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नेपोटिज्म को लेकर बोलीं प्रियंका चोपड़ा, 'यहां हर कोई किसी न किसी की बेटी या अंकल है'

प्रियंका चोपड़ा को बॉलीवुड में एंट्री किए 15 साल बीत चुके हैं और वो अक्सर अपने शुरुआती दिनों के अऩुभवों के बारे में बात करती नजर आ जाती हैं. लेकिन इस बार प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड में मौजूद नेपोटिज्म को लेकर बात की है.

नई दिल्ली: प्रियंका चोपड़ा को बॉलीवुड में एंट्री किए 15 साल बीत चुके हैं और वो अक्सर अपने शुरुआती दिनों के अऩुभवों के बारे में बात करती नजर आ जाती हैं. लेकिन इस बार प्रियंका चोपड़ा बॉलीवुड में मौजूद नेपोटिज्म को लेकर बात की है. कंगना रनौत और करन जौहर की बीच एक चैट शो में नेपोटिज्म को लेकर शुरू हुई इस बहस में अब प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हो गई हैं. प्रियंका ने इस पर बात करते हुए कहा, ''जब मैंने फिल्म इंडस्ट्री ज्वाइन की थी कब मैं एक ब्यूटी पेगेंट जीत कर आई थी और लोग मुझे पहचानते थे इसलिए मेरे लिए फिर भी शुरुआत थोड़ी आसान थी. मेरी कुछ शुरुआती फिल्मों से मुझे सिर्फ इसलिए बाहर कर दिया गया था क्योंकि मेरी जगह किसी एसे को दी जाती थी जिसे किसी न किसी ने रिकमेंड किया होता था. जो इंडस्ट्री में किसी की बेटी होती थी. मुझे लगता था कि काम मेरी काबिलियत के बल पर मिलता है और इसी कारण से ये किसी और को मिलता होगा.''

When Mansur Ali, 12 yrs old, first came to the Child Friendly Space (CFS) at the Balukhali camp, he was only drawing scenes of bloodshed and violence. Helicopters shooting at him and his friends playing soccer... or his village and home being on fire with burning bodies all around him.. Today, his drawings reflect a more hopeful story, one we would like all these children to have. Since the #Rohingya children have arrived in Cox’s Bazar, they have been living in overcrowded camps with no real place that to call their own. Imagine a space that lets you forget your troubles and be a child again... even if its only for just a few hours a day. For the Rohingya children, over 300,000, in the camps in Bangladesh this is the only space that allows them to be kids. These Child Friendly Spaces created by @unicef give kids access to art, music, dance, sport, and counselling etc. The space has often proved to be very therapeutic, helping these kids deal with the horrific situations they faced.. the @unicef aid workers work tirelessly to make sure these children find their spirit again. It doesn’t matter where a child is from or what his or her circumstances are... NO child deserves a life without hope for the future. The world needs to care. We need to care. Please lend your support at www.supportunicef.org #childrenuprooted @unicef @unicefbangladesh

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प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि जब मैं बॉलीवुड में आई थी तो यहां सब किसी न किसी की बेटियां या किसी न किसी का कोई अंकल होता है. ऐसे में बिना किसी फिल्मी बैकग्राउंड के प्रोडक्शन हाउस में एंट्री पाना बेहद मुश्किल होता था. इस दौरान प्रियंका ने अपने प्रोडक्शन हाउस को लेकर बात करते हुए कहा कि उनके प्रोडक्शन हाउस में बनी सभी फिल्मों के डायरेक्टर्स नए थे. उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि इंडस्ट्री में बॉक्स ऑफिस बहुत मायने रखता है लेकिन सबसे अहम कहानी होती है और हम इसे लेकर हमेशा सचेत रहते हैं. प्रियंका से पहले आलिया भट्ट ने भी नेपोटिज्म पर बात करते हुए कहा था कि इंडस्ट्री में ये है और इससे इंकार नहीं किया जा सकता. साथ ही उन्होंने कास्टिंग काउच को लेकर भी कहा था कि इंडस्ट्री में कास्टिंग काउच है लेकिन मैं न्यूकमर्स से कहना चाहूंगी कि आप अपने टेलेंट पर यकीन रखें.
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