Pankaj Tripathi Father: पापा का सपना तोड़कर एक्टर बने थे पंकज त्रिपाठी, हर फिल्म की रिलीज से पहले जरूर करते हैं यह काम
Pankaj Tripathi Father: एक्टर पंकज त्रिपाठी इस वक्त अपनी जिंदगी के सबसे बड़े गम से जूझ रहे हैं. उनके पिता पंडित बनारस तिवारी का निधन हो गया है.
Pankaj Tripathi Father: बड़े पर्दे पर वह कभी मुन्ना भइया के पिता बने तो कभी गुंजन सक्सेना के. हाल ही में वह ओएमजी 2 में पिता का किरदार निभाकर आरुष वर्मा को पूरी दुनिया से बचाते नजर आए, लेकिन अब उन्हीं पंकज त्रिपाठी को पिता के रूप में दुनिया का सबसे बड़ा झटका लगा है. दरअसल, उनके पिता पंडित बनारस तिवारी का निधन हो गया है. वह 99 साल के थे. काल के क्रूर हाथों ने पंकज त्रिपाठी की जिंदगी के 'कागज' पर ऐसे निशान बना दिए हैं, जिसका दर्द उन्हें ताउम्र रहेगा. आइए हम आपको बताते हैं कि पंकज त्रिपाठी और उनके पिता पंडित बनारस के बीच कैसा रिश्ता था?
पिता का सपना तोड़कर बने थे एक्टर
हर पिता को अपने बेटे से कुछ उम्मीद होती है. वह अपने बेटे के लिए तमाम सपने संजोता है और उम्मीद करता है कि उसका बेटा उसकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा, लेकिन पंकज त्रिपाठी ने अपने पिता के सपनों को चकनाचूर किया था. इसका जिक्र पंकज त्रिपाठी ने खुद कई इंटरव्यू में किया था. अभिनेता ने बताया था कि उनके पिता उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे. उनका सपना था कि उनका बेटा लोगों की सेवा करे, लेकिन पंकज त्रिपाठी ने अपने सपने पर फोकस किया और एक्टर बन गए.
सिर्फ एक बार मुंबई आए थे पंकज के पिता
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पंकज त्रिपाठी भले ही पूरी दुनिया के लिए दिग्गज कलाकार बन गए, लेकिन उनके पिता को उनकी उपलब्धियां पसंद नहीं थीं. आलम यहां तक रहा कि पंकज के पिता ने उनकी कोई भी फिल्म थिएटर में नहीं देखी. पंडित बनारस ने कभी पंकज त्रिपाठी की तारीफ भी नहीं की. वह तो सिर्फ एक बार मुंबई आए थे, वह भी उस वक्त, जब मुंबई में पंकज त्रिपाठी के घर का गृह प्रवेश समारोह था. पंकज त्रिपाठी ने बताया था कि मेरे पिता ने कभी मेरी उपलब्धियों पर गर्व नहीं किया. वह यह नहीं जानते थे कि मैं सिनेमा में क्या और कैसे करता हूं.
ऐसा था पंकज त्रिपाठी और उनके पिता का रिश्ता
स्पॉटबॉय को दिए एक इंटरव्यू में पंकज त्रिपाठी ने कहा था, 'बाबू जी और मेरे बीच बहुत ज्यादा कम्युनिकेशन नहीं है. मेरे जीवन में क्या और क्यों चल रहा है, वह मुझसे बैठकर बातें नहीं करते हैं. न उन्होंने मुझे कभी किसी भी चीज के लिए रोका. मैं जब घर जाता हूं तो बस इतना पूछते हैं कि तुम्हारा सब ठीक है न? मैं बोल देता हूं कि हां सब ठीक है. बस हम दोनों के बीच इतनी ही बातचीत होती थी.'
एक्टिंग की जगह इन बातों पर करते थे फोकस
पंकज त्रिपाठी कई इंटरव्यू में बता चुके हैं कि उनके पिता ने उनकी फिल्मों के कुछ सीन बस लैपटॉप पर देखे हैं, क्योंकि उन्हें टीवी देखना पसंद नहीं. पंकज त्रिपाठी के गांव वाले घर में भी टीवी नहीं है. उन्होंने अपने पैरेंट्स से घर में टीवी लगवाने के लिए कई बार कहा. यहां तक कहा कि कम से कम मेरी फिल्में देख लेना, लेकिन मां और बाबूजी ने टीवी लगवाने के लिए हमेशा मना कर दिया. वह जब भी मेरा कोई सीन देखते तो बस इतना ही कहते कि मैं बहुत दुबला हो गया हूं. ठीक से न खाता हूं और न सोता हूं. उनका फोकस कभी मेरी एक्टिंग पर नहीं रहा.
हर फिल्म की रिलीज से पहले यह काम करते हैं पंकज
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दिग्गज कलाकार होने के बाद भी पंकज त्रिपाठी अपने संस्कार नहीं भूले हैं. वह अपनी हर फिल्म के रिलीज होने से पहले अपने गांव जाते हैं और अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेते हैं. फिल्म मिमी, शेरदिल द पीलीभीत और कागज की रिलीज से पहले भी पंकज गांव गए थे और अपने पैरेंट्स का आशीर्वाद लिया था. वहीं, पंकज के गांव के लोग कहते हैं कि जब पंकज गांव आते हैं तो कभी नहीं लगता कि वे किसी स्टार से मिल रहे हैं. वह अपने हाथ से लिट्टी बनाते हैं और छठ के दौरान डाला के लिए खेत से हल्दी भी खुद निकालते हैं.