बेहद शांत किस्म के व्यक्ति थे राजेश खन्ना लेकिन अंदाज शाही था: अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना की आज 75वीं जयंती है.
नई दिल्ली: बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार कहे जाने वाले राजेश खन्ना की आज 75वीं जयंती है. राजेश खन्ना उन बॉलीवुड स्टार्स में से हैं जिन्होंने एक साथ 15 हिट फिल्में देने का रिकॉर्ड बनाया था और आलम ये है कि आज तक भी कोई उनका ये रिकॉर्ड तोड़ नहीं पाया है. ऐसा कहा जाता है कि सही मायनों में स्टार्डम किसे कहते हैं ये उस दौर के स्टार्स ने राजेश खन्ना के स्टार्डन को देखकर समझा. शायद यही कारण है उस दौर में कई बड़े बॉलीवुड एक्टर्स के होने के बाद भी पहले सुपरस्टार की उपाधि सिर्फ राजेश खन्ना को मिली.
आज के महानायक भी राजेश खन्ना के स्टार्डम से अछूते नहीं है. ये कहना गलत नहीं होगा कि अमिताभ के एक्टर बनने में कहीं न कहीं राजेश खन्ना का भी बहुत बड़ा हाथ है. खुद अमिताभ बताते हैं, ''मैंने पहली बार राजेश खन्ना को फिल्म फेयर के कवर पर देखा था. उस वक्त वो फिल्म फेयर के एक कॉटेस्ट के विजेता थे और बाद में आगे चलकर मैंने भी इस कॉन्टेस्ट में आवेदन दिया था लेकिन वो खारिज हो गया था. दूसरी बार मैंने राजेश खन्ना को बड़े पर्दे पर फिल्म अराधना में देखा था. थिएटर में राजेश खन्ना को देखकर लोगों की प्रतिक्रिया बयां कर पाना बेहद मुश्किल था.''
अमिताभ काका से अपनी पहली मुलाकात का जिक्र करते हुए बताते हैं कि ''मेरी पहली मुलाकात महमूद ने राजेश खन्ना से करवाई थी उस दौरान उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया था. भले ही राजेश खन्ना के लिए ये रोज की बात होगी लेकिन उस वक्त मैं खुद को सम्मानित महसूस कर रहा था. इसके कुछ वक्त बाद ही मुझे फिल्म ''आनंद'' में काम करने का मौका मिला और मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं था.''
बिग बी कहते हैं कि राजेश खन्ना बेहद शांत किस्म के व्यक्ति थे लेकिन उनका अंदाज बेहद शाही था. शायद यही कारण था कि लोग उनकी तरफ खिंचे चले आते थे. उनकी ये सादगी ही लोगों को उनका दिवाना बना देती थी. आपको बता दें राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन ने एक साथ करीब 6 फिल्मों में साथ में काम किया था.
अमिताभ बच्चन ने पहली बार फिल्म आनंद में राजेश खन्ना के साथ फिल्म में काम किया था और वो इस दौरान का अनुभव जिंदगी की सीख बन गया. अमिताभ बताते हैं, ''मेरा फिल्मों में अनुभव काफी कम था लेकिन मैं खुशनसीब था कि मुझे राजेश खन्ना के साथ काम करने का मौका मिला था. आनंद में एक सीन था जिसमें मुझे राजेश खन्ना को मौत के बाद बोलने के लिए कहना था. जिस पर आकर मैं अटक गय़ा था. बहुत परेशान होकर मैं महमूद भाई के पास गया. मैंने उन्हें बताया कि इस एक सीन को करने का मैं कोई खास तरीका नहीं खोज पा रहा हूं तो उन्होंने मुझे एक सलाह दी, कि तुम राजेश खन्ना को सच में मरा हुआ समझो और तुम एक्टिंग कर पाओगे. मैं जानता था कि ये एक्टिंग का कोई पाठ नहीं था लेकिन ये राजेश खन्ना की मौजूदगी कितनी अहम है इस बात का एहसास दिलाता था. फिर हुआ भी ऐसा ही और फिल्म का वो सीन आसानी से फिल्मा लिया गया.''