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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
रेड मूवी रिव्यू: बिना वर्दी के भी हीरो हैं अजय देवगन, हौसले और ईमानदारी की कहानी है RAID
रेड मूवी रिव्यू: हीरो हमेशा यूनिफॉर्म में नहीं आता! ये कहना है रेड के हीरो अमय पटनायक का. आज अजय देवगन की फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है.
कास्ट: अजय देवगन, सौरभ शुक्ल, इलियाना डिक्रूज, अमित सायल , सानंद वर्मा, गायत्री अय्यर
डायरेक्टर: राज कुमार गुप्ता
कहानी/डायलॉग : रितेश शाह
रेटिंग: **** (4 स्टार)
हीरो हमेशा यूनिफॉर्म में नहीं आता! ये कहना है रेड के हीरो अमय पटनायक का. आज अजय देवगन की फिल्म बड़े पर्दे पर रिलीज हुई है. कई बार बड़े पर्दे पर एक ईमानदार और बहादुर सरकारी अफसर का किरदार निभा चुके अजय एक बार फिर ऐसे ही किरदार में नजर आ रहे हैं. लेकिन इस बार उनका ये अवतार पिछले किरदारों से थोड़ा अलग है और इस बार उनके किरदार की खास बात ये है कि पिछली फिल्मों में पुलिस की वर्दी में नजर चुके अजय इस बार बिना वर्दी के ही प्रशासन में मौजूद करप्शन के खिलाफ मोर्चा खोलते दिख रहे हैं.
फिल्म एक सच्ची घटना से प्रेरित है लेकिन इसे सिनेमैटोग्राफी के लिहाज से कई जगह काल्पनिक कड़ियां भी जोड़ी गई हैं. दावा किया जाता है कि साल 1981 में इंदिरा गांधी की सरकार के वक्त यूपी के एक सासंद के यहां दुनिया की सबसे लंबी चलने वाली रेड पड़ी थी. दावा तो ये भी किया जा रहा है कि इनकम टैक्स की रेड पर बनने वाली ये अपनी तरह की पहली फिल्म है. फिल्म की कहानी को बेहद खूबसूरती और चतुराई से बुना गया है. यदि इसकी कहानी की सत्यता की बात करें तो ये उस दौर में पड़ी दो बड़ी रेड के कुछ वाकयों को एक साथ जोड़कर बनाया गय़ा है.
कहानी
फिल्म की कहानी इंडियन रेवेन्यू सर्विस के ईमानदार ऑफिसर अमय पटनायक (अजय देवगन) की है. जिसका अपनी ईमानदारी के चलते पिछले सात सालों में इससे पहले 49 बार ट्रांसफर हो चुका है और इस बार उसका ट्रांसफर यूपी के लखनऊ में हुआ है. लखनऊ आते ही अमय की मुलाकात होती है वहां एक बाहुबली सांसद से जो न सिर्फ 3 बार से सांसद है बल्कि इलाके का एक दबंग नेता है जिसका नाम रामेश्वर सिंह है और उसे राजा जी (सौरभ शुक्ल) के नाम से भी जाना जाता है. लखनऊ पहुंच ही अमय को राजा जी के खिलाफ एक टिप (मुखबरी) मिलती है जिसमें टैक्स चोरी और 420 करोड़ रुपए का काला धन होने की जानकारी मिलती है. अमय परत दर परत मुखबरी के आधार पर सारे सबूत जांचता है और टैक्स चोरी को पाता है. इसके बाद वो रेड मारने के लिए ऑडर साइन करवाता है अपनी टीम के साथ चल पड़ता है राजा जी के वाइट हाउस में रेड मारने. इस बीज अमय को अपने ही डिपार्टमेंट में ही कुछ करप्ट अधिकारियों का भी सामना करना पड़ता है लेकिन कहानी के खत्म होते-होते वो लोग भी अमय के साथ हो जाते हैं.
अमय राजा जी के यहां रेड डालने जाता है और रेड शुरू करता है. इस दौरान राजा जी बिल्कुल निश्चिंत होते हैं कि अमय घर में कुछ ढूंढ नहीं पाएगा. लेकिन मजे की बात तो ये है कि खुद राजा जी को ही नहीं पता कि उनके ही परिवार वालों ने उसे धोखा दिया है और उनका घर सोने की लंका में तब्दील हो चुका है. एक-एक कर राजा जी का खजाना इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के ऑफिसर्स के हाथ लगता जाता है. इस बीच राजा जी लगातार रेड रुकवाने की कोशिश करते हैं लेकिन नाकामयाब रहते हैं. फिल्म की कहानी आपको अंत तक बांधे रहेगी एक के बाद एक राजा जी किस हद तक रेड रुकवाने का प्रयास करते हैं कि गूंज दिल्ली तक सुनाई देती है. साथ ही अमय का परिवार जिसमें सिर्फ उनकी पत्नी (इलियाना डिक्रूज) को दिखाया गया है, तक पर हमला होता है. लेकिन मजेदार बात ये है कि आखिर तक आप यही अंदाजा लगाते रह जाएंगे कि आखिर राजा जी की लंका का विभीषण है कौन और जब आपको इसके बारे में पता चलेगा तो आपके सारे कयास गलत साबित होते हैं.
