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Monday Motivation: वो एक्ट्रेस जिनके पास नेम-फेम सब कुछ था फिर भी जिंदगी से करने लगी थीं नफरत, कहानी हौसले, जज्बे और जिंदगी की

Monday Motivation: एक समय ऐसा भी आया था जब डिप्रेशन से जूझ रही दीपिका पादुकोण सोकर जगना ही नहीं चाहती थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और जिंदगी को चुना. ये कहानी आपको एनर्जी देगी.

Monday Motivation: सबसे पहले तो अपना ख्याल रखिए. खुद से प्यार कीजिए. क्योंकि दुनिया में आपके लिए अगर कुछ सबसे ज्यादा जरूरी है तो वो हैं खुद 'आप'. बहुत से लोग हैं आपके आसपास जो चाहे कुछ भी हो जाए वो आपसे सेल्फलेस प्यार जरूर कर रहे होंगे. उनके लिए और खुद के लिए खुद को तैयार कीजिए क्योंकि जिंदगी के कई रंग हैं. इनमें से बहुत से बहुत ही हसीन हैं. जिंदगी को इस नजरिए से देखने के लिए दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) की ये कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए

दीपिका बहुत ही बुरे दौर से गुजरीं. लेकिन उन्होंने इसका सामना किया और कामयाबी की नई कहानी पेश की जो आपके सामने है. दीपिका को अपनी जिंदगी में सिर्फ नेगेटिविटी दिखने लगी थी. वो डिप्रेशन का इस कदर शिकार हो गईं थीं कि कई बार उन्हें सुसाइड जैसे ख्याल भी आए. तो चलिए जानते हैं दीपिका के हौसले से जुड़ी उन बातों के बारे में जो आपके लिए सीख की तरह हैं.

 
 
 
 
 
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क्यों सुननी चाहिए आपको दीपिका की कहानी?
दरअसल दीपिका ने एनडीटीवी के एक कार्यक्रम में कई साल पहले अपने डिप्रेशन के बारे में खुलकर बात की थी. उन्होंने ये बात इसलिए भी की थी क्योंकि लोग मानसिक समस्याओं को लेकर झिझक में जीते हैं और खुलकर इस बारे में बात नहीं करते.

दीपिका ने दिखाई थी हौसले की मिसाल
दीपिका ने अपनी मानसिक समस्या के बारे में इंटरव्यू के दौरान बताया था कि वो 2013 और 2014 के आसपास डिप्रेशन का सामना कर रही थीं. यानी दीपिका तब सुपरस्टार बन चुकी थीं. उनकी एक नहीं कई बड़ी फिल्में आ चुकी थीं और उन्हें दर्शकों और आलोचकों ने सराहना शुरू कर दिया था. पहली फिल्म ओम शांति ओम से लेकर, लव आज कल, गोलियों की रासलीला रामलीला और ये जवानी है दीवानी जैसी तमाम फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया था.

इस इंटरव्यू में दीपिका ने स्वीकारा था कि उनकी जैसी हस्ती के लिए पब्लिकली अपनी समस्या के बारे में बताना उनके लिए नुकसानदायक हो सकता था. उन्हें कई लोगों ने मना भी किया था. लेकिन फिर भी उन्होंने ये फैसला लिया क्योंकि वो नहीं चाहतीं जिस समस्या का सामना उन्होंने किया उसका सामना किसी और को करना पड़े. साफ है कि ये उनका जज्बा ही है कि उन्होंने अपनी इमेज की परवाह किए बगैर ऐसी समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए आगे आने का फैसला किया.

क्या बताया था दीपिका ने?
दीपिका ने बताया था कि एक दिन अचानक मैं उठी और मुझे खालीपन सा महसूस हुआ. मैं समझ नहीं पा रही थीं कि मुझे हुआ क्या है. एक दिन जब मेरे मम्मी-पापा मुझसे मिलकर बेंगलुरु वापस जा रहे थे, तो मैं अचानक से रो पड़ी. मां ने मुझसे पूछा कि क्या हुआ है. लेकिन मेरे पास जवाब नहीं था. मां समझ गईं कि मुझे डिप्रेशन है. दीपिका ने बताया कि इस डिप्रेशन से निकलने में उनकी मां ने उनकी मदद की. दीपिका ने बताया कि वो एक पल तो फंक्शन, शूट और बाकी उनके कामों के लिए हंसी-खुशी जाती थीं, लेकिन दूसरे ही पल उन्हें अकेलापन सताने लगता था. और इन सबसे छुपने के लिए वो कभी सोकर जगना ही नहीं चाहती थीं.

