Oscar History Indian Cinema: 96वें एकेडमी पुरस्कार का इंतजार अब खत्म होने वाला है. 10 मार्च को लॉस एंजिल्स में हॉलीवुड के प्रेसटिजियस डॉल्बी थिएटर में होगा. भारत में आप ऑस्कर 2024 का लाइव टेलीकास्ट 11 मार्च की सुबह 4 बजे डिज्नी प्लस हॉटस्टार ओटीटी पर देख सकेंगे. इसके अलावा स्टार मूवीज, स्टार मूवीज एचडी और स्टार वर्ल्ड जैसे चैनल्स पर भी लाइव आएगा. इस साल ऑस्कर में भारत की ओर से बेस्ट डाक्यूमेंट्री कैटेगरी में 'टू किल ए टाइगर' को भेजा गया है. ऑस्कर से भारतीय सिनेमा का इतिहास पुराना रहा है.


1957 से लेकर 2023 तक आयोजित हुए ऑस्कर में भारतीय सिनेमा का सफर ज्यादातर नाकाम रहा है. हालांकि 2023 में भारत का सपना पूरा हुआ और फिल्म आरआरआर ने एक गाने के लिए ऑस्कर जीता था. इसके पहले एआर रहमान ने भी ऑस्कर जीता है. फिर भी इन सालों में किन-किन फिल्मों का सफर कैसा रहा चलिए आपको बताते हैं.


कैसा रहा ऑस्कर के इतिहास में भारतीय सिनेमा का सफर?


साल 1929 में शुरू हुए ऑस्कर अवॉर्ड में पहली भारतीय फिल्म मदर इंडिया (1957) थी. 30वें अकादमी पुरस्कारों में पहली बार निर्देशक महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया भेजी गई थी. ये बॉलीवुड की शानदार फिल्मों में से एक है. ये फिल्म ऑस्कर गैलरी तक तो पहुंची लेकिन इसका सफर वहीं तक रहा. इसके बाद करीब 55 फिल्में ऑस्कर में पहुंची जिनका सफर एक-एक कदम आगे बढ़ा लेकिन अंत में जीत कुछ को ही मिली.


38वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'गाइड' (1965), 45वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'उपहार' (1971), 46वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'सौदागर' (1991), 60वें ऑस्कर में तमिल भाषा की 'नयाकन' (1987), 67वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'बैंडिट क्वीनट (1994), 75वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'देवदास' (2002), 85वें ऑस्कर में हिंदी भाषा की 'बर्फी' (2012), 93वें ऑस्कर में मलयालम भाषा की 'जल्लीकट्टू' (2019), 96वें ऑस्कर में मलयालम भाषा की '2018' जैसी फिल्में हैं. इन भाषाओं के अलावा तेलुगु, मराठी, बंगाली, उर्दू और गुजराती फिल्में भी शामिल हुई थीं.


4 फिल्मों का सफर थोड़ा आगे बढ़ा


हर साल फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया की ज्यूरी कई फिल्मों को ऑस्कर के लिए भेजती है. दूसरी तरफ कुछ मेकर्स भी अपनी फिल्मों को लेकर ऑस्कर की दावेदारी पेश करते हैं बहुत ऐसा हो पाता है कि हिंदी फिल्मों को अकादमी पुरस्कार के लिए शॉर्ट लिस्ट या नॉमिनेट करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अभी तक 56 में से सिर्फ 4 फिल्में ही हैं जो आगे बढ़ीं.


साल 1957 में आई फिल्म मदर इंडिया नॉमिनेट हुई थी. साल 1988 में आई फिल्म सलाम बॉम्बे भी नॉमिनेट हुई थी. साल 2001 में आई फिल्म लगान को भी नॉमिनेशन मिला. वहीं साल 2022 में आई फिल्म छेल्लो शो को शॉर्ट लिस्ट किया गया था. हालांकि इन फिल्मों का सफर बस इन्हीं नतीजों के साथ थम गया.






एआर रहमान और 'नाटू-नाटू' ने रचा इतिहास


साल 1983 में आई फिल्म गांधी के लिए भानु अथैया ने कॉस्ट्यूम डिजाइन किया था और इसके लिए उन्हें ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. साल 1991 में भारतीय सिनेमा के दिग्गज फिल्ममेकर सत्यजीत रे को 'ऑनरेरी लाइफटाइम अचीवमेंट' ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. साल 2009 में आई फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर के 'जय हो' गाने के लिए गीतकार गुलजार को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. वहीं इस गाने को कंपोज कने के लिए एआर रहमान को भी ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसी फिल्म के रेसु पोक्कुट्टी को 'बेस्ट साउंड मिक्सिंक' कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.  इस तरह से 5 बार ऑस्कर भारत आया था.


साल 2023 में 95वें अकादमी अवॉर्ड में साउथ की सुपरहिट फिल्म आरआरआर का एक गाना छा गया. इस फिल्म के फेमस गाना 'नाटू-नाटू' को बेस्ट ओरिजनल सॉन्ग के लिए एम एम किरवानी और चंद्रबोस को ऑस्कर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. वहीं फिल्म निर्माता गुनीत मोंगा को 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स' के लिए बेस्ट डॉक्यूमेंट्री के लिए ऑस्कर से सम्मानित किया गया. इस तरह देखा जाए तो इन 67 सालों में भारत में ऑस्कर लगभग 8 बार अलग-अलग तरह से आ चुका है.


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