मुंबई : राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता फिल्मकार प्रकाश झा का कहना है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में लोग जो देखना चाहते हैं, उसे देखने की छूट होनी चाहिए और फिल्मों को सेंसर यानी उनके दृश्यों की काट-छांट नहीं करनी चाहिए.

प्रकाश झा विवादित फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' के निर्माता हैं. इस फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सेंसर बोर्ड) से प्रमाणपत्र पाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी थी और निर्माताओं द्वारा अपीलीय न्यायाधिकरण का दरवाजा खटखटाने के बाद फिल्म को हरी झंडी मिली थी.

इस बारे में उनकी राय पूछे जाने पर झा ने कहा, "पहली बात, हमारी फिल्मों में सेंसरशिप नहीं होनी चाहिए. यह अपने आप में एक बात है कि लोगों का एक समूह यह फैसला करेगा कि बाकी देश को क्या देखना है. हम लोकतांत्रिक देश हैं, तो फिर यह कैसे हो सकता है? हम, दर्शक सर्वश्रेष्ठ जज हैं कि हमें क्या देखना चाहिए और क्या नहीं देखना चाहिए."

झा ने पूछे जाने पर कि क्या फिल्म बनाते समय उन्होंने सोचा था कि उन्हें इन बाधाओं का सामना करना पड़ेगा तो उन्होंने कहा कि अपने करियर में वह चार बार अपीलीय न्यायाधीकरण जा चुके हैं और अब उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होती. लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं की थी कि बेहतरीन पटकथा वाली यह फिल्म 'लिपस्टिक अंडर माई बुर्का' इस तरह के मुद्दों का सामना करेगी.

फिल्म की कहानी चार ऐसी महिलाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपनी जिंदगी खुलकर जीना चाहती हैं. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य कि बात है कि हमारे समाज में एक महिला को बुनियादी चीजों जैसे कपड़ों, भोजन और व्यवहार को लेकर पुरुषों की सोच के हिसाब से रहना पड़ता है.