आखिर बॉलीवुड के 'बैडमैन' गुलशन ग्रोवर ने हीरो का रोल क्यों ठुकराया था? ये थी वजह
Gulshan Grover Trivia: बॉलीवुड के बैडमैन गुलशन ग्रोवर के बारे में भला कौन नहीं जानता. उनकी हर फिल्म में उनका निगेटिव किरदार सबसे अलग और बेहतरीन रहा.
Gulshan Grover Trivia: बाई गॉड दिल गार्डन-गार्डन हो गया, मैडम माया तेरी तो मैं पलट दूंगा काया, जिंदगी का मजा तो खट्टे में ही है. ऐसे ही ना जाने कितने बेहतरीन डायलॉग आपने सुने होंगे. बॉलीवुड के बैडमैन की दमदार एक्टिंग फिल्म के हीरो पर भारी पड़ती रही. उनका मुकाबला कोई नहीं कर सकता. 400 से भी ज्यादा फिल्में कर चुके गुलशन ग्रोवर को बचपन से ही फिल्मों में काम करने का शौक रहा है. दिल्ली यूनिर्वसिटी से कॉमर्स की मास्टर डिग्री हासिल करते ही गुलशन ने अभिनय करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर स्टेज शो से की. वैसे तो असल लाइफ में गुलशन ग्रोवर काफी अच्छे और सुलझे हुए इंसान हैं, लेकिन जब बात फिल्मों की आती है तो उनकी इमेज बैडमैन की बन जाती है.
बैडमैन (Badman) के फेमस डायलॉग
गुलशन ग्रोवर ने अपनी उम्दा एक्टिंग से लोगों का दिल जीता. हर एक फिल्म में उनका बेहतरीन डायलॉग उन्हें सबसे अलग बनाता है. रील लाइफ में उनकी पहचान एक बैडमैन की है. फिल्मों में उनके डायलॉग के बोलने का स्टाइल ही निराला है. उन्होंने अपने एक्टिंग और डायलॉग के दमपर अपनी अलग ही पहचान बनाई. 'जो चीज़ बिकती नहीं मैं उसे छीन लेता हूं' 'केकड़े को कच्चा खायेगा, अबे पेट फट जायेगा' 'मैं केविन केकड़ा, मेरा बाप लाबस्टर लोबो' 'आज के इस कलयुग में तुम्हारा भगवान भी इस शौतान से डरता है' 'हम खेलने के लिए नहीं जीतने के लिए आए हैं'.
जब गुलशन को कश्यप बनाना चाहते थे हीरो
अपने आपको फिल्मों में बैडमैन बनाने का श्रेय खुद गुलशन को ही जाता है, क्योंकि वो चाहते तो बॉलीवुड के हीरो बन सकते थे. उनका दिल चाहता था कि वो हीरो बने, लेकिन उनका दिमाग कहता था कि वो विलेन के रोल में ज्यादा बेहतर हैं. वो कहते है ना कि हर आदमी के मन में कई इच्छाएं होती हैं, लेकिन कौन सी इच्छा वाकई में पूरी की जानी चाहिए ये अंतरआत्मा की शक्ति पर निर्भर करता है. कुछ ऐसा ही गुलशन ग्रोवर के साथ हुआ. ये बात है उस समय की जब एक मारवाड़ी फिल्म के निर्माता की फिल्म ‘पिया मिलन की आस’ सुपर-डुपर हिट हुई. इस फिल्म ने काफी अच्छा बिजनेस भी किया. इस फिल्म के निर्माता जे.एस कश्यप को गुलशन की एक्टिंग बेहद पसंद थी. निर्माता-निर्देशक कश्यप की एक दिली ख्वाहिश थी कि वो गुलशन ग्रोवर को हीरो के रोल में देखना चाहते थे और इसलिए वो गुलशन को लेकर एक फिल्म बनाना चाहते थे. उस फिल्म में गुलशन ग्रोवर को वह बतौर हीरो साइन करना चाहते थे, लेकिन वो कहते हैं ना कि जो किस्मत में लिखा हो उसे कोई नहीं बदल सकता.
खुद हीरो बनने के लिए किया मना
निर्माता कश्यप ने गुलशन के साथ एक मीटिंग फिक्स की. इस मीटिंग को लेकर गुलशन भी बेहद खुश थे, क्योंकि उनका हीरो बनने का ड्रीम पूरा होने वाला था. यह मीटिंग अगले ही दिन होटल हॉलिडे इन में फिक्स हुई. इस मीटिंग में गुलशन अपने खास दोस्त को भी साथ ले गए. सबसे पहले होटल जाकर गुलशन ने फिल्म की कहानी सुनी. यहां तक तो सब बेहतर चल रहा था. गुलशन के दोस्त को भी फिल्म की कहानी बेहद पसंद आई. लेकिन जब बात फिल्म के कान्ट्रेक्ट साइन करने की आई तो गुलशन थोड़ा सोच में पड़ गए. उन्होंने तुरंत ही निर्माता कश्यप से कहा कि वह अपने मित्र से कुछ खास बात करना चाहते हैं. गुलशन की ऐसी बातें सुनकर निर्माता साहब को लगा कि शायद पेमेंट को लेकर कोई बात है. फिर क्या था, गुलशन अपने दोस्त को लेकर एक कोने में गए और उनसे जो कहा उसे अगर आप भी सुन लेंगे तो आप को भी हैरानी होगी.
गुलशन ने हीरो के रोल के लिए किया मना-
गुलशन ग्रोवर ने अपने दोस्त से कहा कि विलेन के रोल में उनका फिल्मी करियर बेहतरीन चल रहा है और कहीं हीरो का रोल करने के बाद उनका करियर खराब ना हो जाए. क्योंकि ग्रोवर को पता था कि उनके फैन्स उन्हें निगेटिव रोल में बेहद पसंद करते हैं. जब गुलशन ने अपने दोस्त से इस बात पर सलाह मांगी तो उनके दोस्त ने कहा कि अगर गुलशन तुम्हारा मन हीरो बनने के लिए राजी नहीं हो रहा है तो तुम इस रोल को मत करो. फिर क्या था दोस्त के मुंह से उनके दिमाग की बात मेल खा गई और उन्होंने पलक झपकते ही हीरो के रोल के लिए निर्माता साहब को मना कर दिया. वैसे गुलशन ने कई फिल्मों में पॉज़िटिव रोल भी किए है, जो किसी हीरो के रोल से कम नहीं है.
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