कलाकार भावनात्मक रूप से थकता है, वो बेवजह रोता है, हँसता है, प्यार करता है: पकंज त्रिपाठी
इस साल रिलीज हुई फिल्म 'स्त्री' से लेकर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरिज 'मिर्जापुर' तक में अपनी दमदार एक्टिंग से पंकज त्रिपाठी हर तरफ छाए हुए हैं. हाल ही में दिल्ली पहुंचे पकंज त्रिपाठी ने बताया कि वो दमदार एक्टिंग के लिए सिनेमा नहीं देखते बल्कि वक्त मिलने पर पढ़ना पसंद करते हैं.
नई दिल्ली: बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी उन कलाकारों में शुमार हैं जो फिल्म में रोल छोटा हो या फिर बड़ा उसे इतनी शिद्दत से निभाते हैं कि देखने वाला कभी भूल नहीं पाता. इस साल रिलीज हुई फिल्म 'स्त्री' से लेकर हाल ही में रिलीज हुई वेब सीरिज 'मिर्जापुर' तक में अपनी दमदार एक्टिंग से पंकज त्रिपाठी हर तरफ छाए हुए हैं. हाल ही में दिल्ली पहुंचे पकंज त्रिपाठी ने बताया कि वो दमदार एक्टिंग के लिए सिनेमा नहीं देखते बल्कि वक्त मिलने पर पढ़ना पसंद करते हैं.
पकंज त्रिपाठी ने कहा, ''एक्टिंग करने के लिए सिर्फ सिनेमा रिफरेंस नहीं है. मैं फ़िल्में नहीं देखता बल्कि पढ़ता हूँ. अखबार पढ़ता हूं, किताबें पढ़ता हूं. वक़्त मिलता है तो कहीं घूमने चला जाता हूं. मुझे दुनिया से कनेक्टेड रहना पसंद है.''
वेब सीरिज 'मिर्जापुर' में पकंज त्रिपाठी कालीन भैया के किरदार में नज़र आए हैं. उनकी एक्टिंग की खूब तारीफ हो रही है. इस सीरिज में पंकज त्रिपाठी डायलॉग कम बोलते हैं और अपने चेहरे के भाव से ही सारी बात बोल जाते हैं. इस पर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ''सिनेमा विज़ुअल मीडियम है इसमें सब कुछ बोलने की ज़रूरत नहीं है. वैसे तो इंडस्ट्री में एक्टर्स हमेशा ज्यादा डायलॉग्स मांगते हैं लेकिन मैं हमेशा डायरेक्टर से डायलॉग कम करने के लिए बोलता हूं. अगर कम बोलने से भी काम हो सकता है तो फिर ज्यादा क्या बोलना.''
जब राजनीति ज्वाइन करने का सवाल हुआ तो उन्होंने बहुत ही मजाकिया अंदाज में कहा कि अभी तो मन नहीं है लेकिन मन का क्या कभी भी बदल सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि राजनीति में जाने का तो पता नहीं लेकिन इतना पता है कि बिहारी लोग पॉलिटिक्स से बहुत अवेयर होते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि उनका राजनीतिक विचारधारा क्या है तो उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि सब कुछ साफ हो गया. उन्होंने कहा, ''राजनीतिक विचारधारा बदलती रहती है. पहले हमारा देश कृषि प्रधान देश था लेकिन अब आहत प्रधान देश है. राजनीतिक विचारधारा बताऊँ तो हो सकता है कुछ लोग आहत हो जाएं.''
पंकज त्रिपाठी ने यहां बच्चों की अपनी एक कहानी भी सुनाई जिसे वहां मौजूद लोगों ने खूब इन्जॉय किया. साथ ही सिनेमा से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया.
पकंज ने यहां बताया कि कुछ लोग मानसिक रूप से ठकते हैं कुछ शारीरिक रूप से ठकते हैं लेकिन कलाकार भावनात्मक रूप से थकता है. एक कलाकार बेवजह रोता है, बेवजह हँसता है, बेवजह प्यार करता है, तो ये बहुत कठिन होता है.
आपको बता दें कि कथाकार इंटरनेशनल स्टोरीटेलर फेस्टिवल का आयोजन दिल्ली के इंदिरा गांधी कला केंद्र में किया गया. इस फेस्टिवल में बच्चों को स्टोरी सुनाने के लिए देश-विदेश से कलाकार पहुंचे. इस फेस्टिवल में इम्तियाज अली और मोहित चौहान ने भी शिरकर की और सिनेमा को लेकर बातचीत की.
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