Rajendra Kumar Birth Anniversary: फिल्मी दुनिया में आने वाले सभी की अपनी कहानी है. किसी को ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है तो किसी जल्दी सफलता मिल जाती है. हिंदी सिनेमा में कई बेहतरीन एक्टर्स आए लेकिन 'जुबली कुमार' के नाम से एक ही एक्टर को बुलाया जाता था जिसका नाम 'राजेंद्र कुमार' था. राजेंद्र कुमार को कम समय के लिए सफलता मिली लेकिन वो बेशुमार रही.


राजेंद्र कुमार ने शादी के बाद भी अफेयर किया, फिल्मों के जरिए सबसे अलग पहचान बनाई लेकिन जब अंतिम समय आया तो इलाज कराने से भी मना कर दिये. आज यानी 20 जुलाई को राजेंद्र कुमार की 95वीं बर्थ एनिवर्सरी मनाई जा रही है. इस मौके पर चलिए उनसे जुड़े कुछ किस्से बताते हैं.


कौन थे राजेंद्र कुमार?


20 जुलाई 1929 को राजेंद्र कुमार का जन्म ब्रिटिश इंडिया के सियालकोट (अब पाकिस्तान) में हुआ था. बंटवारे के पहले राजेंद्र कुमार के पिता का सियालकोट में कपडों का अच्छा बिजनेस सेटअप था. बंटवारे के बाद वो लोग पंजाब आ गए और यहां भी छोटा-मोटा बिजनेस जमा लिया.




बढ़ती उम्र से ही राजेंद्र कुमार एक्टर बनने का ख्याल बना चुके थे और एक दिन मौका मिला तो घर से 50 रुपये लेकर मुंबई भाग आए. यहां उन्होंने दर-दर की ठोकर खाई लेकिन काम नहीं मिला. कुछ लोगों से पहचान हुई तो फिल्म इंडस्ट्री में ही असिस्टेंट की नौकरी 150 रुपये महीने की सैलरी पर लगवा दी. 


राजेंद्र कुमार का संघर्ष और पहली फिल्म


रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजेंद्र कुमार ने स्पॉट बॉय के तौर पर भी काम किया और प्रोडक्शन के कुछ और भी काम किए लेकिन एक्टिंग करने का मौका उन्हें नहीं मिल पा रहा था. धीरे-धीरे राजेंद्र कुमार को डायरेक्टर एच.एस रावैल को असिस्ट करने का मौका मिल गया. लगभग 3 साल उन्हें असिस्ट करने के बाद उन्हें पहली फिल्म पतंगा (1949) मिली लेकिन इसमें उनका लीड रोल नहीं था.


प्रोड्यूसर देवेंद्र गोयल ने उन्हें नोटिस किया और फिर फिल्म वचन (1955) में कास्ट किया, उनकी ये फिल्म हिट हुई और लगभग 25 हफ्तों तक तक थिएटर्स में चली और ये राजेंद्र कुमार की पहली 'जुब्ली' फिल्म थी. इसके बाद उनकी दूसरी फिल्म ब्लॉकबस्टर रही जिसका नाम 'मदर इंडिया' (1957) था. इसके बाद राजेंद्र कुमार ने मुड़कर नहीं देखा.




राजेंद्र कुमार को क्यों कहते थे 'जुबली कुमार'?


राजेंद्र कुमार ने इसके बाद 'संगम', 'आरजू', 'आप आए बहार आई', 'गीत', 'मेरे महबूब', 'जिंदगी', 'धूल का फूल', 'तलाश', 'अंजान', 'ससुराल', 'आई मिलन की बेला', 'साथी' जैसी कई सुपरहिट फिल्में दीं. बताया जाता है कि राजेंद्र कुमार की कुछ फिल्में 25-25 हफ्ते थिएटर्स से नहीं उतरती थीं.


जिस एक्टर की सबसे ज्यादा फिल्मों का ऐला हाल रहा वो राजेंद्र कुमार इकलौते थे इसलिए उन्हें 'जुबली कुमार' कहा जाता था. लेकिन समय बदला और भी सितारे आए फिर राजेंद्र कुमार का समय डाउन होने लगा लेकिन फिर भी 80's के दशक तक उन्होंने बतौर एक्टर और डायरेक्टर काम किया.


राजेंद्र कुमार का अंतिम समय क्यों था दर्दनाक?


जिस दौर में राजेंद्र कुमार का डाउनफॉल आने लगा उसी दौर में राजेश खन्ना सफलता की सीढ़ी चढ़ रहे थे. डाउनफॉल के दौरान राजेंद्र कुमार को अपना लकी बंगला 'डिंपल' बेचना पड़ा. आपको जानकर हैरानी होगी कि राजेंद्र कुमार का बंगला राजेश खन्ना ने खरीदा था जिसका नाम 'आशीर्वाद' रखा गया था. दरअसल, राजेंद्र कुमार काफी वीक महसूस करने लगे थे और उनका हीमोग्लोबीन काफी कम होता जा रहा था, जांच करवाने पर पता चला कि उन्हें ब्लड कैंसर है.



साल 1997 के आस-पास राजेंद्र कुमार इलाज करवा-करवा कर थक गए थे और उन्होंने इलाज करवाने से भी मना कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, राजेंद्र कुमार दर्द में थे, परेशान थे लेकिन इलाज नहीं करवाते थे. फिर साल 1999 की 12 जुलाई को राजेंद्र कुमार को हार्ट अटैक आया और उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया.


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