डायरेक्शन- आमिर' और 'नो वन किल्ड जेसिका' जैसी फिल्में बना चुके निर्देशक राज कुमार गुप्ता एक बार फिर अपनी निर्देशन का लोहा मनवाते नजर आए हैं. फिल्म का निर्देशन बेहद दमदार है और कहानी की कड़ियां आपको पलक झपकने का भी मौका नहीं देती. रेड के प्रोसेस से लेकर रेड में आने वाली दिक्कतें और रिस्क सबको बेहद खूबसूरती से पिरोया गया है. खात बात ये है कि कहानी के उतार-चढ़ाव के बावजूद आप एक पल के लिए असहज नहीं होंगे और फिल्म देखते समय आप लगातार उसमें उलझे रहते हैं कि आखिर आगे क्या होगा और अमय का मुखबिर कौन है. उन्होंने एक आम सी कहानी को अपने निर्देशन से एक दमदार तरीके से पर्दे पर उतारा है. लेकिन फिल्म आपको सेकेंड हाफ में थोड़ी खींची हुई लगेगी और फिल्म की कहानी में आपको इलियाना डिक्रूज का किरदार जरा खलता दिखेगा. कुछ सीन ऐसे रखे गए हैं जिनमें आपको ऐसा लग सकता है कि उनके किरदार को जबरन बढ़ाया जाने की कोशिश की गई है.
एक्टिंग- अजय देवगन कहते हैं कि अपने करियर के 25 साल पूरे कर लेने के बावजूद उन्हें अभी तक किरदार में घुसना नहीं आया, लेकिन फिल्म में उनका अभिनय देखने के बाद इस बात से इत्तेफाक रखना जरा मुश्किल है. फिल्म में अजय देवगन एक बार फिर अपने दमदार अभिनय का परिचय दिया है. वहीं, राजा जी के किरदार में एक करप्ट सासंद के किरदार में पूर्णतया रम गए हैं. वहीं फिल्म में सबसे मजेदार अभिनय राजा जी की मां (पुष्प जोशी) का है. जितनी बार वो स्क्रीन पर आती हैं आपको किसी मजेदार डायलॉग का इंतेजार रहता है और वो आपको गुदगुदाने पर मजबूर कर देती हैं. इसके अलावा अजय की पत्नी के किरदार में इलियाना ने भी अच्छा काम किया है. साथ ही लल्लन के रोल में अमित सायल, राजा जी के भाई के किरदार में सानंद वर्मा और अमय की टीम में गायत्री अय्यर सभी ने बेहतरीन अभिनय किया है.
म्यूजिक - फिल्म का संगीत अमित त्रिवेदी ने दिया है. फिल्म में कुछ पुराने गीतों को फिर से रिक्रिएट किया गया है. जिसमें 'सानु एक पल चैन न आवे सजना तेरे बिना' और 'नित खैर मंगा सोणया में तेरी' जैसे गाने पहले ही लोगों की जुबान पर हैं. इन दोनों ही गीतों को राहत फतेह अली खान ने आवाज दी है. इसके अलावा रेड का थीम सॉन्ग सुखविंदर सिंह ने अपनी दमदार आवाज दी है.
क्यों देखें/ क्यों न देखें
- फिल्म की कहानी दिलचस्प है और अंत तक आपको बांधे रखने में कामयाब होती है. फिल्म आपको एक पल के लिए अकेला नहीं छोड़ती है.
- फिल्म में सभी किरदारों का अभिनय काबिल-ए-तारीफ है. ये कहना गलत नहीं होगा कि सभी किरदार एक से बढ़कर एक परफॉर्मेंस दे रहे हैं और बड़ी ही सहजता से आप उनसे जुड़ जाते हैं.
- फिल्म देखने के बाद आपको सरकारी महकमों में किस तरह काम होता है हमारे देश में ईमानदार होना कितना मुश्किल है ये बताता है. साथ ही ये भी संदेश देता है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है.
- फिल्म न देखने का कारण केवल ये है कि यदि आपको गंभीर और संस्पेंस टाइप की फिल्में पसंद नहीं है तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है.
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