फिल्म - पागलपंती


निर्देशक - अनीस बज्मी


स्टारकास्ट - जॉन अब्राहम, अनिल कपूर, अरशद वारसी, पुलकित सम्राट, इलियाना डिक्रूज, उर्वशी रौतेला, कीर्ति खरबंदा और सौरभ शुक्ला


रेटिंग -  *1/2 (1.5)


बीते कुछ समय से बॉलीवुड में मल्टीस्टारर कॉमेडी के नाम पर बन रही फिल्में दर्शकों के समय और पैसे दोनों को बर्बाद करने का काम कर रही हैं. अगर हम पिछली कुछ फिल्मों का उदाहरण लें, जिनमें अक्षय कुमार की 'हाउसफुल 4' जैसे इंडस्ट्री में अच्छे कॉमेडी राइटर्स आना बंद हो गए हैं. जॉन अब्राहम स्टारर फिल्म 'पागलपंती' एक कॉमेडी फिल्म है. लेकिन निर्देशक अनीस बज्मी इसमें कॉमेडी के पांच अच्छे सीन भी नहीं दे पाए हैं. इन दिनों इंडस्ट्री में फिल्मों के बजट पर तो खर्च किया जा रहा है लेकिन न जाने क्यों इसकी कहानी लेखन और डायलॉग्स पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है. अनीस बज्मी की ये फिल्म बेहद निराशा जनक है. अगर आप भी इस वीकेंड कोई फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो पहले ये रिव्यू जरूर पढ़ें...


कहानी


फिल्म की पूरी कहानी तीन ऐसे लोगों के ईर्द-गिर्द घूमती है जो हद से ज्यादा अनलकी हैं. इसी के साथ राज किशोर (जॉन अब्राहम) पर भयंकर साढ़े साती चल रही है. जिसके चलते वो जिस भी इंसान से जुड़ता है या जिस भी काम में हाथ डालता है वो बर्बाद हो जाता है. इतना ही नहीं राज किशोर के बैडलक की वजह से ही नीरज मोदी देश से पैसा लेकर भाग जाता है. नीरज मोदी के भागने के बाद राज किशोर लंदन चले जाते हैं और वहां उसकी मुलाकात जंकी (अरशद वारसी) और चंदू (पुलकित सम्राट) से होती है.


तीनों मिलकर बिजनेस करने की सोचते हैं लेकिन राज के बैडलक की वजह से सब बर्बाद हो जाता है. इसी बीच राज की मुलकात संजना (इलियाना डिक्रूज) से होती है. राज, संजना से भी पैसे लेते हैं और उन्हें भी डुबा देते हैं. इसके बाद वो परिस्थतियों में फंसकर वाई फाई भाई (अनिल कपूर ) और राजा साहब (सौरभ शुक्ला)  के पास पहुंच  जाते हैं, जो कि डॉन हैं. वहीं चंदू की मुलाकात जाह्नवी  (कीर्ति खरबंदा) से होती है. राज, चंदू और जंकी तीनों मिलकर अंडरवर्ल्ड के बीच फंस जाते हैं और इसी सब में उनकी मुलाकात नीरज मोदी से होती है. इसके बाद सब नीरज मोदी से पैसा निकलवाने की कोशिश में लग जाते हैं.



निर्देशन


अनीस बज्मी इससे पहले 'सिंह इज किंग' 'वेलकम', 'वेलकम' बैक जैसी कई कॉमेडी फिल्में बना चुके हैं. लेकिन इस बार उनकी इस फिल्म ने काफी निराश किया है. फिल्म की कहानी से लेकर डायलॉग डिलिवरी और सीन्स की ट्रीटमेंट में से किसी भी चीज में आपको नयापन नजर नहीं आएगा. ज्यादातर सीन देखने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि आपने पहले भी ये सीन या इससे मिलता- जुलता डायलॉग नजर आएंगे.


एक्टिंग


इस फिल्म की कमजोर स्क्रिप्टिंग के चलते इसके कलाकार अपनी एक्टिंग से भी इस फिल्म को बचा नहीं पाए. जॉन अब्राहम इससे पहले 'गरम मसाला' और 'हाउसफुल' जैसी हिट कॉमेडी फिल्में दे चुके हैं. लेकिन इस फिल्म में उनका जादू नहीं चला. अनिल कपूर और सौरभ शुक्ला जैसे मंझे हुए कलाकारों को भी फिल्म में ज्यादा कुछ करने को मिला नहीं है. इसके फिल्म में अरशद वारसी जैसे अच्छे कॉमेडियन के टैलेंट को भी अच्छी तरह भुनाया नहीं गया है. इसके अलावा इलियाना डिक्रूज, कीर्ति खरबंदा और उर्वशी रौतेला को भी फिल्म में ज्यादा कुछ करने को नहीं मिला है. कुल मिलाकर आपको किसी भी एक्टर की एक्टिंग प्रभावित नहीं करती.



म्यूजिक 


फिल्म की म्यूजिक एल्बम में कुल 5 गाने रखे गए हैं. जिनमें से दो गाने रीमेक हैं. फिल्म का गाना तुम पर हम हैं अटके और बीमार दिल दोनों को ही अच्छी तरह रीक्रिएट किया गया है. ये दोनों ही गानें लोगों को अच्छे लग रहे हैं और उनकी जुबां पर हैं. इसके अलावा वल्ला वल्ला ठुमका और पागलपंती का टाइटल ट्रैक कोई खास कमाल नहीं दिखा पाया है.


रिव्यू 


अनीस बज्मी का निर्देशन और जॉन अब्राहम, अनिल कपूर जैसे हिट एक्टर्स होने के बावजूद इस फिल्म में देखने लायक बहुत कुछ नहीं है. भले ही फिल्ममेकर्स इसे कॉमेडी फिल्म बता रहे हैं, लेकिन दर्शकों को इसमें हंसने के मौके कम ही मिलते हैं. फिल्म की टैग लाइन दी गई है, 'दिमाग मत लगाना क्योंकि इनमें है नहीं है' फिल्म देखने के बाद आपको  भी ऐसा ही महसूस होगा. फिल्म में नीरव मोदी की तर्ज पर नीरज मोदी को सेंटर कैरेक्टर रखा गया है. नीरज मोदी के इर्द-गिर्द के कुछ सीन्स पर आप उन्हें असल घटनाओं से जोड़कर मुस्कुरा सकते हैं. इसके अलावा दर्शकों के लिए फिल्म में ज्यादा कुछ नहीं हैं.