Rajesh Khanna’s Life Intresting facts: ये राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की ‘आराधना’ ही थी कि जिंदगी के चढ़ते सूरज से ढलती शाम तक हर दौर को काका ने ‘आनंद’ से जिया. ‘कटी पतंग’ की तरह इनकी जिंदगी ने भी खूब हिचकोले लिए लेकिन मदमस्त होकर जीवन रूपी ‘अमृत’ य़े यूं ही पीते रहे. ये ‘इत्तेफाक’ ही था कि इनके आगे बड़े से बड़े स्टार की जगमगाहट भी फीकी पड़ती चली गई. काका की जिंदगी में कई ऐसे कई रंग हैं और यही रंग अब सुनहरे पर्दे पर दिखेंगे. राजेश खन्ना की बायोपिक (Rajesh Khanna Biopic) की बात चल रही हैं. किसी की जिंदगी पर फिल्म बनना कोई मामूली बात नहीं होती...ये मौका उन्हें ही मिलता है जिनकी जिंदगी रंगीन होती है. और काका की जिंदगी का तो हर मोड़ ही दिलचस्प था. फिर चाहे बात उनके स्टारडम से भरपूर करियर की हो या फिर उतार चढ़ाव से भरी निजी जिंदगी. इनकी जिंदगी की किताब के पांच पन्ने ऐसे हैं जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं तो. भला इन पर फिल्म क्यों ना बने. 


कुछ ऐसा थी बॉलीवुड में शुरुआत
कहते हैं राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था. थोड़े बड़े हुए तो एक्टिंग को ही करियर बनाने की ठान ली. सो चले आए थियेटर की दुनिया में. कुछ साल थियेटर करने के बाद इन्होंने बॉलीवुड की राह पकड़ी और इन्हें इनकी पहली फिल्म 1966 में मिली जिसका टाइटल था – आखिरी खत. भले ही उनकी पहली फिल्म कुछ खास नहीं चली लेकिन 3 साल बाद रिलीज आराधना ने उनकी जिदंगी बदलने का काम किया.


एक्टर से इस तरह बने सुपरस्टार
1969 में शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना आराधना फिल्म में नजर आए थे. यूं तो ये नायिका प्रधान फिल्म थी लेकिन राजेश खन्ना ने अपने चार्म की ऐसी छाप छोड़ी कि लोग उनके दीवाने हो गए. लड़कियां उनमें अपना ड्रीम ब्वॉय तलाशने लगी थीं. इस एक फिल्म ने ना जाने क्या जादू किया कि हर निर्देशक की पसंद राजेश खन्ना बन गए थे. राजेश खन्ना ने भी ये मौका हाथ से जाने नहीं दिया और एक के बाद एक दे डाली 15 हिट फिल्में. ये उनका स्टारडम ही था जो लोगों के सिर चढ़कर बोला. उस दौर में लोग अपने बच्चों का नाम राजेश ही रखने लगे थे.


कुछ ऐसा था राजेश खन्ना का स्टारडम
राजेश खन्ना उन अभिनेताओं में से एक थे जिन्हें जिंदगी को शान से जीना पसंद था. कपड़ों से लेकर रहन सहन तक. उनके स्टाइल पर लड़कियां फिदा थीं. कहते हैं उनकी कार तक को लड़कियां चूम लिया करती थीं.  कहने वाले तो कहते हैं ऐसा स्टारडम हिंदी सिनेमा में आज तक किसी और हीरो का देखने को नहीं मिला.    


उतार चढ़ाव से भरी निजी जिंदगी
जिस वक्त राजेश खन्ना 31 साल के थे उस वक्त उनका दिल 16 साल की डिंपल कपाड़िया पर आया. दोनों के बीच उम्र का बड़ा फासला था और उस दौर में तो ये फासला और भी गहरा माना जाता था. लेकिन ज़मान की परवाह छोड़ राजेश खन्ना ने डिंपल का हाथ थामा तो करियर को ताक पर रखकर डिंपल भी राजेश खन्ना की हो गईं. राजेश खन्ना की जिंदगी का ये पहलू इनके सफर को और भी दिलचस्प बना देता है. हालांकि ये शादी उतार चढ़ाव से भरी रही. कुछ साल तक साथ रहकर डिंपल कपाड़िया और राजेश खन्ना अलग हो गए. लेकिन अलग होकर भी ये रिश्ता कायम रहा. 


नायक से बने राजनेता
यूं तो फिल्मी दुनिया और राजनीति का आपस में ज्यादा लेना देना नहीं लेकिन राजेश खन्ना ने अपनी किस्मत यहां भी आज़माई. नई दिल्ली लोकसभा सीट से राजेश खन्ना सांसद रहे. उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थामा था. हालांकि कुछ साल बाद उन्होंने राजनीति को अलविदा कह दिया.  


यूं तो राजेश खन्ना की जिंदगी की किताब का हर पन्ना रोमांच पैदा करता है लेकिन इन पांच पन्नों में उनकी जिंदगी का सार निहीत है. 


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