नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ओमपुरी का साल 2017 में 6 जनवरी को हार्ट अटैक से निधन हो गया था. ऐसे में उनके निधन के बाद भी दुनियाभर में उनके फैंस उन्हें जन्मदिन पर याद कर रहे हैं. ओमपुरी उन बहुत कम अभिनेताओं में से रहे हैं जिन्होने कॉमेडी से लेकर विलेन तक हर रोल को परदे पर बखूबी निभाया है. ओमपुरी को उनकी एक्टिंग, दमदार आवाज और डायलॉग डिलीवरी के लिए जाना जाता है. आज ओमपुरी हमारे बीच होते तो अपना 68 वां जन्मदिन मनाते. ओमपुरी की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में तो सभी जानते हैं ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं उनकी लाइफ से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से.


नहीं मालूम थी डेट ऑफ बर्थ:

बर्थ सर्टिफिकेट ना होने के कारण ओमपुरी के परिवारवालों को उनके पैदा होने की तारीख और साल नहीं मालूम था. उनकी मां ने उन्हें बताया था कि उनका जन्म दशहरा से दो दिन पहले हुआ था. जब ओमपुरी ने स्कूल जाना शुरू किया तो उनके अंकल ने उनका डेट ऑफ बर्थ 9 मार्च 1950 लिखा दिया था. हालांकि जब ओमपुरी मुंबई आए तो उन्होंने साल 1950 के कैलेंडर के हिसाब से दशहरा को दो दिन पहले की तारीख 18 अक्टूबर 1950 को अपना ऑफिशियल डेट ऑफ बर्थ कर दिया. जिसके बाद से ये ही उनका ऑफिशियल डेट ऑफ बर्थ हो गया था.



ढाबे पर करते थे काम:

ओमपुरी ने ऐसे दिन भी देखे थे जब वे कोयला बीन-बीन कर पेट भरते थे. परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें एक ढाबे में नौकरी तक करनी पड़ी थी. वहां से चोरी का आरोप लगाकर उन्हें हटा दिया था. बचपन में ओम पुरी जिस मकान में रहते थे उससे पीछे एक रेलवे यार्ड था. रात के समय ओम पुरी अकसर घर से भागकर किसी ट्रेन में सोने चले जाते थे. उन दिनों उन्हें ट्रेन से काफी लगाव था और वो सोचा करते कि बड़े होने पर वह रेलवे ड्राइवर बनेंगे. कुछ समय के बाद ओम पुरी अपने ननिहाल पटियाला चले गए. जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की. इसके बाद ओम पुरी ने खालसा कॉलेज में दाखिला ले लिया. इस दौरान ओमपुरी कॉलेज में हो रहे नाटकों में हिस्सा लेते रहे. यहां उनकी मुलाकात हरपाल और नीना तिवाना से हुई जिनके सहयोग से वह पंजाब कला मंच नामक नाट्य संस्था से जुड गए.


नसीरुद्दीन शाह से दोस्ती:

अभिनेता नसीरुद्दीन शाह, ओमपुरी के काफी अच्छे दोस्त थे. नसीरुद्दीन शाह और ओमपुरी की दोस्ती नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में हुई थी. ओमपुरी के निधन तक दोनों ने इस करीब 40 सालों तक इस दोस्ती को बखूबी निभाया. ओमपुरी ने एक बार खुद बताया था कि नसीरुद्दीन शाह ने ही उन्हें मांसाहारी से शाकाहारी बना दिया था. दोनों ने 'आक्रोश', 'द्रोह काल', 'जाने भी दो यारो' जैसे फिल्मों में साथ काम किया है.



हॉलीवुड फिल्में:

ओमपुरी हिंदी फिल्मों के उन गिने-चुने अभिनेताओं की सूची में शामिल हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई है. 90 के दशक में ओमपुरी ने 'माई सन द फेनेटिक' ‘ईस्ट इज ईस्ट’, ‘वुल्फ’, ‘द घोस्ट’, ‘सिटी ऑफ ज्वॉय’, 'द पैरोल ऑफिसर' और ‘डार्कनेस’ जैसी हॉलीवुड फिल्मों में भी उन्होंने अपने उम्दा अभिनय की छाप छोड़ी है. ओम पुरी ने दिग्गज ब्रिटिश अभिनेत्री हेलन मिरन के साथ 'द हंड्रेड फूट' में काम किया था.



अवॉर्ड:

1981 में फिल्म ‘आक्रोश’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद साल 1982 में फिल्म ‘आरोहण’ के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया और 1948 में भी उन्हें फिल्म ‘अर्ध सत्य’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया. फिल्मी करियर के दौरान ओमपुरी को कई बड़े अवॉर्ड से नवाजा गया है.


दो शादियां:

ओमपुरी की पहली शादी सीमा कपूर से साथ हुई थी. सीमा और ओमपुरी एकदूसरे के बचपन को दोस्त थे. सीमा के दो बड़े भाई, रंजीत कपूर और अन्नू कपूर भी अभिनेता हैं. जाने-माने पत्रकार स्वर्गीय आलोक तोमर ने इनकी अनोखी शादी पर एक बहुत अच्छा लेख भी लिखा था. लेकिन कुछ सालों के बाद ही दोनों अलग हो गए. बाद में ओमपुरी का विवाह कलकत्ता की पत्रकार नंदिता से हुआ. नंदिता ओमपुरी का इंटरव्यू करने आई थीं. वहीं से दोनों में मित्रता हुई और विवाह हो गया.



बायोग्राफी ने दिया झटका:

नंदिता से विवाह के वक्त ओमपुरी लगभग 48 साल के और नंदिता 26 साल की थीं. दोनों का एक बेटा भी है- ईशान. कुछ साल पहले नंदिता ने ओमपुरी की जीवनी लिखी ‘अनलाइकली हीरो: दि स्टोरी ऑफ ओम पुरी’. इसमें उन्होंने ओमपुरी के जीवन के कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख भी किया, जो उन्हें पसंद नहीं आए. कुछ समय बाद नंदिता ओर ओमपुरी के रिश्तों में कड़वाहट आ गई. ओमपुरी फिर से अपनी पहली पत्नी सीमा कपूर के पास वापस चले गए. उन्होंने कहा भी कि अब वह अतीत की गलतियां नहीं दोहराना चाहते और हमेशा सीमा के साथ ही रहना चाहते हैं. सीमा के साथ रहकर ही उन्हें सुकून मिलता है. कहा जाता है कि नंदिता की लिखी किताब के झटके से ओमपुरी कभी नहीं उबरे.



जानवरों से भी था प्यार:

ओमपुरी को जानवरों से बेहद प्यार था. उन्हें सड़क पर रह रहे जानवरों की स्थति देखकर बहुत दया आती थी. वह मानते थे कि इन बेजुबानों का कोई नहीं और ना ही कोई उनका दुख और जरूरत समझने की कोशिश करता है. अपने घर के सामने की सड़क पर रहने वाले एक सफेद रंग के पपी को उन्होंने पाला भी था और उसका नाम मोती रखा था.