'गणपति बप्पा मोरिया गाने तक', रफी साहब ने बहुत से भजनों को अपनी आवाज दी.
मोहम्मद रफी ने गाए ये भजन
मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार और विजयंतीमाला की फिल्म 'आशा' में 'जय माता दी' भजन गाया था. 'रघुपति राघव राजा राम' के लिए रफी साहब ने 'राम जी की सवारी' को अपनी आवाज दी. इसके अलावा रफी साहब ने 'अम्बे तू जगदम्बे काली', 'बड़ी देर भई नंदलाला', 'गंगा तेरा पानी अमृत', 'ईश्वर अल्लाह तेरे नाम', 'मुझे अपनी शरण में लेलो राम', 'जय अम्बे मां बोलो', 'जिसका साथी है भगवान उसको क्या' और 'जय कृष्ण हरे' जैसे भजन गाए.
गले से आ गया था खून!
मोहम्मद रफी अपने हर गाने के लिए खूब मेहनत किया करते थे. फिल्म 'बैजू बावरा' के गाने 'ओ दुनिया के रखवाले' को रफी ने अपनी आवाज दी थी. उनके इस गाने को काफी प्यार मिला था. इस गाने के लिए मोहम्मद रफी ने 15 दिन तक रियाज किया था और इस गाने को उन्होंने कई टेक में रिकॉर्ड किया था. इस गाने को गाते-गाते रफी साहब का गला ऐसा हो गया था कि लोग ये तक कहने लगे थे कि अब वे पहले जैसी आवाज में नहीं गा सकेंगे. हालत ये थी कि ये गाना गाते-गाते रफी साहब के गले से खून तक निकल आया था.