15 हजार में हीरो को किया कास्ट, 7 लाख से कम बजट बनी फिल्म तो हुई कल्ट क्लासिक, 40 साल पुराना है मामला
Jaane Bhi Do Yaaro: आज से 40 साल पहले फिल्ममेकर कुंदन शाह ने एक कॉमेडी फिल्म बनाई थी. रिलीज के बाद ये मूवी इतिहास के पन्नों पर कल्ट क्लासिक के तौर पर दर्ज है. इस फिल्म को बहुत कम बजट में बनाया गया था.
Jaane Bhi Do Yaaro: दुनियाभर में कॉमेडी फिल्मों को लेकर ऑडियंस के बीच हमेशा जबरदस्त क्रेज रहा है. सलमान खान (Salman Khan) से लेकर शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) और आमिर खान (Aamir Khan) जैसे बड़े स्टार्स इस तरह की फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं. हर साल कॉमेडी फिल्में बनती हैं, जिन्हें देखकर लोग ठहाके मारते हैं, लेकिन आज से ठीक 4 दशक पहले एक ऐसी कॉमेडी मूवी आई थी, जो रिलीज के बाद कल्ट क्लासिक साबित हुई. उस फिल्म का नाम 'जाने भी दो यारो (Jaane Bhi Do Yaaro) .'
7 लाख से कम बजट में बनी थी फिल्म
कुंदन शाह ने 'जाने भी दो यारो' का निर्देशन किया था और ये फिल्म साल 1983 में रिलीज हुई थी. इसमें रवि बासवानी, नसीरुद्दीन शाह, ओम पुरी, सतीश शाह और पकंज कपूर जैसे सितारे नजर आए थे. हालांकि, उस दौर में ये सभी स्ट्रग्लिंग एक्टर्स थे. किसी ने सोचा नहीं था कि महज 6.84 लाख के बजट में बनी 'जाने भी दो यारो' ये कमाल कर जाएगी. हैरानी की बात ये है कि इस फिल्म को बनाने के लिए प्रोड्यूसर्स ने नहीं बल्कि एक सरकारी संस्था ने पैसे लगाए थे.
1983 :: Director Kundan Shah With Cast of Movie Jaane Bhi Do Yaaro pic.twitter.com/SF5PBQ78eX
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) June 12, 2020
नसीरुद्दीन शाह को मिली सबसे ज्यादा फीस
'जाने भी दो यारो' को रंजीत कपूर और सतीश कौशिक ने मिलकर लिखा था. इसे बनाने के लिए नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन ने पैसे दिए थे. फिल्म की स्टारकास्ट को बतौर फीस बहुत कम पैसे मिले थे. सबसे ज्यादा फीस नसीरुद्दीन शाह को 15 हजार रुपए मिले थे. वहीं बाकी सितारों को 3 से 5 हजार रुपये मिले थे. ये एक फिल्म है, जो सरकारी भ्रष्टाचार पर करारी चोट करती है. इसके बावजूद भी नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन इसकी मेकिंग पर पैसे लगाने को तैयार हो गया था.
मजेदार है फिल्म की कहानी
मूवी पूरी तरह से व्यंग्य से भरा हुआ है. 'जाने भी दो यारो' (Jaane Bhi Do Yaaro) सुधीर और विनोद की कहानी है, जिनका किरदार रवि बासवानी (Ravi Baswani) और नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) ने निभाया है. दोनों फोटोग्राफर हैं और उनका एक फोटो स्टूडियो भी है. उन्हें सरकारी अधिकारियों, बिल्डिंग माफिया और मीडिया के बीच सांठगांठ का पता चलता है. इस करप्शन का तार कमिश्नर डिमेलो (सतीश शाह) से जुड़ा है, जो मर चुका है. अब सुधीर और विनोद मिलकर लाश का पता लगाने में जुट जाते हैं. यहीं से फिल्म की असली कहानी शुरू होती है, जो लोगों को हंसा-हंसाकर लोटपोट कर देती है.
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