मुंबई: लगता है कि असहिष्णुता की बहस एक बार फिर दस्तक देने वाली है. दिग्गज बॉलीवुड अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने कहा है कि उन्हें आज के भारत में डर लगता है. उन्होंने कहा, "मुझे डर लगता है कि किसी दिन गुस्साई भीड़ मेरे बच्चों को घेर सकती है और पूछ सकती है, 'तुम हिंदू हो या मुसलमान? इस पर मेरे बच्चों के पास कोई जवाब नहीं होगा." बुलंदशहर हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज के भारत में एक गाय की जान पुलिस वाले से ज़्यादा कीमती है.


वो कहते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को किसी तरह की धार्मिक शिक्षा नहीं देने का फैसला किया. नसीरुद्दीन ने कहा कि भारतीय समाज में एक तरह का ज़हर फैल गया है और इस 'जिन्न' को वापस से बोतल में बंद करना बेहद मुश्किल होगा. उन्होंने कहा कि कानून को हाथ में लेने वालों को लेकर ऐसा भाव फैला है कि इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.


यूपी के बुलंदशहर में भड़की हिंसा पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, "हम पहले ही देख चुके हैं कि एक गाय की जान की कीमत एक पुलिस वाले की जान से ज़्यादा है." नसीरुद्दीन शाह का ये हमला उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की उस घटना पर है जहां मृत गाय मिलने के बाद हिंसा भड़की थी और सुबोध कुमार सिंह नाम के पुलिस वाले को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया था. उन्होंने ये बात कारवान-ए-मोहब्बत के साथ एक ख़ास बातचीत में कही हैं.


वो कहते हैं, "मुझे धार्मिक शिक्षा दी गई थी लेकिन रत्ना (उनकी पत्नी) ने बच्चों को किसी तरह की धार्मिक शिक्षा नहीं देने का फैसला किया और हमने इसे ही लागू किया."


नसीरुद्दीन शाह को लगता है कि अच्छे और बुरे कर्मों का धर्म से कोई लेना देना नहीं है और इसलिए उन्होंने अपने बच्चों को धार्मिक माहौल से दूर रखा. उन्होंने अपनी भावना ज़ाहिर करते हुए कहा, "मैं ग़ुस्से में हूं और मुझे लगता है कि सही सोच वाले हर इंसान को गुस्से में होना चाहिए क्योंकि डरने की ज़रूरत नहीं है."


दिल्ली और बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान 2015 में ऐसे ही बड़े लोगों के बयानों से असहिष्णुता और अवॉर्ड वापसी की मुहिम ने रफ्तार पकड़ी थी. संभव है कि 2019 चुनावों के पहले शाह के इस बयान से एक बार फिर से ऐसी बहस का जन्म हो.


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