डायरेक्टर- रवि उदयवार
रेटिंग- *** (तीन स्टार)
'भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए मां को इस दुनिया में भेजा है'. अगर उसी मां के अस्तित्व पर बन आए तो वो क्या नहीं कर सकती... यही फिल्म में देखने को मिला है. इस फिल्म की कहानी बहुत ही साधारण है लेकिन इसे श्रीदेवी की बेहतरीन एक्टिंग ने असाधारण बना दिया है. इसी साल अप्रैल में रवीना टंडन की फिल्म 'मातृ' रिलीज हुई थी जिसका प्लॉट और कहानी सब कुछ 'मॉम' जैसा ही था. इन दोनों फिल्मों की कहानी में कोई फर्क नहीं है, फर्क है तो उसे पर्दे पर उतारने की कला में. सभी कलाकारों ने इसमें इतनी दमदार एक्टिंग की है कि 2 घंटे 25 मिनट की फिल्म आपको कहीं भी कुछ और सोचने का मौका नहीं देती.
कहानी
श्रीदेवी ने देवकी की भूमिका निभाई हैं जो स्कूल टीचर है. वो अपने पति आनंद (आनंद सिद्दीकी) और सौतेली बेटी आर्या (सेजल अली) और प्रिया के साथ रहती है. आर्या के लिए बहुत मुश्किल है अपनी मां की जगह देवकी को देना...वो एक बार अपने पापा से कहती भी है, 'मां की लाइफ में बेटी आती है, बेटी की लाइफ में मां नहीं...'. देवकी की स्कूल में ही आर्या पढ़ती है. वैलेंटाइन डे पर आर्या पार्टी में जाती है और जहां अपने क्लासमेट का साथ में डांस करने का प्रपोजल वो रिजेक्ट कर देती है. इसके बाद वो और उसके कुछ दोस्त आर्या का गैंगरेप करते हैं और चलती गाड़ी से नाले में फेंककर चले जाते हैं. तीन दिन बाद आर्या अपना बयान दर्ज कराती है और उसका मेडिकल होता है लेकिन कोई ऐसा सबूत नहीं मिल पाता जिसकी वजह से गुनाहगारों को सजा मिले. इसके बाद देवकी अपनी बेटी के गुनाहगारों से बदला लेने की ठान लेती है और एक जासूस दयाशंकर कपूर (डीके) की मदद से सभी को एक-एक करके सजा देती है. यही पूरी कहानी है.
No Means No. पिछले साल रिलीज हुई फिल्म 'पिंक' में 'NO' का मतलब समझाया गया था. इस पर खूब बहस भी हुई थी. लेकिन उस पुरूषवादी सोच का क्या करें जिसमें 'NO' या फिर असहमति के लिए कोई जगह नहीं है. इस फिल्म में कुछ हद तक उसी सोच को दिखाया गया है कि लड़की अगर रिजेक्ट कर दिया तो उस पर तेजाब फेंक दो या फिर उसका रेप कर दो क्योंकि बदला लेने का इससे आसान तरीका नहीं हो सकता.
कानून पर भी सवाल उठाती है ये फिल्म
साथ ही ये फिल्म ये भी दिखाती है कि अपने देश में किसी को सजा दिलाने के लिए अदालत है और ऐसे में कानून को अपने हाथ में लेना गलत है लेकिन जब रेप विक्टिम की गवाही के बाद भी गुनाहगार कोर्ट से बच निकलें और कोर्ट ये कहे कि 'चाहे सौ गुनहगार छूट जाएँ पर एक बेगुनाह को सजा नहीं मिलनी चाहिए...' तो ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए. देवकी अपनी बेटी के गुनाहगारों को खुद सजा देने का जो रास्ता चुनती है वो गलत है. देवकी कहती भी है, 'गलत और बहुत गलत में से आपको चुनना हो तो आप क्या चुनेंगे?' ये सवाल वो सिर्फ दर्शकों से भी करती है...
एक्टिंग
'इंग्लिश विंग्लिश' के पांच साल बाद श्रीदेवी इस फिल्म से कमबैक कर रही हैं. इस फिल्म का प्लॉट कुछ ऐसा नहीं है जो आपने पहले कभी देखा ना हो या फिर सुना ना हो लेकिन श्रीदेवी ने इसके एक-एक सीन में ऐसा इमोशन भरा है कि कहीं भी फिल्म ढ़ीली नहीं पड़ती. इस फिल्म में सारे बेहतरीन एक्टर्स हैं लेकिन श्रीदेवी ने सभी को पीछे छोड़ दिया है.
नवाजुद्दीन सिद्दीकी का इस फिल्म में रोल ऐसा है कि उन्हें पहचानना मुश्किल है. अपने हर सीन में उन्होंने जान डाल दी है. अक्षय खन्ना काफी समय बाद बड़े पर्दे पर नज़र आए हैं और छा गए हैं.
श्रीदेवी की बेटी के रोल में पाकिस्तानी एक्ट्रेस सेजल अली इस फिल्म से बॉलीवुड में डेब्यू कर रही हैं. सेजल ने रेप विक्टिम का ऐसा अभिनय किया है कि देखकर आंखे भर आती है. हर सीन को उन्होंने परफेक्ट बना दिया है. वहीं श्रीदेवी के पति के किरदार में पाकिस्तानी एक्टर अदनान सिद्दीकी भी इंप्रेस करते हैं.
क्या है शानदार
इस फिल्म के डायरेक्टर रवि उदयवार है और ये निर्देशक के तौर पर ये उनकी पहली फिल्म है. एक आम कहानी को पर्दे पर इतने प्रभावशाली तरीके से पेश करके उन्होंने ये साबित कर दिया है कि हुनर होना चाहिए कोई भी कहानी छोटी या बड़ी नहीं होती.
फिल्म के कुछ शॉट्स रोंगटे खड़े कर देने वाले हैं. रेप सीन में डायरेक्टर ने आधी रात में सूनसान सड़क पर रफ्तार से दौड़ती एक गाड़ी का लॉन्ग शॉट दिखाया है. बीच में दो लोग गाड़ी से उतरते हैं और चाभी एक्सचेंज करते हैं और फिर गाड़ी दौड़ने लगती है. ये सीन इतना पावरफुल है कि पूरी तरह निर्भया केस को आंखों के सामने ला देता है.
क्यों देखें
श्रीदेवी के फैंस के लिए ये बड़ा तोहफा है. ‘मॉम’ उनके करियर की 300वीं फिल्म भी है और इंडस्ट्री में उन्होंने 50 साल भी पूरे हो गए हैं. ये फिल्म इस वजह से भी खास है. श्रीदेवी, नवाज से लेकर सेजल तक सभी एकटर्स ने इस फिल्म को मस्ट वॉच बना दिया है. आपको ये फिल्म इस वीकेंड पर जरूर देखनी चाहिए.
Twitter: @rekhatripathi