बॉलीवुड इंडस्ट्री के दिग्गज एक्टर और शो मैन राज कपूर ने हिंदी सिनेमा को कई बेहतरीन और यादगार फिल्में दी है. फिल्मों में सिर्फ एक्टिंग करना ही उनको पसंद नहीं था बल्कि फिल्में बनाना भी राज कपूर को बेहद पसंद था. उन्होंने अपने करियर में श्री 420, आवारा, संगम, बॉबी और सत्यम शिवम् सुन्दरम जैसी बहुत कमाल की फिल्में बनाई है. आज भी लोग उनकी इन फिल्मों को बड़ी ही चाव से देखते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हिंदी सिनेमा को उंचाईयों पर पहुंचाने वाले राज कपूर अधंविश्वासी थे. जी हां आपने सही सुना राज कपूर अपनी हर फिल्म के गानों को हिट करवाने के लिए किन्नरों की मदद लेते थे.


किन्नर से राज कपूर लेते थे फिल्मों के लिए सलाह


बॉलीवुड इंडस्ट्री में राज कपूर की होली पार्टी हमेशा ही चर्चा का विषय रही है. उनकी होली पार्टी में कई बड़े सितारे शामिल होते थे. लेकिन इनकी पार्टी को जो अलग बनाता था, वो है पार्टी में किन्नरों का शामिल होना. आर के स्टूडियो में दी जाने वाली हर होली पार्टी में सितारों के साथ किन्नर भी शामिल होते थे.


राज कूपर की फिल्मों के गाने किन्नर करते थे डिसाइड


बताया जाता है कि किन्नर पार्टी में तब आते थे जब वो अपने आखिरी पड़ाव पर होती थी. आखिर में आकर किन्नर पार्टी की शान बढ़ाते, नाचते-गाते और राज कपूर को रंग भी लगाते थे. और आपको जानकर हैरानी होगी कि इसके बाद राज कपूर ने उन्हें अपनी आने वाली फिल्म का गाना सुनाते और उनसे फिल्म में रखना चाहिए या नहीं ये पूछते थे.  



किन्नरों ने चुना राम तेरी गंगा मैली का गाना


ऐसा ही एक किस्सा तब हुआ जब राज कपूर की फिल्म 'राम तेरी गंगा मैली' आने वाली थी. तब भी राज कूपर के घर पार्टी हुई और उसमें किन्नर भी शामिल हुए. तभी राज कपूर ने उन्हें फिल्म का एक गाना सुनाया लेकिन वो गाना किन्नरों को पसंद नहीं आया.और उन्होंने राज कपूर को फिल्म से ये गाना हटाने के लिए कहा. इसके बाद फिर से किन्नरों को  रवीन्द्र जैन का गाना 'सुन साहिबा सुन' सुनाया गया, जो उन्हें बेहद पसंद आया था. गाने को सुनकर उन्होंने राज कपूर से कहा था कि ये  गाना सालों चलेगा. और उनकी ये बात सच भी शामिल हुई. आज भी ये गाना लोगों की जुबान पर रहता है.  


राज कपूर को मिले थे इतने अवार्ड


बता दें कि राज कपूर को भारतीय सिनेमा का 'ग्रेटेस्ट शौमेन’ कहा जाता है. उन्हें अपने करियर में 3 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और 11 फिल्मफेयर अवॉर्ड मिले थे. इसके साथ ही साल 1951 में आई उनकी फिल्म 'आवारा' और 1954 में रिलीज हुई फिल्म 'बूट पॉलिस' को कान्स फिल्म फेस्टिवल में गोल्डन पॉम पुरस्कार के लिए नामांकित भी  किया गया था.


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