दीया ने कहा, "जब मैं छोटी थी और हैदराबाद में अपने घर में रहती थी तब मैंने भी एक स्टॉकर का सामना किया था. मैंने उसका सामना करते हुए उससे उसका नाम पूछा. उस वक्त उस लड़के के पास कोई जवाब नहीं था. किसी को भी ऐसे लोगों से घबराने या इनके बारे में किसी को बताने से डरना नहीं चाहिए. इसमें कोई शर्म की बात नहीं है. यह उस समस्या को खत्म करने की क्षमता के साथ हमें सशक्त बनाता है और इससे एक बड़ा बदलाव भी आता है. इस तरह की चीजें बंद होनी चाहिए."
दीया का मानना है कि सुरक्षा सिर्फ कानूनी मुद्दा नहीं है. उन्होंने आगे कहा, "पितृसत्तात्मकता और दिमाग में मौजूद रूढ़िगत सोच के साथ यह काफी कुछ है. हिंसा की अभिव्यक्ति शारीरिक दुष्कर्म का एक भयावह मोड़ ले सकती है. किशोरों को भी इस तरह की हिंसा और घृणित अपराधों को करते हुए देखना मुझे स्तब्ध कर देता है." उन्होंने गैर सरकारी संगठन सेव द चिल्ड्रेन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी बात रखी जिसकी दीया एंबेसडर हैं.