नुसरत फतेह अली खान….जिनकी आवाज़, जिनके गीतों का जादू आज भी लोगों के सिर चढ़कर बोलता है. उस आवाज़ के मालिक थे नुसरत जो भुलाए नहीं भूलती. खासतौर से 90 के दशक में नुसरत साहब के गानों का जादू बॉलीवुड पर छाया हुआ था. ज्यादातर लोगों को लगता है कि नुसरत फतेह अली खान 90 के दशक में ही भारत आए और फिर छा गए. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तकरीबन 40 साल पहले यानि कि 4 दशक पहले वो भारत आए थे...और तभी भी उन्होंने अपने गीतों से समां बांध दिया था.
राजकपूर के कहने पर आए थे भारत
ये बात 1979 की है और मौका था ऋषि कपूर की शादी का. जब बॉलीवुड के शौमैन राजकपूर ने नुसरत फतेह अली खान को ऋषि और नीतू कपूर की शादी में आकर परफॉर्म करने का निमंत्रण भेजा. बताया जाता है कि इस फंक्शन में नुसरत साहब ने 'सांसों की माला पे सिमरूं मैं पी का नाम' गाना गाया था. दरअसल, उस वक्त नुसरत अली, मुजाहिद अली एंड पार्टी’ का खूब नाम था. ये एक कव्वाल ग्रुप था. जिसके प्रमुख नुसरत फतेह अली खान ही थे. जिनकी आवाज़ के चर्चे उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में शुरु हो गए थे. यही कारण था कि राजकपूर ने उन्हें इस शादी में गाने का निमंत्रण भेजा.
नुसरत साहब के गानों की बॉलीवुड में नकल
वहीं कहा ये भी जाता है कि मशहूर पाकिस्तानी गायक नुसरत फतेह अली खान के गीतों को बॉलीवुड में कई बार कॉपी किया गया. जिनमें मोहरा का ‘तू चीज बड़ी है मस्त मस्त’ और याराना का ‘मेरा पिया घर आया’ जैसे गीत शामिल हैं. इससे ही इनकी प्रसिद्धि का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. हालांकि बाद में वो खुद भारत आए और कई फिल्मों में उन्होंने अपनी आवाज़ दी.
48 साल की उम्र में ही हो गया था निधन
कुछ रिपोर्ट्स की मानें तो नुसरत फतेह अली खान का वज़न आखिर के दिनों में 135 किलो तक हो गया था. और वो कई महीनों तक बीमार रहे. लीवर और किडनी की परेशानियों से जूझ रहे नुसरत को इलाज के लिए लंदन ले जाया गया. जहां एयरपोर्ट से उन्हें तुरंत क्रॉमवेल अस्पताल में ले जाया गया, लेकिन अचानक उन्हें हार्ट अटैक आया और 16 अगस्त 1997 को जब वो महज़ 48 साल के थे उनका इंतकाल हो गया.