फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली एक पीठ के समक्ष आई. याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि फिल्म के प्रदर्शित होने से अयोध्या भूमि विवाद में जारी मध्यस्थता प्रक्रिया पर असर होगा.
पीठ ने कहा, ‘‘मध्यस्थता प्रक्रिया और फिल्म के प्रदर्शन के बीच कोई संबंध नहीं है.’’ साथ ही पीठ ने याचिका पर दो सप्ताह के बाद सुनवाई नियत की. ‘राम की जन्मभूमि’ फिल्म का निर्देशन सनोज मिश्रा ने किया है. फिल्म की कहानी विवादित राम मंदिर मुद्दे के इर्द-गिर्द घूमती है.
इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय ने इसी तरह की एक याचिका पर सुनवाई करते हुये बुधवार को कहा था कि संविधान के तहत मिली अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी को यदि बरकरार रखना है तो लोगों को सहिष्णु बनना पड़ेगा.
अदालत ने यह टिप्पणी याकूब हबीबुद्दीन तूसी नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान की. स्वयं को मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज बताने वाले तूसी ने फिल्म ‘राम की जन्मभूमि’ के रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया है.
साथ ही उन्होंने कहा था कि इस फिल्म में तीन तलाक को गलत तरह से पेश किया गया है. इसके अलावा, इसमें बताया गया है कि एक ससुर बहू के साथ हलाला करता है. यह पूरे तौर पर गलत है. पूरी दुनिया में इसकी मिसाल नहीं मिलती. इसने मुस्लिम समुदाय के जज्बात को बुरी तरह आहत किया है.