निर्देशक - अनुभव सिन्हा


रेटिंग - 3.5 स्टार्स


स्टार कास्ट- ऋषि कपूर, तापसी पन्नू, रजत कपूर, प्रतीक बब्बर, आशुतोष राणा, मनोज पाहवा, कुमुद मिश्रा


हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी फिल्में कम ही बनती हैं जो लोगों के जेहन पर लंबा असर छोड़ जाती हैं. अनुभव सिन्हा की फिल्म 'मुल्क' ऐसी ही फिल्मों में से एक है. अगर बीते कुछ वक्त की बात करें तो हंसल मेहता की फिल्म 'अलीगढ़' याद आती है. उस फिल्म ने बिना किसी शोर और ड्रामा के समाज में मौजूद बेहद संजीदा मुद्दे को लेकर एक कहानी बयां कर दी गई थी. ऐसा ही कुछ अनुभव सिन्हा ने मुल्क के साथ किया है. जब आप फिल्म देखकर थिएटर से बाहर निकलते हैं तो आपकी मानसिक स्थिति जरा बदल सी नजर आती है.


फिल्म देखने के बाद आपके जेहन में कई सवाल उठेंगे, कुछ बातों के लिए आपको पछतावा भी होगा. सबसे जरूरी आप उस भावना और विचार को किसी के साथ साझा करना चाहेंगे ताकि आप समाज में मौजूद उस नफरत को थोड़ा ही सही लेकिन कम कर सकें. एक कहावत है कि 'गेहूं के साथ अक्सर घुन भी पिस जाता है'. इस फिल्म की कहानी ऐसा ही कुछ कहती नजर आती है. कैसे घर के एक शख्स की गलती पूरे परिवार को भुगतनी पड़ती है. फिल्म कई सवाल भी उठाती है जिनमें सबसे अहम है एक अच्छे देशभक्त मुसलमान और एक आतंकी ओसामा बिन लादेन की दाढ़ी को देखकर कैसे कोई अच्छे बुरे की पहचान करे? इस बात का फैसला कैसे हो कि कौन देशभक्त है? अपने ही मुल्क में अपनी देशभक्ति कैसे साबित की जाए? फिल्म ऐसे कई सवाल उठाती है.


कहानी


फिल्म की कहानी वाराणसी के एक ऐसे मुस्लिम परिवार की है जिसका एक बेटा आतंकवाद की राह पर निकल जाता है. इस परिवार में मुराद अली (ऋषि कपूर) और उसकी पत्नी, छोटा भाई बिलाल मोहम्मद (मनोज पाहवा) और उसकी पत्नी, बिलाल का बेटा शाहिद (प्रतीक बब्बर) और एक बहन रहती है. लेकिन जिहाद की आग में अंधा शाहिद किसी के बारे में सोचे बिना आतंकवाद की राह पर निकल जाता है और पुलिस की गोली का शिकार हो जाता है.


लेकिन मामला यहां खत्म नहीं होता बल्कि यहां से शुरू होता है. ये शख्स जिसका नाम शाहिद (प्रतीक बब्बर) है वो एक ऐसे परिवार से ताल्लुक रखता है जो 1927 से वहां रहता है और एक इज्जतदार परिवार है. इसी घर के मुखिया हैं शाद अली (ऋषि कपूर) जो कि पेशे से वकील हैं.  ऋषि कपूर का एक बेटा है जिसकी बहू है आरती यानी की तापसी पन्नू. जो वैसे तो लंदन में रहती है लेकिन मुराद के 65वें जन्मदिन के लिए इंडिया आती है.


शाहिद की मौत के बाद पूरा परिवार शक के दायरे में आ जाता है. इसी दौरान एंटी टेरर टीम का एक ऑफिसर दानिश जावेद परिवार पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का इल्ज़ाम लगाता है. अब परिवार के सामने खुद को निर्दोष साबित करने का चैलेंज है. इस मुश्किल घड़ी में मुराद अली के ज्यादातर हिंदू दोस्त यहां तक कि मुस्लिम दोस्त भी साथ छोड़ देते हैं. उनके मोहल्ले के लोग उनके घर पर 'गो पाकिस्तान' जैसे स्लोगन लिख देते हैं. जो लोग कुछ दिन पहले मुराद अली के जन्मदिन के जश्न में शामिल होने आए थे वो उनके छोटे भाई बिलाल की मौत पर झांकने भी नहीं आते. फिल्म में कई ऐसे सीन दिखाए गए हैं जो आपको सिर्फ सोचने के लिए ही मजबूर नहीं करेंगे, बल्कि आपको भावुक भी कर जाएंगे. 


डायरेक्शन


अगर फिल्म के डायरेक्शन की बात करें तो अनुभव सिन्हा जो पहले 'तुम बिन' और 'रा-वन' जैसी फिल्में बना चुके हैं, उन्होंने उम्दा काम किया है. फिल्म में कहीं भी एक्स्ट्रा मेलो ड्रामा या फिर निर्मम व हिंसक सीन नहीं दिखाए गए हैं. फिल्म की कहानी भी अनुभव सिन्हा ने ही लिखी है ऐसे में उन्होंने इस बात का खास खयाल रखा है कि किसी भी सीन या डायलॉग में किसी जाति या धर्म पर आपत्तिजनक टिप्पणी न हो. फिल्म में न तो किसी धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश की गई है बल्कि हर धर्म में इंसानियत ढूंढने की बात कही गई है.


एक्टिंग


किसी भी फिल्म को देखने के दो ही कारण हो सकते हैं एक उसकी कहानी दमदार हो और दूसरा फिल्म के कलाकारों की एक्टिंग शानदार हो. इस फिल्म में ये दोनों ही वजह मौजूद हैं. ऋषि कपूर इससे पहले भी पर्दे पर मुस्लिम व्यक्ति का किरदार निभा चुके हैं लेकिन इस फिल्म में उनका किरदार कुछ अलग ही है. ऋषि के अलावा अपने दमदार किरदारों के लिए जानी जाने वाली तापसी ने भी फिल्म में कमाल का काम किया है. फिल्म में दो सरप्राइजिंग परफॉर्मेंसेस भी हैं. एक तो प्रतीक बब्बर ने फिल्म में अपनी एक्टिंग से इंप्रेस किया तो वहीं, दूसरा सरप्राइज मनोज पाहवा दे रहे हैं. ज्यादातर अपने कॉमेडी रोल्स के लिए मशहूर मनोज ने इस फिल्म में एक संजीदगी भरा किरदार निभाया है.


क्यों देखें




  • फिल्म की कहानी बेहद दमदार है और कहानी के साथ-साथ एक्टर्स का काम देखने लायक है.

  • बॉलीवुड में ऐसी फिल्में कम ही बनती हैं जो समाज में मौजूद गलत सोच पर इतनी सटीक चोट करती है.

  • अगर आप ऋषि कपूर और तापसी के फैन हैं तो आपको ये फिल्म बिल्कुल भी मिस नहीं करनी चाहिए.


क्यों न देखें




  • अगर आप फिल्म एंटरटेनमेंट के लिए देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. फिल्म बेहद संजीदा और कई गंभीर मुद्दों पर बात करती है.

  • फिल्म एक कोर्ट रूम ड्रामा है तो एक दो सीन्स में आप थोड़ा बोर हो सकते हैं.