नई दिल्ली: सैनेटरी पैड और पीरियड जैसे मुद्दे पर बनी अक्षय कुमार की मच अवेटेड फिल्म 'पैडमैन' रिलीज हो चुकी है. फिल्म के गाने पहले ही आम लोगों को गुनगुनाने के लिए मजबूर कर रहे हैं और अब कहा जा रहा है कि इस फिल्म के जरिए अक्षय कुमार अपनी बात दर्शकों तक आसान भाषा में पहुंचाने में कामयाब रहे हैं. लेकिन दर्शकों के मन में एक सवाल अब भी है कि आखिर क्यों देखें अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन'?
क्यों देखें अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन'
फिल्म एक ऐसे मुद्दे पर बनी है कि जिसपर लोग खुल कर बात करना तो दूर एक शब्द भी बोलने या सुनने से शर्माते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इस फिल्म को हर किसी को क्यों देखनी चाहिए? तो हम आपको बता दें कि ये फिल्म हर किसी को इसलिए देखनी चाहिए ताकि वो आसानी से समझ सके कि पीरियड औरतों की बीमारी नहीं है. हां, अगर उसे लेकर सावधान नहीं रहे तो बीमारी जरूर हो सकती है. घर हो, परिवार हो या फिर स्कूल. इसके बारे में खुलकर बात होनी चाहिए. पीरियड्स को लेकर ना शर्माने की जरूरत है और ना ही छिपाने वाली कोई बात.
आपको जानना चाहिए कि 15 से 24 साल की उम्र की लड़कियों में से 42 फ़ीसदी ही सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करती हैं, बाकी 62 फ़ीसदी कपड़े, पत्ते या फिर राख तक का इस्तेमाल करती हैं जिससे कई बड़ी बीमारियां होती हैं. यहां पढ़ें मूवी रिव्यू- पैडमैन
सोच बदलेगी तभी हालात बदलेंगे
ये आंकड़े कुछ समय पहले नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे ने जारी किए थे. ये फिल्म आपको यही समझाने में मदद करेगी कि ये शर्माने का नहीं बल्कि कुछ कर दिखाने का मौका है. सोच बदलेगी तभी हालात बदलेंगे. तो इस वीकेंड आप अपने परिवार के साथ कुछ नया देखिए ताकि जिस पर आपने अबतक कोई बात नहीं कि वो फिल्म के जरिए कुछ ही घंटो में समझ आ जाए.
कुछ डायलॉग सोचने पर मजबूर करते हैं-
फिल्म के कुछ सीन ऐसे हैं जो आपको सोचने पर मजबूर करते हैं. सैनेटरी पैड और पीरियड जैसे मुद्दे पर समाज की सोच और उनके व्यवहार को बखूबी दर्शाते हैं. मसलन फिल्म में एक सीन है जो उन लोगों को जरूर वास्तविक लगेगा जिन्होंने कभी पैड खरीदा हो. लक्ष्मी जब पैड खरीदने जाता है तो दुकानदार न्यूज़पेपर में लपेटकर पैड काउंटर के नीचे से थमा देता है. तब पैडमैन पूछता है- 'चरस-गांजा दे रहे हो क्या?' सीन तो खत्म हो जाता है लेकिन सवाल बना रहता है. फिल्म देखने के बाद उम्मीद है कि ना पैड मांगने वाला शर्माएगा और ना ही देने वाला.