नई दिल्ली: संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावत' के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही श्रीराजपूत करणी सेना का छह सदस्यीय दल फिल्म के रिलीज होने से पहले उसे देखेगा. फिल्म देखने के लिये इतिहासकारों, राजघरानों के सदस्यों का एक पैनल का गठन किया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने दी मंजूरी

वहीं, विभिन्न संगठनों ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने के लिये अध्यादेश लाने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकारों की, दोनो राज्यों में बालीवुड फिल्म 'पद्मावत' को प्रदर्शित करने के खिलाफ दायर याचिका खारिज की .

न्यायालय ने दोनों राज्यों के अनुरोध पर अपने पुराने आदेश में संशोधन करने से इनकार किया और पद्मावत की 25 जनवरी को देशभर में रिलीज का रास्ता साफ किया. न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने कहा, ‘‘लोगों को निश्चित तौर पर यह समझना चाहिए कि उच्चतम न्यायालय ने एक आदेश दिया है. उन्हें इसका पालन करना ही होगा . कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों की जिम्मेदारी है.’’

अध्यादेश लाने की मांग

अदालत के आदेश के बाद राजपूत समूहों ने केंद्र से ‘‘जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए’’ 24 घंटे के भीतर एक अध्यादेश लाने की मांग की.  वहीं, राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पुनर्विचार याचिका के खारिज होने के बाद सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा, लेकिन कानून व्यवस्था को बनाये रखने के आवश्यक कदम उठाये जायेंगे.



गुजरात के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि राज्य में ज्यादातर सिनेमाघर मालिकों ने स्वेच्छा से विवादित बॉलीवुड फिल्म पद्मावत नहीं दिखाने का फैसला किया है. उन्होंने जोर दिया कि राज्य सरकार कानून व्यवस्था कायम रखने के लिये अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रही है.

महाराष्ट्र के एक मंत्री जयकुमार रावल ने लोगों से फिल्म नहीं देखने का अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि पैसा कमाने के लिए भंसाली ने इतिहास के साथ छेड़छाड़ की है.

अभी जारी है विरोध

'पद्मावत' के खिलाफ देश व्यापी विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रही श्रीराजपूत करणी सेना ने भंसाली प्रोडक्शन्स की ओर से आए एक पत्र के जवाब में कहा कि छह सदस्यीय दल फिल्म के रिलीज होने से पहले उसे देखेगा. निर्देशक भंसाली ने इन्हें रिलीज से पहले अपनी फिल्म देखने का न्योता दिया था.

श्रीराजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने बताया कि इतिहासकार आर. एस. खंगारोत, बी. एल. गुप्ता, कपिल कुमार, रोशन शर्मा, मेवाड़ राज परिवार के सदस्य विश्वराज सिंह और बांसवाड़ा राज परिवार के सदस्य जगमाल सिंह को पैनल में शामिल किया गया है.



कालवी ने गुजरात के पोरबंदर से फोन पर बताया, ‘‘ हम जानते हैं कि फिल्मकार रिलीज से पहले फिल्म दिखाने के नाम पर बस नाटक कर रहे हैं. हम कभी भी फिल्म दिखाने के खिलाफ नहीं थे. लेकिन उन्हें हमारे सदस्यों के सुझावों पर विचार करना चाहिए और उसके मुताबिक बदलाव करने चाहिए.’’ हालांकि कालवी ने कहा कि फिल्म का विरोध अभी खत्म नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि फिल्म का प्रदर्शन करने वाले सिनेमाघरों पर जनता कर्फ्यू लगाया जायेगा.

करणीसेना के अध्यक्ष महिपाल मकराना ने कहा कि जनता कर्फ्यू लगाया जाएगा, विरोध में सड़कों और राजमार्गों को अवरुद्ध किया जाएगा. राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाडा ने आरोप लगाया कि अब अघोषित आपातकाल जैसी स्थिति बन गई है, जहां हमारी भावनाओं पर कोई विचार नहीं किया गया. फिल्म को रोकने के लिये केन्द्र सरकार को 24 घंटे के भीतर अध्यादेश लाना चाहिए.

पूर्व PM अटल बिहारी ने सुनाई थी रानी पद्मिनी कविता

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संसद में रानी पद्मिनी पर एक कविता सुनाई थी और अब भाजपा सरकार को रानी पद्मिनी के सम्मान को बचाने के लिये अध्यादेश लाने पर निर्णय करना चाहिए. लोटवाडा ने कहा कि हिन्दूत्व की रक्षा करने वाली भाजपा सरकार यदि अध्यादेश नहीं लाती है तो यह साफ संदेश है कि यह आपसी मिलीभगत का खेल है.



अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) एन आर के रेड्डी ने बताया कि प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये सभी पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिये गये है. कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिये अतिरिक्त बल तैनात किया जायेगा.

'पद्मावत' की 25 जनवरी को रिलीज के विरोध में मध्यप्रदेश राजपूत समाज के सदस्यों सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने आज यहां विरोध प्रदर्शन किया. इसमें फिल्म निर्देशक संजय लीला भंसाली का पुतला और फिल्म के पोस्टर का दहन किया गया.