मुंबई: दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगा चुकीं अभिनेत्री तनुश्री दत्ता का कहना है कि यद्यपि मनोरंजन उद्योग बदमाशों से भरा पड़ा है, लेकिन अभी तक कई सारी महिलाएं आवाज उठाने आगे नहीं आई हैं. उन्हें उम्मीद है कि और भी आवाजें उनके साथ जुड़ेंगी. तनुश्री ने नाना पाटेकर और विवेक अग्निहोत्री की तरफ से भेजे गए कानूनी नोटिस से निपटने के सवाल पर कहा, "मैं वास्तव में उस स्थिति से निपटने के बारे में सोच नहीं पाई हूं, जब कोई अपराधी कानूनी कदम उठाता है. मैं पीड़ित पक्ष हूं और वे मेरे खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी दे रहे हैं. क्या यह हास्यास्पद नहीं है?"
शक्ति कपूर और गजेंद्र चौहान जैसी वरिष्ठ हस्तियां तनुश्री के गंभीर आरोपों का मजाक उड़ा रही हैं. तनुश्री ने इस पर कहा, "मैं क्या कह सकती हूं? इस सोच को बदलने की जरूरत है. हमारे मनोरंजन उद्योग और हमारे समाज में पुरुष सोचते हैं कि महिलाओं का अपमान करना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है. आज छेड़खानी करने वाला कल दुष्कर्मी बन जाता है."
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आखिर किस चीज ने इस घटना के बारे में बोलने के लिए उन्हें प्रेरित किया? तनुश्री ने कहा, "घटना की तरफ ध्यान खींचने का मेरा कोई इरादा नहीं था. मैं तो यहां (भारत) छुट्टी मनाने आई हूं. मैं साक्षात्कार दे रही थी, और उसी दौरान मुझसे कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के बारे में पूछा गया, और तब मैंने 2008 की घटना का जिक्र किया. मैंने बहुत सारी दूसरी बातें भी बोली थी. लेकिन मीडिया ने इसी को लपक लिया. और मैं खुश हूं. क्योंकि यौन प्रताड़ना के पूरे मुद्दे पर एक बहस तो छिड़ गई है."
तनुश्री से पूछा गया कि क्या उन्होंने तब इस बारे में बात की थी, जब यह घटना घटी थी? उन्होंने कहा, "जी हां, मैंने की थी. ऐसा नहीं है कि इस बारे में मैं सिर्फ आज बोल रही हूं. जब घटना घटी थी, तभी मैंने न्याय पाने के लिए हर संभव प्रयास किए थे. लेकिन पुलिस और न्यायपालिका ने भी मेरी मदद नहीं की. जब दोषी ने एक जवाबी प्राथमिकी दर्ज कराई, तब मुझे सलाह दी गई कि मैं चुप हो जाऊं. उन्होंने कहा, 'अभी आप पुलिस थानों के चक्कर काट रही हैं. यदि यह मामला अदालत में चला जाएगा, तब आपको 10 वर्षो तक अदालतों के चक्कर काटने पड़ेंगे.' इस देश में कोई कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए आपको ढेर सारे पैसों की जरूरत होती है. अपराधियों के पास संसाधन होते हैं."
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तो क्या तनुश्री ने इसी कारण देश छोड़ दिया? उन्होंने कहा, "निश्चित रूप से. मेरे ऊपर अपने आरोप वापस लेने के दबाव डाले जा रहे थे. मुझे कहीं से कोई मदद नहीं मिली."
वह कहती हैं कि "स्थिति अब भी बहुत बदली नहीं है. मुझे आशा है कि मेरे साथ बोलने के लिए और भी लोग आगे आएंगे. यह एक जाहिर सच्चाई है कि मनोरंजन उद्योग बदमाशों से भरा हुआ है. वर्षो से महिलाओं ने प्रताड़ना को सामान्य तौर पर स्वीकार किया है. आज चूंकि 'मीटू' आंदोलन को काफी समर्थन मिल रहा है, इसलिए मुझे आशा है कि मनोरंजन उद्योग में कम से कम कुछ महिलाएं आगे आएंगी और बोलेंगी. लेकिन अभी तक मैं ऐसा होते नहीं देख पा रही हूं."
तो क्या तनुश्री भारतीय फिल्म उद्योग में ताकतवर आवाजों से समर्थन न मिलने को लेकर निराश हैं? वह कहती हैं, "देखिए, मैं शिकायत नहीं कर सकती. कम से कम ये आवाजें इस बीमारी की तरफ ध्यान तो खींच रही हैं. लेकिन मुझे नहीं लगता कि भारत में कोई 'मीटू' आंदोलन होने जा रहा है. उससे हम काफी दूर हैं. मैंने अपने अनुभव बयान कर दिए, सिर्फ इससे कोई आंदोलन नहीं खड़ा हो सकता. मैं इस बारे में कबतक बोलती रहूंगी? हमारे मनोरंजन उद्योग में इस तरह की प्रताड़ना के प्रति महिलाओं का स्वभाव पश्चिम से बिल्कुल अलग है."
आखिर नाना पाटेकर के साथ हुआ क्या था? वह कहती हैं, "यह 'हार्न ओके प्लीज' नामक एक फिल्म में एक नृत्य दृश्य था. वह इस फिल्म का हिस्सा नहीं थे. लेकिन वह सेट पर थे. उन्होंने मुझे परेशान किया. उन्होंने शालीनता की सारी हदें पार कर दी. वह मेरा हाथ खीच रहे थे, मुझे धक्का दे रहे थे, मुझपर चिल्ला रहे थे. इसके पहले मैंने अपने किसी भी सह कलाकार से ऐसे बुरे आचरण का सामना नहीं किया था."
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