Raj Kapoor Holi Party: जब राज कपूर ने ट्रांसजेंडर्स के साथ की होली पार्टी, पढ़ें 'सुन साहिबा सुन' गाने के पीछे की कहानी
Raj Kapoor: राज कपूर को शानदार होली पार्टी करने के लिए भी याद किया जाता है. हर साल होली के त्योहार पर उनकी पार्टी में दिग्गज सितारे जुटते थे. अपनी होली पार्टी में वह ट्रांसजेंडर्स को भी बुलाते थे.
Throwback: दिग्गज फिल्म निर्माता राज कपूर को यूं ही बॉलीवुड का शोमैन नहीं कहा गया. आलम यह है कि फैंस अब भी मानते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में राज कपूर से बेहतर दूसरा कोई और शख्स नहीं है, जिसे इस खिताब से नवाजा जाए. दरअसल, राज कपूर ऐसे फिल्म निर्माता थे, जिनकी मूवीज हमेशा समय से चार कदम आगे की होती थीं. उनकी तमाम फिल्मों में से एक 'राम तेरी गंगा मैली' को आज भी उसकी बेहतरीन स्टोरीलाइन और गानों के लिए याद किया जाता है.
ट्रांसजेंडर्स के बिना नहीं होती थी होली पार्टी
गौर करने वाली बात है कि राज कपूर को बॉलीवुड में शानदार होली पार्टी करने के लिए भी याद किया जाता है. हर साल होली के त्योहार पर उनकी पार्टी में दिग्गज सितारे जुटते थे. अपनी होली पार्टी में वह ट्रांसजेंडर्स को भी बुलाते थे. वह पार्टी में ट्रांसजेंडर्स के सामने अपनी फिल्मों के गाने बजाते और उनसे फीडबैक लेते थे.
गानों पर लेते थे खास सलाह
राम तेरी गंगा मैली के गानों के साथ भी उन्होंने यही प्रक्रिया अपनाई थी. आपको यह बात हैरान कर देगी कि उन्होंने फिल्म के एक गाने को सिर्फ इस वजह से रिजेक्ट कर दिया था, क्योंकि वह ट्रांसजेंडर्स को पसंद नहीं आया था. इसके बाद उन्होंने म्यूजिक कंपोजर रविंद्र जैन को रिजेक्ट हुए गाने की जगह नया गाना लिखने के लिए कहा. रविंद्र ने भी दिग्गज फिल्म निर्माता को निराश नहीं किया और ऐसा गाना लिख दिया, जो पीढ़ियों तक याद किया जाएगा. दरअसल, उन्होंने सुन साहिबा सुन गाना लिखा, जिसने ट्रांसजेंडर्स के दिलों को भी छू लिया.
इस तरह सजाया गया था सुन साहिबा सुन
लता मंगेशकर की सुरीली आवाज में इस गाने को फैंस ने खूब पसंद किया. वहीं, हसरत जयपुरी के दिल को छू लेने वाले बोल इस गाने का मुख्य आकर्षण बन गए. बता दें कि यह मजेदार किस्सा मशहूर फिल्म समीक्षक और लेखक जयप्रकाश चौकसे ने एक इंटरव्यू में सुनाया था.
ऐसा रहा राज कपूर का करियर
गौरतलब है कि राज कपूर को तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड के साथ लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया. उन्होंने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत 1945 में की थी, उस वक्त वह महज 10 साल के थे. इसके बाद उन्होंने 1947 में फिल्म नीलकमल में मधुबाला के साथ काम किया था. बाद में उन्होंने आरके स्टूडियो स्थापित किया, जिसकी पहली फिल्म 'आग' थी.