स्टार कास्ट- तापसी पन्नू, अक्षय कुमार, मनोज बाजपेयी, अनुपम खेर, पृथ्वीराज सुकुमारन
डायरेक्टर- शिवम नायर
स्क्रिप्ट राइटर, प्रोड्यूसर- नीरज पांडे
रेटिंग- 2.5
नीरज पांडे की फिल्मों की खासियत ये है कि वो बहुत ही तेजी से चलती हैं.... 'स्पेशल 26' हो या फिर 'बेबी' ये फिल्में दर्शकों को बीच में कुछ सोचने का मौका नहीं देती. इस लिहाज से 'नाम शबाना' स्लो फिल्म है. इसके धीमेपन की अपनी वजह भी हो सकती हैं. इस फिल्म में इस फिल्म की लीड भूमिका निभाने वाली शबाना के कैरेक्टर को धीरे-धीरे बुना गया है ताकि आगे जब फिल्म में उसे मार-धाड़ करते और एक स्ट्रॉंग कैरेक्टर के रूप में पेश किया जाए तो दर्शक उसे स्वीकार कर सकें.
फिल्म धीमी है लेकिन तापसी अपने दम पर इस फिल्म को दिखा लेती हैं. उनका अभिनय दिन-ब-दिन निखरता जा रहा है. पिछले साल आ चुकी फिल्म में 'पिंक' में उनकी खूब तारीफ हो चुकी है. लेकिन अब उन्होंने इस फिल्म में अपने अभिनय से ये साबित कर दिया है कि अब फिल्मों को अच्छा बनाने के लिए स्टार फैक्टर की जरूरत नहीं है. लेकिन शायद डायरेक्टर और प्रोड्यूसर को इतना भरोसा नहीं था तभी तो इसमें कुछ ही मिनटों के लिए लेकिन अक्षय कुमार और अनुपम खेर को भी रखा गया है. हालांकि फिल्म देखते समय ऐसा लगा कि ये दोनों स्टार ना रहते फिल्म में तो भी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था. इतना जरूर है कि शायद कमाई के मामले में इससे फर्क पड़े.
यहां पर आपको ये बता देना भी दिलचस्प है कि 'बेबी' में अक्षय कुमार हीरो थे और उसमें तापसी पन्नू का रोल सिर्फ 20 मिनट का था और इस फिल्म में इसका बिल्कुल उल्टा है.
कहानी
नाम शबाना एक ऐसी लड़की की कहानी है जिसने अपने बचपन में परिवार में प्यार नहीं देखा बल्कि सिर्फ झगड़ा और मारपीट देखा है. अब वो अकेले अपनी मां के साथ रहती है. उसका एकाध ही दोस्त हैं. एक हादसे में शबाना टूट जाती है और उसी दौरान उसे देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी से नौकरी का ऑफर मिलता है. आखिर इतनी बड़ी एजेंसी शबाना को ही क्यों चुनती है? उसके पीछे की पूरी कहानी दिलचस्प है. क्योंकि इतनी आसानी से शबाना ने ये एजेंसी नहीं ज्वाइन की.
इस एजेंसी का मिशन है आर्म डीलर (पृथ्वीराज सुकुमारन) को खत्म करना है जोकि समय-समय पर सर्जरी के जरिए अपना हुलिया बदल लेता है. क्या शबाना उनके मकसद को पूरा कर पाती है? आखिर ऐसी कौन सी डील है जिसकी वजह से ये एजेंसी ज्वाइन करने के लिए तैयार होती है जहां मौत कभी भी आ सकती है. पूरी कहानी जानने के लिए आपको फिल्म देखना होगा.
अभिनय
फिल्म में तापसी पन्नू का अभिनय दमदार है. बस जहां इमोशनल सीन्स हैं वहां वो चूक जाती हैं. चाहें मां के साथ हो या फिर दोस्तों के साथ. फिल्म में तापसी के फाइट सीन्स बहुत अच्छे हैं. तापसी ने जिस कैरेक्टर को जिया है उसके लिए चेहरे का भाव बहुत जरूरी है उसमें तापसी कामयाब होती हैं. जिन सीन्स में डायलॉग नहीं हैं वहां उनके चेहरे का भाव ही बहुत कुछ कह जाता है.
उनके अलावा साउथ के स्टार पृथ्वीराज सुकुमारन ने इंप्रेस किया है. इस फिल्म में पृथ्वीराज विलेन के कैरेक्टर में हैं. वो हैंडसम तो है हीं साथ ही उनके अभिनय में भी दम है. मारधाड़ से लेकर उनके चलने के स्टाइल तक सब कुछ बहुत ही अच्छा है. इसके अलावा अक्षय कुमार और अनुपम खेर तो कुछ देर के लिए ही हैं और बेहतर किया है. मनोज बाजपेयी की एक्टिंग के बारे में क्या लिखा जाए. इस फिल्म में ज्यादातर टाइम फोन पर इंस्ट्रक्शन देते हुए ही नज़र आते हैं.
क्यों देखें-
ये फिल्म बेबी का प्रीक्वल जरूर है लेकिन उस फिल्म से बिल्कुल अलग है. इस फिल्म का ज्यादातर समय शबाना के बैकग्राउंड के दिखाने में निकल जाता है जो कि जरूरी भी था. लेकिन ये फिल्म थोड़ी धीमी है पर देखने लायक है. महिला केंद्रित फिल्मों में इस फिल्म का नाम सबसे बेहतरीन फिल्मों की लिस्ट में रखा जाएगा. रही बात कमाई की तो उसके लिए इसमें स्टार फैक्टर को भी ध्यान में रखा गया है.
सब मिलाकर ये एक पारिवारिक फिल्म है जिसे इस वीकेंड पर इन्जॉय किया जा सकता है.