Satish Kaul Birth Anniversary: 'कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं ज़मीं तो कहीं आसमां नहीं मिलता, बुझा सका है भला कौन वक़्त के शोले, ये ऐसी आग है जिसमें धुआं नहीं मिलता.' ये लाइन पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार सतीश कौल पर बिल्कुल सटीक बैठती है.
जी हां, हम बात कर रहे हैं पंजाबी इंडस्ट्री के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले स्टार सतीश कौल की जिन्होंने अपने फिल्मी करियर में लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है. बर्थ एनिवर्सरी के मौके पर चलिए आपको इनसे जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
कौन थे सतीश कौल?
जीरो से हीरो बने इस एक्टर का सफर कैसे लाचारी पर आकर खत्म हुआ शायद यह कोई ही जानता है. 8 सितंबर 1946 में कश्मीर की वादियों में जन्मा यह नौजवान बचपन से ही एक एक्टर बनने की चाहत रखता था.
बस यही चाहत उसे भारतीय फिल्म और टेलिविजन संस्थान पुणे ले आई जहां से एक्टर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया. एक मुकाम हासिल करने के लिए उन्होंने काफी संघर्ष किया और उनका यह संघर्ष उन्हें पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री खींच लाया. उनके पिता मोहनलाल कश्मीरी म्यूजिक कंपोजर थे जो मुंबई दूरदर्शन के डायरेक्टर भी रहे.
1973 के बाद यह पंजाबी इंडस्ट्री का एक बड़ा चेहरा बनकर सामने आए. मगर कहते हैं ना कि जीवन में आपको कुछ भी मिल जाए, मगर कुछ और पाने की चाहत कभी खत्म नहीं होती. इस पंजाबी एक्टर ने भी बॉलीवुड में जाने का सपना देखा, जो प्रोड्यूसर शिवकुमार ने पूरा किया. उन्होंने फिल्म अंग से अंग लागले (1974) से बॉलीवुड में डेब्यू किया.
पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में सतीश कौल का करियर
एक्टर सतीश कौल ने हिंदी फिल्म जगत में भी काम किया लेकिन खास सफलता नहीं मिली. इसलिए उन्होंने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री की तरफ रुख किया. यहां उनका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोला और उन्होंने अपने करियर में कई सुपरहिट पंजाबी फिल्में दी हैं.
यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी. उनकी बॉलीवुड में काम करने की चाहत और बढ़ने लगी, जिसके बाद उन्हें सुभाष घई द्वारा निर्देशित फिल्म कर्मा (1986) में काम करने का मौका मिला. इसमें उन्होंने दिलीप कुमार जैसे बड़े कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर की.
इसके बाद वह टेलीविजन पर भी कुछ यादगार सीरियल में नजर आए, जिसमें बी आर चोपड़ा की महाभारत और विक्रम बेताल जैसे शो शामिल है. कितना बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद सतीश कौल को पंजाबी सिनेमा का अमिताभ बच्चन कहा जाने लगा, मगर कहा जाता है न हमेशा के लिए कोई बुलंदी पर नहीं रह पाता ऐसा ही सतीश के साथ भी हुआ.
पंजाबी फिल्मों का तमगा हासिल करने वाला यह नौजवान बॉलीवुड में कुछ खास नहीं कर पाया. जब वह बॉलीवुड में सफल नहीं हो पाए तो उन्होंने बी ग्रेड फिल्मों को साइन करना शुरू कर दिया. जिसके चलते 90 के दशक तक आते-आते इस अभिनेता का करियर खत्म हो गया.
शाहरुख खान भी हुए थे इनसे प्रभावित
एक इंटरव्यू में बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने कहा था कि उन्होंने सबसे पहली फिल्म की शूटिंग सतीश कौल की ही देखी थी. इसके बाद ही उन्होंने एक्टिंग में आने का मन बनाया. सभी की तरह अभिनेता ने भी परिवार बसाने की कोशिश की, मगर शादी के 1 साल बाद ही उनका तलाक हो गया. इसके बाद वह लाचारी और अकेलेपन की जिंदगी जीने लगे. उम्र बढ़ने के साथ एक्टिंग से दूरी बनाई और पंजाब में एक एक्टिंग स्कूल खोला.
सतीश कौल की हिंदी फिल्में
लगभग 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाला यह अभिनेता जीवन के अंतिम दिनों में पाई-पाई को मोहताज हो गया. अपने जीवन की अंतिम दिनों में इस अभिनेता ने कई फिल्मी सितारों से मदद मांगी, मगर बॉलीवुड में जो एक मदद का हाथ आगे बढ़ा वह सिर्फ जैकी श्रॉफ का था.
बॉलीवुड में उन्होंने अंग से अंग लागले (1974), कर्मा (1986), राम लखन (1989), बंद दरवाज़ा (1990), खेल (1992) और प्यार तो होना ही था (1998) जैसी सफल फिल्मों में काम किया. पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री में उनकी सफल फिल्मों में सस्सी पुन्नू (1983), पटोला (1987) और मिशन 2017 हल्ला हो (2017) शामिल हैं. अंत समय में उनकी फाइनेंशियल हालत खराब थी. अकेलेपन और बीमारी के कारण उनका निधन 10 अप्रैल 2021 को हो गई थी.
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