सीएए, एनआरसी के विरोध पर बोले प्रसून जोशी- असहमति में छोड़ रहे हैं गरिमा
प्रसून जोशी ने सीएए और एनआरसी के विरोध प्रदर्शन को लेकर असहमति में व्यक्तिगत हमले करने पर भी आपत्ति जताई है. प्रसून जोशी ने बताया है कि वो पीएम मोदी को 'फकीर' क्यों मानते हैं.
गीतकार, लेखक और सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) को लेकर जारी विरोध की ओर इशारा करते हुए कहा कि असहमति में हम गरिमा छोड़ रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने असहमति में व्यक्तिगत हमले करने पर भी आपत्ति जताई.
जयपुर साहित्य उत्सव में यहां एक सत्र के दौरान प्रसून जोशी ने कहा, ‘‘फिलहाल निजी हमले एक आम बात हो गई है. किसी बात पर सहमति और असहमति तो हो सकती है, लेकिन इन दिनों असहमति में हम गरिमा को छोड़ रहे हैं. असहमति तो होगी, लेकिन यह गरिमापूर्ण असहमति होनी चाहिए.’’ उन्होंने असहमति में व्यक्तिगत हमलों से बचने की सलाह भी दी.
प्रसून जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए कहा कि ‘‘आपसे फिर कहता हूं बार-बार कहता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री देश के लिए समर्पित हैं. मुझे इसमें कोई शक नहीं है.’’ दरअसल उनसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उनके द्वारा ‘फकीर’ शब्द इस्तेमाल किए जाने को लेकर सवाल पूछा गया था.
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इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि आज भी बेहद कम लोग होंगे जो इस बात से इंकार करेंगे कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सौ फीसदी देश के लिए सोचते हैं. आप इस पर शक नहीं कर सकते. ‘‘इसीलिए मैने उनके लिए फकीर शब्द का इस्तेमाल किया. वह खुद के लिए नहीं बल्कि देश के लिए सोचते हैं.’’
भाषा में गालियों एवं अभद्र शब्दों के प्रयोग को जोशी ने आलस करार दिया. उन्होंने कहा कि जिसके पास शब्द नहीं होते वह हर जगह सिर्फ एक शब्द लगा देता है. उन्होंने कहा, ‘‘मेरी नजर में यह सिर्फ आलस है, लेकिन जिसके पास शब्द है वह स्पष्ट करता है, यह नीला है और यह पीला है और इसके बीच में एक शब्द है जो मैं तलाशता हूं..... उन्होंने कहा कि मुझे आपत्ति नहीं है कि अगर एसएमएस या टैक्स्ट शब्द हमारी भाषा का हिस्सा बन जाए,लेकिन अगर वह संदेश शब्द की हत्या कर आ रहा है तो यह तो भाषा की विपन्नता हुई.’’
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सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका से जुड़े एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आप कुछ भी फिल्माइए मुझे कोई परहेज नहीं है, लेकिन आप जाहिर कर फिल्माइये. उन्होंने कहा कि हम विवादों से विचार विमर्श की तरफ गए हैं, इसलिए चीजें सुधरी हैं.
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गुलाबी नगरी में गुरुवार से जयपुर साहित्य उत्सव (जेएलएफ) 2020 की शुरुआत हुई. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ संजॉय के रॉय, विलियम डेलरिम्पल नमिता गोखले, शुभा मुद्गल चन्द्र प्रकाश देवल ने औपचारिक शुरुआत की.
जेएलएफ का यह 13वां संस्करण है और इसमें 23 से 27 जनवरी तक कविता, कहानी, उपन्यास, भाषा के साथ साथ पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान और तकनीक, गरीबी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी मंथन होगा.
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पांच दिन तक चलने वाले जेएलएफ में नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी, लेखक एवं सांसद शशि थरूर, पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश, प्रेमचंद की पौत्री सारा राय समेत 550 वक्ता विभिन्न मुद्दों और विषयों पर अपने विचार रखेंगे. इस संस्करण में 15 भारतीय और 20 विदेशी भाषाओं के वक्ता अपने अपने अनुभव एवं विचार साझा करेंगे.
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