Critics Review: चुनाव में चमके 'पीएम नरेंद्र मोदी' लेकिन दर्शकों को नहीं भाई उनकी बायोपिक
ज्यादातर रिव्यूअर्स ने फिल्म के डायरेक्टर ओमंग कुमार के काम की आलोचना की है. उनका मानना है कि उन्होंने इस फिल्म में बायोग्राफी के बजाय सब्जेक्ट को लेकर हद से ज्यादा भक्ति की भावना दिखाई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में ऐतिहासित जीत हासिल की है. चुनाव के नतीजों के बाद पीएम मोदी की बायोपिक फिल्म 'पीएम नरेंद्र मोदी' भी रिलीज कर दी गई है. फिल्म में अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने पीएम मोदी का लीड रोल निभाया है. आचार संहिता के कारण चुनाव आयोग ने फिल्म की रिलीज पर आखिरी वोटिंग यानि 19 मई तक रोक लगा दी थी. ऐसे में काफी विवादों के बाद 24 मई यानि आज इस फिल्म को रिलीज कर दिया गया है. फिल्म की रिलीज से पहले माना जा रहा था कि इस फिल्म से लोकसभा चुनाव 2019 में पीएम मोदी को फायदा मिल सकता है. फिल्म की रिलीज के बाद यहां जानिए कि इसे लेकर क्रिटिक्स और रिव्यूअर्स की क्या राय है.
ज्यादातर रिव्यूअर्स ने फिल्म के डायरेक्टर ओमंग कुमार के काम की आलोचना की है. उनका मानना है कि उन्होंने इस फिल्म में बायोग्राफी के बजाय सब्जेक्ट को लेकर हद से ज्यादा भक्ति की भावना दिखाई है.
हिंदुस्तान टाइम्स ने इस फिल्म को पांच में से एक स्टार देते हुए रिव्यू में कहा है, "भारत की ये वो सबसे बेहतरीन बायोपिक है जिसमें फैक्ट्स के लिए कोई जगह नहीं हैं. लेखक संदीप एस सिंह और डायरेक्ट ओमंग कुमार ने इस फिल्म को पीएम मोदी को समर्पित नहीं किया है बल्कि फिल्म में पीएम मोदी को किसी देवता की तरह दिखाया है. ये फिल्म फीचर की तरह कम दिखाई देती है बल्कि किसी पुराने पौराणिक फिल्मों की तरह ज्यादा नजर आती है जिसे दर्शक अपने जूते उतार कर देखते हैं."
इंडिया टुडे ने भी इस फिल्म को पांच में से एक स्टार दिया है. फिल्म के रिव्यू में उन्होंने लिखा है, "विवेक ओबेरॉय को इस फिल्म में अभिनय नहीं करना था. फिल्म में विवेक का मोदी इंप्रेशन इतना प्वाइंट से हटकर है कि आप 2 घंटे 15 मिनट की इस फिल्म में हर समय विवेक को पीएम मोदी से कंपेयर करते रहते हैं और सोचते रहते हैं... पीएम मोदी विवेक ओबेरॉय से अच्छे अभिनेता साबित हो सकते हैं."
मिड डे ने इस फिल्म को पांच में से डेढ़ स्टार दिए हैं. इसके साथ ही फिल्म के रिव्यू में उन्होंने लिखा है, "ये एक अच्छी बायोपिक के करीब भी नहीं है. ये फिल्म आपको काफी निराश करती है. ये आश्चर्य की बात नहीं है कि फिल्म पूरी तरह से भक्ति पर आधारित है. फिल्म पूरी तरह से अपने किरदारों की ओर एक तरफा झुकाव रखती है."
फर्स्टपोस्ट ने इस फिल्म को पांच में से जीरो स्टार दिए हैं. इसके साथ ही उन्होंने अपने रिव्यू में लिखा है, "स्क्रीनप्ले में तथ्यों को काफी बारीकि से छान दिया गया है और एक नया, लिखित इतिहास प्रस्तुत किया गयाृ है जिसे अब तक रिकॉर्ड की गई वास्तविकता से हटा दिया गया है, कि यह वास्तविक मोदी से बहुत समानता रखता है."
स्क्रॉल डॉट इन ने इस फिल्म को प्रोपेगेंडा बताते हुए लिखा है, "मोदी के उदय में फिल्म के किसी भी प्रस्ताव को अनजाने में दिखाया गया है. अन्य सभी से ऊपर एक आदमी पर ध्यान केंद्रित करने वाले मोनोमेनिकल निश्चित रूप से उन लोगों के लिए रुचि रखते हैं जो अध्ययन करते हैं कि कैसे प्रोपेगेंडा के लिए सिनेमा का उपयोग किया जा सकता है."