बॉलीवुड की सबसे पॉपुलर जोड़ी में एक साजिद-वाजिद की जोड़ी टूट गई. वाजिद खान की रविवार की रात को हार्ट अटैक से मौत हो गई. हालांकि वह कोरोना वायरस से भी ग्रसित थे. 43 वर्षीय वाजिद की मौत मुम्बई के चेम्बूर में स्थित सुरराणा सेठिया अस्पताल में हुई, जहां वे किडनी और गले में इंफेक्शन होने के चलते पिछले ढाई-तीन महीने से भर्ती थे. सूत्रों से पता चला है कि पिछले तीन-चार दिनों से वाजिद वेंटिलेटर में थे और उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी.
आपको बता दें कि वाजिद खान ने भाई साजिद के साथ मिलकर साल 1998 में आई सलमान खान-काजोल स्टारर फिल्म 'प्यार किया तो डरना क्या से' अपने करियर की शुरुआत की थी. फिल्म के सॉन्ग और म्यूजिक काफी हिट हुए. इसके बाद दोनों भाइयों ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. दोनों भाइयों ने सलमान खान के लिए सबसे अधिक म्यूजिक कंपोज किए. साजिद-वाजिद ने साथ मिलकर सलमान खान की फिल्म तेरे नाम, मुझसे शादी करोगी, पार्टनर, हेलो, गॉड तुस्सी ग्रेट हो, वांटेड, वीर, दबंग, एक था टाइगर, नो प्रॉब्लम जैसी कई फिल्मों का हिट संगीत दिया.
वाजिद के निधन के बाद साजिद अकेले पड़ गए हैं. बॉलीवुड इंडस्ट्री ने एक बेहतरीन म्यूजिक कंपोजर खो दिया है. अब सवाल ये है कि पहले के म्यूजिक कंपोजर की तरह जोड़ी टूटने के बाद साजिद म्यूजिक में पहले जैसा कमाल दिखा पाएंगे?
शंकर-जयकिशन
बॉलीवुड की शुरुआत होने से ही यानी 1950 और 1960 के दशक में शंकर सिंह रघुवंशी और जयकिश जयभाई पंचाल यानी शंकर-जयकिशन का सिक्का चलता था. उनके शानदार म्यूजिक की वजह से ही इन दो-ढाई दशक को बॉलीवुड का म्यूजिकल इरा कहा जाता है. दोनों ने मोहम्मद रफी, मन्ना डे और मुकेश जैसे कई बेहतरीन सिंगर के लिए म्यूजिक कंपोज किया. बॉलीवुड की इस बेहतरीन जोड़ी ने अवारा, बरसात, सीमा, चोरी-चोरी, अनाड़ी, यहूदी, श्री420, जंगली, मेरा नाम जोकर, दिल अपना प्रीत पराई, अम्रपाली, प्रिंस, पगला कहीं का जैसी फिल्मों के म्यूजिक को कंपोज किया.
इस जोड़ी ने बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर के लिए 9 बार फिल्मफेयर का खिताब अपने नाम किया. यह रिकॉर्ड हाल ही में एआर रहमान ने तोड़ा. शंकर-जयकिशन की जोड़ी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह लगातार आगे बढ़ रहे थे, लेकिन 12 सितंबर 1971 को जयकिशन का निधन हो गया. उनको लीवर से संबंधित बीमारी थी. वह शराब बहुत ज्यादा पीते थे. इसके बाद यह जोड़ी यहीं रुक गई. यही कारण है जब 15 साल बाद 1987 में शंकर का निधन हुआ, तो मीडिया में न बराबर उनकी खबरें चलीं. लोग उनका भुला चुके थे. उनके अंतिम संस्कार के दौरान सिर्फ परिवार के लोग और दोस्त शामिल हुए. बॉलीवुड से कोई नहीं आया.
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
शंकर-जयकिशन के बाद किसी जोड़ी को पॉपुलैरिटी मिली तो वह थी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल यानी लक्ष्मीकांत शांताराम कुडलकर और प्यारेलाल रामप्रसाद शर्मा को. इन दोनों की जोड़ी बॉलीवुड में तीन दशक तक काम किया. साल 1963 में आई फिल्म 'पारसमनी' से इन्होंने बॉलीवुड में एंट्री मारी. पहली फिल्म के सॉन्ग काफी हिट हुए. फिरकी वाली सॉन्ग तो आज भी कई लोगों की पसंद है. इसके बाद वह लगातार आगे बढ़ते रहे. उन्होंने 1960, 1970 और 1980 के दशक के दौरान उन्होंने दोस्ती, लुटेरा, आये दिन बहार के, सत्यम शिवम सुंदरम, शागिर्द, अमर अकबर एंथोनी, एक दूजे के लिए , हीरो, मि. इंडिया, तेजाब, रामलखन, सौदागर, खलनायक, खुदा गवाह, हम जैसी फिल्मों के म्यूजिक कंपोज किए.
