नई दिल्ली/भोपाल/लंदन:  देश में भले ही भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा हो, लेकिन संजय लीला भंसाली की फिल्म ‘पद्मावती’ को ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने बिना किसी काट-छांट के मंजूरी दे दी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति दे दी जिसमें यह निर्देश देने की मांग की गई है कि एक दिसंबर को फिल्म का प्रदर्शन विदेश में करने की अनुमति नहीं दी जाए.


वायकॉम 18 के एक अधिकारी ने बताया कि फिल्म को सीबीएफसी की मंजूरी के बिना वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करने की कोई योजना नहीं है.


इस पीरियड ड्रामा को लेकर विवाद आज और बढ़ गया जब मध्य प्रदेश के देवास जिले के एक शिक्षा अधिकारी ने एक परिपत्र जारी कर स्कूलों में फिल्म का एक गीत बजाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया. हालांकि, परिपत्र को तुरंत वापस ले लिया गया और इस परिपत्र को जारी करने वाले अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया.


SC सुनवाई को तैयार


सुप्रीम कोर्ट में प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वह मंगलवार को याचिका पर सुनवाई करेगी. याचिका में आरोप लगाया गया है कि ‘पद्मावती’ के निर्माताओं ने गानों और प्रोमो को जारी करने पर सेंसर बोर्ड की मंजूरी के संबंध में गलत तथ्य पेश किये.


पीठ ने अधिवक्ता एम एल शर्मा से कहा, ‘‘हम इसपर मंगलवार को सुनवाई करेंगे. आप एक रिट याचिका दायर करें.’’ शर्मा ने अपनी नयी याचिका पर अविलंब सुनवाई करने की मांग की थी.


शर्मा ने आरोप लगाया था कि अगर फिल्म को देश के बाहर प्रदर्शन की अनुमति दी गई तो सामाजिक सौहार्द को गंभीर क्षति होगी. उन्होंने फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ गीतों और प्रोमो को सीबीएफसी से मंजूरी दिये जाने के बारे में कथित तौर पर गलतबयानी करने के लिये मुकदमा चलाने की मांग की.


शीर्ष अदालत ने इससे पहले उनकी याचिका खारिज कर दी थी. उसमें उन्होंने कथित तौर पर कुछ आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने की मांग की थी. न्यायालय ने कहा था कि सीबीएफसी ने अब तक फिल्म को प्रमाण पत्र नहीं दिया है और शीर्ष अदालत किसी वैधानिक निकाय को अपना काम करने से नहीं रोक सकती है.


प्रतिवादियों में से एक के वकील ने अदालत से कहा था कि फिल्म का प्रोमो जारी किया गया और सीबीएफसी की जरूरी मंजूरी थी. इस बीच, ब्रिटिश बोर्ड ऑफ फिल्म क्लासिफिकेशन (बीबीएफसी) ने फिल्म को बिना किसी कट के हरी झंडी दे दी.


ब्रिटिश सेंसर बोर्ड की एक आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया, ‘‘पद्मावती :12 ए: मध्यम हिंसा, चोट का विवरण.’’ वेबसाइट पर कहा गया, ‘‘इस कृति के सभी वर्जन को बिना किसी कट के मंजूरी दी जाती है.’’ 12 ए रेटिंग का मतलब है कि फिल्म ब्रिटेन में 12 साल से कम उम्र का कोई लड़का तब तक नहीं देख सकता है, जब तक कि उसके साथ कोई वयस्क नहीं हो.


हालांकि, वायकॉम 18 के सूत्रों ने बताया कि वे सीबीएफसी की मंजूरी के बिना दुनिया में कहीं भी फिल्म प्रदर्शित करने की योजना नहीं बना रहे हैं.


एक सूत्र ने पीटीआई से कहा, ‘‘ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने फिल्म को बिना किसी कट के हरी झंडी दे दी. लेकिन हम भारत में सेंसर बोर्ड की मंजूरी मिलने का इंतजार कर रहे हैं. तब तक हम फिल्म को कहीं भी प्रदर्शित नहीं करेंगे.’’ उन्होंने कहा कि चूंकि एक दिसंबर को प्रदर्शित होनी थी इसलिये 50 से अधिक देशों में यह :प्रमाणन: की प्रक्रिया चल रही है.


इस भव्य फिल्म का निर्माण वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स और भंसाली प्रोडक्शंस ने संयुक्त रूप से किया है. फिल्म में दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर मुख्य भूमिका में हैं.


देवास में जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) राजीव सूर्यवंशी ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को फिल्म के गीत ‘घूमर’ का सांस्कृतिक कार्यक्रमों में इस्तेमाल नहीं करने का निर्देश दिया. परिपत्र में कहा गया, ‘‘श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना ने मां पद्मावती के सम्मान में एक अनुरोध पत्र सौंपा है. यह अनुरोध किया जाता है कि स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ‘घूमर’ गीत बजाकर हिंदू भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचायी जाए. इसलिये स्कूलों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ‘घूमर’ गीत का इस्तेमाल नहीं किया जाए.’’ हालांकि, देवास के जिलाधिकारी आशीष सिंह ने कहा कि उन्होंने परिपत्र वापस लेने का निर्देश दिया है.


उन्होंने कहा, ‘‘मुझे परिपत्र के बारे में आज सुबह जानकारी मिली. सिर्फ राज्य सरकार इस तरह का परिपत्र जारी कर सकती है. डीईओ इस तरह का आदेश नहीं जारी कर सकते. मैंने डीईओ को यह आदेश तत्काल वापस लेने का निर्देश दिया है.’’ उन्होंने कहा कि डीईओ को अपने कृत्य के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है.


‘घूमर’ गीत दीपिका पादुकोण पर फिल्माया गया है. यह गीत हाल में ही जारी किया गया था. ‘पद्मावती’ को राजपूत समूहों और नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. वे भंसाली पर इतिहास को विकृत करने का आरोप लगा रहे हैं.