फिल्म - पानीपत


निर्देशक- आशुतोष गोवारिकर


स्टारकास्ट - अर्जुन कपूर, संजय दत्त और कृति सेनन


रेटिंग - 3 (***)


हिंदुस्तान ने अपने इतिहास में कई जंग और सत्ता के लिए होते युद्ध. सत्ता के लालच में न जाने कितने लोगों ने एक-दूसरे की जान ली है और न जाने कितने ही लोगों ने उसकी रक्षा में अपनी जान गंवाई है. आशुतोष गोवारिकर अपने एक अलग तरह के सिनेमा के लिए जाने जाते हैं. उनका कहानी कहने का एक अलग अंदाज है. इससे पहले उन्होंने फिल्म 'जोधा अक्बर' बनाई थी जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया था.


अब एक बार फिर आशुतोष इतिहास पर आधारित एक और वॉर फिल्म लेकर आए हैं. इस फिल्म में उन्होंने एक बार फिर खुद को साबित किया है. 'पानीपत' ने अपनी रणभूमि पर एक नहीं बल्कि तीन युद्ध देखे हैं. पानीपत की रणभूमि पर हुआ तीसरा और आखिरी युद्ध इन सभी में सबसे बड़ी माना जाता है.


ऐसा कहा जाता है कि इस युद्ध में इतना खून खराबा हुआ था कि कई दिन तक वहां की मिट्टी का रंग लाल रहा था. अब आशुतोष गोवारिकर ने इसी पर एक फिल्म बनाई है. फिल्म पानीपत में अर्जुन कपूर सदाशिव राव भाऊ के किरदार में नजर आ रहे हैं. वहीं, कृति सेनन उनकी पत्नी पार्वती बाई के किरदार में हैं. इसके अलावा संजय दत्त कंधार के शहंशाह अहमद शाह अब्दाली के किरदार में नजर आ रहे हैं.



कहानी


फिल्म की कहानी अफगानी और मराठाओं के बीच के युद्ध की है. मुख्यतौर पर ये युद्ध अफगान के शहंशाह अहमद शाह अब्दाली (संजय दत्त) और सदाशिव राव भाऊ पेशवा (अर्जुन कपूर) के बीच हुआ था. पानीपत की लड़ाई होने के दो मुख्य कारण थे.


पहला यह कि अफगान का शासक बनने के बाद से ही अहमद शाह की नज़र हिन्दुस्तान और दिल्ली सल्तनत पर थी. वह कई बार आक्रमण भी कर चुका था. दूसरा कारण मराठाओं का बढ़ता वर्चस्व था. अहमद शाह अब्दाली कंधार में था लेकिन दिल्ली में अपनी सल्तनत खोते मुगलों ने उसे अपनी मदद के लिए हिंदुस्तान आने का न्योता दिया. वहीं, मराठा एक के बाद एक आधे से ज्यादा हिंदुस्तान पर कब्जा जमा चुके थे.


सदाशिव राव भाऊ पेशवा बालाजी बाजीराव के भाई के बेटे थे. सदाशिव ने कई युद्ध जीते थे और इस दौरान उन्होंने इब्राहीम ख़ां गार्दी नामक मुसलमान सेनानायक को भी अपनी सेना में शामिल किया था. इसी सेनानायक की मदद से सदाशिव लालकिले पर मराठी ध्वज लहराने में कामयाब रहे थे.


इस दौरान अब्दाली अपने एक लाख सैनिकों के साथ दिल्ली जीतने आ चुका था. लंबी आंख मिचोली के बाद इन दोनों सेनाओं का आमना सामना पानीपत में हुआ. दोनों के बीच एक बड़ा युद्ध हुआ जिसमें मराठाओं को हार का सामना करना पड़ा.



म्यूजिक


फिल्म में बैकग्राउंड म्यूजिक और इसके गाने बहुत ज्यादा अपीलिंग नहीं हैं. युद्ध के दौरान का बैकग्राउंड म्यूजिक और साउंड बहुत ज्यादा दमदार नहीं है. इसके अलावा फिल्म में कुल तीन गाने हैं, जिनमें एक मेलोडी है और बाकी दो डांस नंबर्स हैं. जिनमें एक है 'मर्द मराठा' और दूसरा है 'मन में है शिवा'.


निर्देशन


आशुतोष गोवारिकर का कहानी कहने का एक अलग तरीका है और इस बार भी उन्होंने दर्शकों के सामने इतिहास से जुड़ी एक बेहद अहम कहानी रखी है. फिल्म में उन्होंने सिर्फ पानीपत के युद्ध की कहानी नहीं बताई है, बल्कि कैसे इन युद्धों की रणनीति बनती थी और कैसे युद्ध लड़े जाते थे इसे बेहद बारीकी से दिखाया है. युद्ध के कई सीन बेहद शानदार हैं. फिल्म के सेट्स पर भी उन्होंने काफी काम किया है. जो फिल्म में साफ नजर आता है.



एक्टिंग


यूं तो फिल्म में कई नामी चेहरे नजर आ रहे हैं और सभी ने अच्छा काम किया है. लेकिन अगर इसकी मुख्य स्टारकास्ट की बात करें तो इस बार अर्जुन कपूर ने काफी अच्छी एक्टिंग की है. हालांकि एक योद्धा के तौर पर उनकी बॉडी और बेहतर हो सकती थी. इसके अलावा कृति सेनन ने भी मराठी महिला का किरदार बखूबी निभाया है. इसमें कृति एक्शन भी करती दिखी हैं. इसके अलावा फिल्म में सबसे दमदार अभिनय संजय दत्त का रहा. उन्होंने अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है.


रिव्यू


पानीपत इतिहास पर बनी एक अच्छी फिल्म है. आशुतोष गोवारिकर ने इसका निर्देशन शानदार तरीके से किया है. वहीं, इसकी स्टारकास्ट ने पर्दे पर किरदारों को निभाया भी अच्छे तरीके से है. इसकी कहानी को सिर्फ एक युद्ध तक सीमित नहीं रखा गया है बल्कि कई ऐसे पहलू दिखाए गए हैं जो कम ही देखने मिलते हैं.


जब भी युद्ध होता है तो ये लड़ाई सिर्फ सैनिक नहीं बल्कि उसका परिवार भी सफर करता है. इसके अलावा युद्ध में सामने वाली सेना से लड़ना ही एक मात्र लक्ष्य नहीं होता बल्कि आपको अपना जीवन व्यापन करने के लिए कई चीजों की जरूरत होती है. फिल्म में बड़ी सेना को काबू करने और उसकी हिम्मत बनाए रखने से लेकर कई अलग-अलग पहलू दिखाए गए हैं.