Shailendra Unknown Facts: अगर आप राज कपूर के गानों के फैन हैं तो आपको गीतकार शैलेंद्र भी पसंद आएंगे. राज कपूर के ज्यादातर गाने शैलेंद्र ने ही लिखे थे और उस दौर में दोनों अच्छे दोस्त भी हुआ करते थे. साल 2023 में गीतकार शैलेंद्र की 100वीं जयंती मनाई गई थी और इस साल यानी 30 अगस्त को उनकी 101वीं बर्थ एनिवर्सरी थी. 


गीतकार शैलेंद्र ने अपने दौर में एक से बढ़कर एक गाने लिखे और कुछ फिल्में भी बनाईं. उनकी एक खराब आदत थी कि वो शराब और सिगरेट बहुत पीते थे. लेकिन उनका टैलेंट उनकी इन कमियों को छोटा कर देता था. शैलेंद्र किस तरह के गीतकार थे, उनकी मौत कैसे हुई, चलिए आपको उनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातें बताते हैं.




कौन थे शैलेंद्र?


30 अगस्त 1923 को ब्रिटिश इंडिया के रावलपिंडी (अब पाकिस्तान में) शहर में हुआ था. शैलेंद्र का पूरा नाम शंकरदास केसरीलाल शैलेंद्र था.  इनका जन्म एक चमार फैमिली में हुआ था और जब इनकी उम्र बहुत कम थी तभी इन्होंने अपनी मां और बहन को खो दिया था. शैलेंद्र के पिता रावलपिंडी के मिलिट्री अस्पताल में काम करते थे.


टीनएज में शैलेंद्र मथुरा में आकर रहने लगे थे. मथुरा में कुछ साल रहने के बाद ये मुंबई आ गए जहां इन्हें इंडियन रेलवे में संविधा पर नौकरी मिल गई. उसी दौरान शैलेंद्र ने कविता लिखनी शुरू की. राज कपूर ने शैलेंद्र को नोटिस किया और उन्हें अपने ऑफिस बुलाया. यहां से शैलेंद्र की किस्मत पलट गई.


शैलेंद्र के गाने


राज कपूर के ऑफिस में शैलेंद्र ने फिल्मों के लिए गाना लिखने से मना कर दिया था. लेकिन बाद में उनकी शादी हुई और जब उनकी वाइउ प्रेग्नेंट हुईं तो उन्हें पैसों की जरूरत थी. तब वो राज कपूर के पास गए और उन्होंने पैसों के लिए उनकी फिल्म बरसात (1949) साइन कर दी इस फिल्म के लिए शैलेंद्र ने दो गाने (पतली कमर है और बरसात में) लिखे जिसके लिए राज कपूर ने उन्हें 500 रुपये दिए थे.




इसके बाद राज कपूर, शैलेंद्र और शंकर-जयकिशन की टीम बनी और इन्होंने कई हिट गाने दिए. साल 1951 में आई फिल्म आवारा का सुपरहिट गाना 'आवारा हूं' लिखा. इस गाने ने कई रिकॉर्ड्स तोड़े. इसके बाद 'रमैया वस्तावैया', 'मुड मुड के ना देख', 'मेरा जूता है जापानी', 'प्यार हुआ इकरार हुआ' जैसे कई सुपहिट गाने शैलेंद्र ने लिखे.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शैलेंद्र ने अपने 17 साल के फिल्मी करियर में लगभग 900 गाने लिखे थे. इन्हें हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा गीतकार बताया गया है. शैलेंद्र एक गाने की अच्छी-खासी फीस लेते थे, बताया जाता है उतनी फीस आज तक जावेद अख्तर या गुलजार को भी नहीं मिली.



शैलेंद्र की मौत


साल 1961 में शैलेंद्र ने एक प्रोडक्शन कंपनी में काफी पैसा लगाया था. इसमें फिल्म बनी 'तीसरी कसम' (1966)  जिसमें राज कपूर और वहीदा रहमान जैसे कलाकार थे. इस फिल्म को नेशनल अवॉर्ड तक मिला लेकिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म फ्लॉप हो गई थी. इसका झटका शैलेंद्र को बहुत बुरा लगा था और फिर वो शराब बहुत ज्यादा पीने लगे थे. 14 दिसंबर 1966 को लीवर खराब होने के कारण शैलेंद्र का निधन महज 43 साल की उम्र में हो गया था.


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