मुंबई: हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा सेंसर बोर्ड के नाम से जाने जाने वाले सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के फैसलों को पलटने की ताकत रखने वाले बिल का मसौदा पेश किया गया, जिसके विरोध में अब एक ऑनलाइन पीटिशन की शुरुआत की गई है. उल्लेखनीय है कि इस बिल के विरोध में अब देशभर के फिल्मकारों और कलाकारों ने आवाजें उठानी शुरू कर दी हैं. 


केंद्र सरकार ने 18 जून को  सिनेमाटोग्राफ एक्ट 1952 में बदलाव के मद्देनजर एक अधिसूचना जारी की थी और लोगों से इस एक्ट में बदलाव से संबंध में और भी सुझाव मांगे थे. ऐसे में इस बिल के विरोध में बॉलीवुड समेत देश भर के फिल्मकार और कलाकार एक स्वर में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. 


सेंसर बोर्ड के फैसलों को दरकिनार कर केंद्र सरकार को शक्तिशाली बनाने वाले इस बिल के विरोध में शुरू की गई पीटिशन के समर्थन में अब तक 1000 से ज्यादा फिल्मकारों, कलाकारों, लेखकों, छात्रों, शिक्षाविदों ने अपने हस्ताक्षर कर इस बदलाव को रोकने की मांग करते हुए सरकार की मंशा पर सवाल उठा दिये हैं.


जिन लोगों ने अब तक इस ऑनलाइन पीटिशन में दस्तखत किये हैं उनमें अनुराग कश्यप, हंसल मेहता, दिबाकर बैनर्जी, फरहान अख्तर, शबाना आजमी, जोया अख्तर, अभिषेक चौबे, वेत्री मारन, रोहिणी हट्टंगड़ी, वरुण ग्रोवर जैसे फिल्मकारों, कलाकारों, लेखकों का शुमार है.


पिछले साल नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई चर्चित फिल्म 'एब आले ओ' के निर्देशक प्रतीक वत्स ने इस पीटिशन को शुरू करने में अहम भूमिका निभाई है. एबीपी न्यूज़ से बाते करते हुए प्रतीक वत्स ने कहा कि इस बिल के विरोध में अब तक 1000 से अधिक लोगों ने हस्ताक्षर किये हैं और हस्ताक्षर करनेवालों की ये संख्या लगारार बढ़ती ही जा रही है. उन्होंने कहा, "सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सिनेमाटोग्राफ एक्ट, 1952 में बदलाव करने की मंशा के साथ ही लोगों से उनके सुझाव भी मांगे गये हैं. ऐसे में लोग इस पीटिशन के जरिए सरकार को तरह तरह के सुझाव भेजकर नये प्रावधानों का विरोध कर रहे हैं."


पीटिशन में एक्ट के नये प्रवाधानों को फिल्म इंडस्ट्री के लिए खतरनाक बताया गया है. इसके‌ मुताबिक, "इस तरह के प्रावधान से सेंसर बोर्ड और सुप्रीम कोर्ट की स्वतंत्रता पर विपरीत असर होगा और इससे देश में फिल्मों के प्रदर्शन को लेकर केंद्र सरकार को सुप्रीम शक्ति हासिल हो जाएगी जिससे अभिव्यक्ति और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की आजादी खतरे में पड़ जाएगी."


सिनेमाटोग्राफ एक्ट, 1952 में बदलाव के नये प्रावधानों के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा पेश किये गये बिल के खिलाफ जारी पीटिशन में कहा गया है, "हम इस बात की मांग करते हैं कि सरकार को सेंसर द्वारा जारी किये गये फिल्म सर्टिफिकेट को वापस लेने की शक्ति देनेवाला यह प्रावधान वापस ले लिया जाना चाहिए." 


उल्लेखनीय है कि इस पीटिशन की शुरुआत से पहले जाने-माने फिल्ममेकर विशाल भारद्वाज ने अपने ट्वीट्स के जरिए सिनेमाटोग्राफ एक्ट, 1952 में बदलाव करने को लेकर कड़ी आपत्ति जताई थी और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से इस बिल का पुरजोर विरोध करने की सार्वजनिक अपील की थी.


इस पीटिशन में आगे लिखा गया है कि एक्ट में संशोधन के बाद तमाम फिल्ममेकर सरकार के हाथों लाचार हो जाएंगे, फिल्म बनाने की उनकी आजादी खतरे में पड़ जाएगी और सेंसर को लेकर उन्हें भीड़तंत्र का सामना करना पड़ेगा. 


उल्लेखनीय है कि इस पीटिशन के जरिए फिर से फिल्म फिल्म सर्टिफिकेशन एपैलेट ट्रिब्यूनल (FCAT) को एक बार फिर से बहाल करने की भी मांग की गई है. बता दें कि इस साल अप्रैल महीने में, केंद्र सरकार ने सेंसर बोर्ड के फैसलों के खिलाफ अपील करने‌ के लिए गठित किये गये FCAT के अस्तित्व को खत्म कर दिया था. ऐसे में फिल्मकारों के पास अब सेंसर बोर्ड के खिलाफ कोर्ट में अपील करना ही एकमात्र जरिया बच गया है.


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