जब दीपिका ने पहली पारी का अंत किए बगैर ही शुरू कर दी दूसरी पारी
दीपिका सुपरस्टार बन चुकी थीं. डिप्रेशन का शिकार होने के बावजूद वो इससे न सिर्फ बाहर निकलीं, बल्कि अपनी दूसरी पारी की शुरुआत भी कर दीं. और इस पारी में वो और भी निखरकर सामने आईं. उन्होंने उसके बाद, पद्मावत, बाजीराव मस्तानी, पीकू और तमाशा जैसी ऐसी बेहतरीन फिल्में बॉलीवुड के अकाउंट में जोड़ दीं, जिन्हें आज के सालों बाद भी लोग देखना पसंद करेंगे.

साल 2017 में उनके हाथ एक और बड़ी उपलब्धि लगी और पहली बार हॉलीवुड की बड़ी फ्रेंचाइजी फिल्म XXX के सेकेंड पार्ट में विन डीजल के अपोजिट नजर आईं. दीपिका को इनमें से कई फिल्मों के लिए बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है. आने वाले दिनों में दीपिका 'ब्रह्मास्त्र' के सेकेंड पार्ट, फाइटर और 'कल्कि 2898 AD' में नजर आने वाली हैं.

डिप्रेशन की समस्या दुनियाभर में हर साल निगल जाती हैं लाखों जिंदगियां
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक, साल 2015 तक डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा की थी. यानी दुनिया भर की कुल आबादी का 5 प्रतिशत के आसपास. और ये वो संख्या है जो सिर्फ आंकड़ों में फीड है. यहां दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत में 18-49 साल के लोगों में से 15 प्रतिशत के आसपास की आबादी डिप्रेशन से ग्रसित है. इसके अलावा, यहां इसकी वजह से दुनियाभर में आत्महत्या से जुड़े जो आंकड़े बताए गए हैं वो काफी डरावने हैं. ये संख्या 8 लाख से ज्यादा है. इसलिए अगर आपके आसपास कोई ऐसा है जो ऐसी समस्या से जूझ रहा है तो उसकी हेल्प कीजिए.

पॉजिटिव हो जाइए और खुद से बोलिये जो होगा देखा जाएगा
थोड़ा सा दिमाग में जोर डालिए और सोचिए कि आपके साथ कभी न कभी कुछ ऐसा जरूर हुआ होगा, जिसकी वजह से आपको लगा होगा कि अब आगे क्या होगा? जैसे अलग-अलग स्तर पर असफलता का सामना करना पड़ा होगा. कभी बचपन में आपसे कोई ग्लास फूट गया होगा और आपने सोचा होगा कि मां या पापा इसके लिए मुझे डांटेंगे. या फिर शायद मार्क्स कम आए होंगे जिससे आप निराश हुए होंगे. या फिर शायद किसी इंटरव्यू में पास नहीं हुए होंगे. या फिर ये भी हो सकता है कि कोई बहुत खास आपको छोड़कर दूर जा चुका होगा.

लेकिन आज आप जहां पर हैं वहां से पीछे मुड़कर एक बार देखिए, आपको साफ समझ आ जाएगा कि अरे इतनी भी बड़ी बात नहीं थी. कहने का मतलब सिर्फ इतना है कि जो चीज हमें वर्तमान में बहुत दुखी कर रही होती है, असल में वो भी एक दिन बीते दिनों की बात हो जाती है. और एक समय बाद वो हमें टेंपरेरी प्रॉब्लम लगती है.ऐसा नहीं है कि जिंदगी में चुनौतियां नहीं आतीं. हो सकता है आज भी आपके सामने कुछ ऐसा हो जो आपको परेशान कर रहा हो. लेकिन, दो पल खुद को दीजिए और खुद से ये जरूर कहिए कि परेशानी जैसा इसमें क्या है? दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसका हल न हो. फिर देखिए आपकी परेशानी छूमंतर होती है या नहीं. और दीपिका की ये कहानी भी जरूर मन में सोचिए कि उन्होंने कैसी जंग लड़ी है. देखिएगा आप एनर्जी से भर जाएंगे.

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