इन फिल्मों के नाम देखकर ही आपको अंदाजा हो जात है कि इसके म्यूजिक कैसे रहे होंगे. ये आज भी लोग खूब सुनते हैं. लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी साल 1998 में टूट गई. 25 मई को लक्ष्मीकांत का निधन हो गया. इसके बाद प्यारेलाल अकेले पड़ गए. उन्होंने स्वतंत्र रूप से म्यूजिक कंपोज कर शुरू किया. लेकिन वह अपने नाम को लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ही लिखते रहे.
कल्याणजी-आनंदजी
कल्याणजी-आनंदजी का वास्तविक नाम कल्याणजी विर्जी शाह और आनंद विर्जी शाह है. दोनों भाई बॉलीवुड में म्यूजिक कंपोज करने से पहले किराना स्टोर चलात थे और ऑर्केस्टा बजाते थे. साल 1959 में आई फिल्म 'सम्राट चंद्रगुप्त' उनकी पहली फिल्म थी. इस फिल्म में उस दौर के सबसे टॉप के कलाकार भारत भूषण और निरुपा रॉय थी. फिल्म के गाने सुपरहिट हुए. इसके बाद दोनों सट्टा बाजार और मदारी, छलिया, हिमालय की गोद में, जब जब फूल खिले जैसी सुपरहिट फिल्मों के लिए म्यूजिक कंपोज किया. दोनों ने कुल 250 फिल्मों के म्यूजिक कंपोज किया. जिसमें से 17 गोल्डन जुबली और 39 सिल्वर जुबली रहीं .
कल्याणजी-आनंदजी ने दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, अनिल कपूर, कुमार सानु, साधना सरगम, उदित नारायण, सुनिधि जैसे बड़े कलाकारों और गायकों के साथ काम किया. फिल्म डॉन के ये सॉन्ग ये मेरा दिल ने ग्रैमी अवार्ड जीता, जिसका म्यूजिक इन्होंने कंपोज किया था. साल 2000 में कल्याणजी ने आखिरी सांस ली और ये जोड़ी यहीं टूट गई.
जतिन-ललित
जतिन पंडित और ललित पंडित के म्यूजिक को आज की जनरेशन भी जानती है. दोनों भाइयों ने कई सुपरहिट म्यूजिक दिए और कई अवार्ड भी जीते. उन्होंने साल 1991 में आई फिल्म 'यादा-दिलादारा' से अपने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. फिल्म का म्यूजिक लोगों को काफी पसंद आया. इस जोड़ी ने 90 के दशक में दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, गुलाम, सरफरोश, हम तुम, कुछ-कुछ होता है, येस बॉस, प्यार तो होना ही था, राजू चाचा, आंखें, कभी हां कभी ना, चलते चलते, राजू बन गया जेंटलमेन, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी, ढाई अक्षर प्रेम के खिलाड़ी जैसी सुपरहिट फिल्मों के म्यूजिक दिए.
इन जोड़ी को बेस्ट म्यूजिक कंपोजर की कैटेगरी में 11 बार नॉमिनेशन मिला लेकिन अपने नाम एक भी खिताब नहीं कर पाए. कहा जाता है शाहरुख खान को इन रोमांस किंग बनाने में इनके म्यूजिक का बहुत बड़ा हाथ है. लगभग 16 साल साथ काम करने के बाद ये जोड़ी टूट गई. साल 2006 में फिल्म फना के रिलीज होने के बाद दोनों ने निजी वजहों से अलग होकर काम करने शुरू किया. ललित बाद में अकेले लाइफ में कभी कभी, शोबिज, हॉर्न ओके प्लीज और दुल्हा मिल गया के म्यूजिक को कंपोज किया. वहीं, जतिन ने आई एम 24 का म्यूजिक कंपोज किया.
साल 2011 में साजिद-वाजिद के साथ बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला. यह अवार्ड फिल्म दबंग के म्यूजिक कंपोज के लिए मिला था. ललित ने फिल्म का मुन्नी बदनाम हुई सॉन्ग कंपोज किया था. जो काफी सुपरहिट साबित हुआ था.
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