नसीरुद्दीन शाह के समर्थन में उतरे अमृत्य सेन, बोले- उन्हें परेशान करने की कोशिश की जा रही है
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जो इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें.
कोलकाता: नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने रविवार को अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का समर्थन करते हुए कहा कि उन्हें ‘परेशान’ करने के प्रयास किए जा रहे हैं. देश में भीड़ हिंसा पर प्रतिक्रिया देने और गैर सरकारी संगठनों पर सरकार द्वारा की जा रही कथित कार्रवाई के खिलाफ एमनेस्टी इंडिया के लिए एक वीडियो में आने की वजह से नसीरुद्दीन शाह फिर विवादों में आ गए हैं.
अमृत्य सेन ने अपने बयान में कहा, ‘‘हमें अभिनेता को परेशान करने के इस तरह के प्रयासों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए. देश में जो कुछ हो रहा है, वह आपत्तिजनक है और इसे जरूर रोका जाना चाहिए.' आपको बता दें कि नसीरुद्दीन शाह के बयान के बाद राजनीति भी जमकर हो रही है. हालांकि एक ऐसा तबका भी है जो उनके समर्थन में है.
क्या है विवाद ? हाल में नसीरुद्दीन शाह ने एमनेस्टी इंडिया के एक वीडियो में कहा था कि भारत में धर्म के नाम पर दीवार खड़ी की जा रही है. उन्होंने कहा कि भारत में धर्म के नाम पर नफरत की दीवार खड़ी की जा रही है और इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सजा दी जा रही है. मानवाधिकारों पर नजर रखने वाली संस्था एमनेस्टी के लिए 2.13 मिनट के एकजुटता वीडियो में शाह ने कहा कि जिन लोगों ने मानवाधिकारों की मांग की उन्हें जेल में डाला जा रहा है.
In 2018, India witnessed a massive crackdown on freedom of expression and human rights defenders. Let's stand up for our constitutional values this new year and tell the Indian government that its crackdown must end now. #AbkiBaarManavAdhikaar pic.twitter.com/e7YSIyLAfm
— Amnesty India (@AIIndia) January 4, 2019
नसीरुद्दीन शाह ने कहा कि जो इस अन्याय के खिलाफ खड़ा होता है उन्हें चुप कराने के लिए उनके कार्यालयों में छापे मारे जाते हैं, लाइसेंस रद्द किए जाते हैं और बैंक खाते फ्रीज किए जाते हैं ताकि वे सच ना बोलें. वो कहते दिख रहे हैं, ‘हमारा देश कहां जा रहा है? क्या हमने ऐसे देश का सपना देखा था जहां असंतोष की कोई जगह नहीं है, जहां केवल अमीर और शक्तिशाली लोगों को सुना जाता है और जहां गरीबों और सबसे कमजोर लोगों को दबाया जाता है? जहां कभी कानून था लेकिन अब बस अंधकार है."
पहले भी हुआ था नसीरुद्दीन शाह के बयान पर विवाद नसीरुद्दीन शाह ने पिछले महीने यह कह कर विवाद खड़ा कर दिया था कि गाय की मौत एक पुलिस अधिकारी की मौत से अधिक महत्वपूर्ण है. वह उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में तीन दिसंबर को कथित गोकशी को लेकर हुई भीड़ की हिंसा की घटना पर बोल रहे थे. हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई थी. गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय ने विदेशी लेनदेन उल्लंघन मामले के संबंध में यहां एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के दो ठिकानों पर अक्टूबर में तलाशी ली थी.