Mohammed Rafi Throat Bleeding: मोहम्मद रफी भले ही अब इस दुनिया में न हों, लेकिन उनके गाए गाने आज भी सदाबहार हैं. मोहम्मद रफी ने अपने करियर में हजारों सुपरहिट गाने गाए. मोहम्मद रफी से जुड़े कई किस्से आपको सोशल मीडिया पर सुनने और पढ़ने को मिल जाएंगे. ऐसे में आज हम आपके लिए सिंगर से जुड़ा एक ऐसा किस्सा लेकर आए हैं, जिससे शायद आप अनजान होंगे. मोहम्मद रफी को पहला ब्रेक पंजाबी फिल्म 'गुलबलोच' में मिला था. नौशाद और हुस्नलाल भगतराम ने रफी के टैलेंट को पहचान लिया और खय्याम ने फिल्म 'बीवी' में उन्हें चांस दिया. 


बैजू बावरा ने बदली किस्मत 
बीबीसी के एक लेख के मुताबिक, मोहम्मद रफी को याद करते हुए खय्याम ने बताया था, "1949 में मेरी उनके साथ पहली गजल रिकॉर्ड हुई जिसे वली साहब ने लिखा था- 'अकेले में वह घबराते तो होंगे, मिटाके वह मुझको पछताते तो होंगे'. रफी साहब की आवाज के क्या कहने! जिस तरह मैंने चाहा उन्होंने उसे गाया". बैजू बावरा फिल्म में गाने के बाद रफी की किस्मत पलट गई और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. 






केएल सहगल अपने जमाने के जाने-माने सिंगर थे, कहते हैं कि एक स्टेज शो के दौरान बिजली जाने की वजह से जब उन्होंने गाने से मना कर दिया था, तब वहां मौजूद 13 साल के रफी ने स्टेज संभाला था. यहीं से मोहम्मद रफी की किस्मत के दरवाजे खुले थे.


इस गाने को गाने में निकला गले से खून
शायद आपको मोहम्मद रफी के एक गाने के बारे में हैरान कर देने वाला किस्सा नहीं पता होगा. फिल्म बैजू बावरा का गाना 'ओ दुनिया के रखवाले' काफी पसंद किया गया था. इस गाने को गाने के लिए मोहम्मद रफी ने 15 दिन तक रियाज किया था. उन्होंने कई टेक में गाना रिकॉर्ड किया और जब फाइनली गाना पूरा हुआ उनकी आवाज इस कदर टूट गई थी कि लोग ये तक कहने लगे थे कि वे शायद ही अब कभी अपनी पहले जैसी आवाज वापस पा सकेंगे. बता दें, इस गाने को गाते समय उनके गले से खून तक निकल आया था.


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