नई दिल्ली: ओम पुरी अब हमारे बीच नहीं हैं. लेकिन, उनकी आखिरी दिन की एक बेहद रहस्यभरी कहानी सामने आई है. दुनिया छोड़ने से कुछ घंटे पहले तक ओमपुरी ने क्या क्या किया, कहां गए, किसको फोन किया, क्या हुआ... सब का जवाब नीचे जानने की कोशिश करेंगे.


रवि झांकल जो ओम पुरी के करीबी मित्र है उनके मुताबिक वह अकेले रह रहे थे. कोई देखने वाला नहीं था तो कुछ भी हो सकता था. वे दबाव में थे. हार्ट की समस्या तो थी उनको. पर्सनल प्रॉब्लम भी हो सकते हैं कई सारे.

तनाव किसका था, क्यों था, उसका उनपर क्या असर पड़ रहा था, ये सब भी बडी कहानी है, इस तनाव को हराने के लिए वो अकेलेपन में शराब को साथी क्यों बना बैठे? रजा मुराद जो ओमपुरी के पुराने दोस्त हैं उन्होंने बताया, 'मुझे उनसे शिकायत है कि उन्होंने अपनी सेहत का ख्याल नहीं रखा. वे हमेशा दिल की बात सुनते थे और हमेशा दिल की ही बात पर अमल करते थे. उस वजह से उन्हें काफी विवादों का सामना करना पड़ा. घर के बाहर भी और घर के अंदर भी. और उस वजह से मेरे ख्याल से उन्होंने शराब का सहारा लिया जिसका बहुत बुरा असर उनकी सेहत पर पड़ा. पिछले कई दिनों से उनके हाथ-पांव में रेशे आ रहा थे. मेरे ख्याल से वे बहुत ज्यादा शराब पी रहे थे.'

अकेलापन, शराब और विवाद इस सबके बीच चलते चलते ओम पुरी अपनी जिंदगी के आखिरी दिन तक पहुंच गए. और उनके आखिरी कुछ घंटों में क्या हुआ जानने की कोशिश करते हैं...

आपको बता दें कि जिंदगी की आखिरी रात ओम पुरी अपने घर से निकल कर पत्नी के घर गए. यहां बेटे से मिलने आए थे पर मुलाकात न हुई, बेटा पार्टी में था फोन पर बात हुई. आखिरी समय में ओम पुरी के साथ रहे फिल्म प्रोड्यूसर खालिद किदवई ने कहा, 'पैर में उन्हें थोड़ी तकलीफ थी जिस वजह से वह लंगड़ा कर चल रहे थे. मैंने उनसे कहा कि आपको जितनी देर पार्टी में रहना है रहिए उसके बाद मैं आपको घर छोड़ आऊंगा. वे बार-बार इशान को फोन कर रहे थे कि आजा बेटा...आजा...उनकी बातों से ऐसा लग रहा था कि बहुत दिनों से दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई है. दोनों अलग ही रहते थे. उस वक्त ओम पुरी साहब थोड़ा इमोशनल थे. बाद में जब इशान नहीं आ पाया तो वे वहां से निकल गए.'

एबीपी न्यूज़ संवाददाता मृत्युंजय सिंह के मुताबिक रात के करीब 10.30 बज रहे थे. नंदिता पुरी के घर से निकलकर ओम पुरी और खालिद किदवई मनोज पहावा के घर पहुंचे. मनोज पहावा के घर पर पैसे को लेकर बहस हो रही थी. लेकिन जब ओम पुरी मनोज पहावा के घर से निकले तो उनके चेहरे पर मायूसी थी. वे भावुक थे, जिसके बाद खालिद किदवई ने उन्हें ओशिवरा उनके घर पर छोड़ दिया.

पुत्र से न मिल पाने की निराशा लिए ओम पुरी जिस दूसरे दरवाजे पर गए वहां भी उनको निराशा ही हाथ मिली. लड़ाई हुई, गुस्सा थे निराश, मायूस, भावुक हो कर वे कार में बैठ गए.

अपने घर में जाने के बाद क्या हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ कोई नहीं जानता पर अंतिम दिन अंतिम समय पर जो साथ थे उन्होंने जब सुबह बटुआ लौटाने के लिए फोन किया तो ओम पुरी दुनिया में नहीं थे. आपको बता दें कि उस आखिरी रात को ओम पुरी का बटुआ खालिद किदवई के गाड़ी में ही छुट गया था.

अकेले और निराश हो चुके ओम पुरी की जिंदगी में पिछले कुछ दिनो में बहुत विवाद आए. वो सबसे बचते गए. लेकिन शायद निजी जिंदगी में चल रहे संघर्ष से वे पार नहीं पा सके और अपने चाहने वालों को मायूस कर दुनिया को अलविदा कह गए.