नई दिल्ली: 5 मई 2006 को हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन संगीतकारों में से एक रहे नौशाद अली ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. आज उनकी पुण्यतिथि है. नौशाद सिनेमा की दुनिया में करीब 64 सालों तक आबाद रहे. उनका संगीत आज भी लोगों के कानों में गूंजता है. हिंदी सिनेमा की सबसे शानदार और कामयाब फिल्मों में से एक 'मुगल-ए-आज़म' में तो नौशाद ने एक साथ 100 म्यूज़िशियंस का इस्तेमाल कर कमाल ही कर दिया था.
नौशाद उस दौर में संगीत के फन में माहिर थे, जब टेक्नोलोजी न के बराबर थी. बावजूद इसके वो अपने हुनर से लोगों को चौका दिया करते थे. बिना तकनीक के वो संगीत में ऐसे ऐसे साउंड इफेक्ट्स का इस्तेमाल करते थे कि हर कोई दंग रह जाया करता था. 'मुगल-ए-आज़म' के गाने 'ए मोहब्बत जिंदाबाद' के कोरस हिस्से के लिए नौशाद ने एक साथ 100 म्यूज़िशियंस का इस्तेमाल किया था.
यही नहीं फिल्म के सबसे मशहूर गाने 'प्यार किया तो डरना क्या' में खास इको इफेक्ट लाने के लिए नौशाद ने लता मंगेशकर से कहा था कि वो बाथरूम में खड़ी होकर गाना गाएं.
आपको बता दें कि नौशाद 26 दिसंबर 1919 को लखनऊ में पैदा हुए थे. बचपन से ही संगीत के लिए उनका प्रेम नज़र आने लगा था. यही वजह थी कि उन्होंने एक संगीत आइटम की दुकान में काम करना शुरू कर दिया था. साल 1981 में सिनेमा में योगदान के लिए नौशाद को 'दादा साहेब फाल्के' अवॉर्ड से नवाजा गया था, जबकि 1992 में उन्हें भारत सरकार ने 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया था.