नई दिल्ली: भारतीय फिल्म जगत की बेहद चर्चित और खूबसूरत अभिनेत्री श्रीदेवी के असामयिक निधन से पूरा देश शोक में डूबा हुआ है. इस शोक से पड़ोसी पाकिस्तान भी अछूता नहीं है. श्रीदेवी का पाकिस्तान के लोगों से गहरा नाता रहा है. उनकी फिल्में न सिर्फ वहां लोगों का मनोरंजन करती थीं बल्कि उस दौर के सियासी तानाशाहों से लड़ने की हिम्मत भी देती थीं.
पाकिस्तान में अमूमन भारतीय फिल्में बैन ही रहा करती हैं लेकिन ये श्रीदेवी की अदाकारी और खूबसूरती का ख़ुमार ही था जो पाकिस्तान के लोगों को उन से जोड़ के रखता था. पाकिस्तान में श्रीदेवी के लिए दीवानगी इस हद तक थी कि सियासी तानाशाही के फरमानों की धज्जियां उड़ाने के लिए नौजवान श्रीदेवी की फिल्मों का सहारा लेते थे.
अपने कॉलेज के दौर को याद करते हुए पाकिस्तान के मशहूर पत्रकार वुसअतुल्लाह ख़ान ने श्रीदेवी का ज़िक्र करते हुए बताया कि उन्होंने अपने हॉस्टलरूम की दीवारों पर श्रीदेवी की दो तस्वीरें लगाई थीं. बीबीसी के लिखे अपने ब्लॉग में वुसअतुल्लाह ख़ान ने श्रीदेवी, उनकी अदाकारी, उनकी फिल्मों और जनरल ज़िया के फरमानों का ज़िक्र करते हुए कहते हैं कि श्रीदेवी का जादू ऐसा था कि हॉस्टल में रहने के दौरान वे और उनके साथी भाड़े पर वीडियो प्लयेर लाकर उनकी फिल्में देखा करते थे.
उस दौरान पाकिस्तान की फिज़ाएं सियासी तानाशाही से बदरंग थी. तानाशाह ज़ियाउल हक के दौर में भारतीय फिल्मों के देखते हुए अगर कोई पकड़ा जाता तो उसे तीन से छह महीने की जेल होती थी.
वुसअतुल्लाह ख़ान लिखते हैं कि वे श्रीदेवी की फिल्में हॉस्टल की खिड़कियों और दरवाजों को खोल कर फुल वॉल्यूम में देखा करते थे. ताकि ये आवाज़ हॉस्टल के बाहर निगरानी करने वाले पुलिस वालों से होते हुए ऊपर बैठे सियसतदानों तक पहुंच जाए, इससे ये संदेश दिया जा सके कि मुल्क को दिया गया बेगैरत नाफरमान यहां तोड़ा जा रहा है. वुसअतुल्लाह अपने लेख में एक दिलचस्प वाकया बताते हैं कि उन्हें कभी तो जेल नहीं जानी पड़ी, लेकिन जो पुलिस, हॉस्टल के करीब तैनात थी उसका कर्मी अपने ट्रांसफर से पहले खुद ही श्रीदेवी की फिल्म देखने की गुजारिश की.
इसके साथ ही पाकिस्तान के मशहूर फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर नदीम मांडविवाला ने भी श्रीदेवी को याद करते हुए अपने कॉलेज के दौर का ज़िक्र किया. उन्होंने बताया कि जब श्रीदेवी बॉलीवुड में जब उरूज़ पर थीं तब पाकिस्तान में भारतीय फिल्मों पर बैन लगा दिया गया था. उन्होंने कहा, "हम वीसीआर पर भारतीय फिल्मों को देखा करते थे और कभी भी श्रीदेवी की रिलीज़ हुई फिल्मों को नहीं भूलते थे."
ये पाकिस्तान के लोगों के दिलों पर श्रीदेवी की अदाकारी की वो गहरी मुहर थी जो दोनों देशों के बीच बनी तल्ख सरहदें और पाकिस्तानी की सियासी बेगैरत फरमान भी नहीं छुड़ा पाए.