मुंबई: 'फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया लिमिटेड' ने राजपूत संगठन 'श्री राजपूत करणी सेना' के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रख्यात फिल्मकार संजय लीला भंसाली पर किए गए हमले की निंदा की है.
संघ ने साथ ही भारत सरकार से अराजक तत्वों के खिलाफ तत्कालिक कार्रवाई की मांग की है. कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को भंसाली पर हमला कर दिया, उनके साथ मारपीट की और उनकी शर्ट फाड़ डाली.
संघ के अध्यक्ष सिद्दार्थ रॉय कपूर ने एक बयान में कहा, "'फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया लिमिटेड' के अध्यक्ष के तौर पर और पूरे फिल्म उद्योग की ओर से मैं 'पद्मावती' के सेट पर गुंडागर्दी की कड़ी निंदा करता हूं. यह हमारे लोकतंत्र में मिली अभिव्यक्ति की आजादी पर सीधा प्रहार है."
कपूर ने कहा, "किसी भी छोटे-मोटे समूह के लिए मीडिया की नजरों में आने के लिए फिल्म उद्योग को निशाना बनाना एक आसान जरिया बन गया है. हम संबंधित प्रशासन से इसे खत्म करने और तत्काल खत्म करने की मांग करते हैं."
कपूर ने कहा, "हम संजय लीला भंसाली के समर्थन में एकजुट हैं और भारत सरकार और राजस्थान की राज्य सरकार से इन अराजक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने के लिए तत्काल कदम उठाने की मांग करते हैं, ताकि इससे भविष्य में ऐसी अस्वीकार्य घटनाओं की पुनरावृत्ति रुके."
भंसाली की 2015 में रिलीज हुई फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' में इतिहास से छेड़छाड़ के लिए भी कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की थी. भंसाली इस घटना के दौरान जयगढ़ के किले में 'पद्मावती' के कुछ सीन्स की शूटिंग कर रहे थे.
क्यों हो रहा है विरोध?
हंगामा करने वाले संगठन करणी सेना का दावा है कि संजय लीला भंसाली ने अपनी फिल्म पद्मावती में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच एक बेहद आपत्तिजनक सीन डाला है. इस सीन में अलाउद्दीन खिलजी एक सपना देखता है जिसमें वो रानी पद्मावती के साथ है. करणी सेना का दावा है कि वास्तव में खिलजी और पद्मावती ने कभी एक दूसरे को आमने सामने देखा तक नहीं और इतिहास की किसी किताब में भी इस तरह के किसी सपने का कोई जिक्र नहीं है. हालांकि इतिहासकार इरफान हबीब के मुताबिक पद्मावती का किरदार ही काल्पनिक है.
करणी सेना खुद को राजपूतों के हितों का रक्षक बताती है और राजस्थान में काम करती है. करणी सेना का दावा है कि रानी पद्मावती राजपूत थीं और उनकी छवि फिल्म में गलत तरीके से दिखाई गई इसलिए उसने प्रदर्शन किया.