चेन्नई: राजनीति में प्रवेश करने की सभी अटकलों पर विराम लगाते हुए आज तमिल अभिनेता रजनीकांत ने चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है. रजनीकांत ने अलग पार्टी बनाकर राज्य की सभी 234 सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान किया है. हालांकि उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी स्थानीय निकाय चुनाव में नहीं लड़ेगी.
रजनीकांत के ट्विटर की कुंडली: राजनीति से सिर्फ एक शख्स को फॉलो करते हैं
अपने प्रशंसकों के साथ छह दिन तक चलने वाले फोटो सेशन कार्यक्रम के पहले दिन उन्होंने कहा था कि वह राजनीति में प्रवेश को लेकर दुविधा में हैं क्योंकि वह इसके नियम कायदे जानते हैं. रजनीकांत के इस एलान के साथ ही उनके समर्थकों ने जश्न मनाना शुरु कर दिया है.
रजनीकांत के राजनीति में आने के क्या मायने हैं?
राजनीकांत का राजनीति में आना सिर्फ तमिलनाडु ही नहीं बल्कि देश की राजनीति में भी बड़ी हलचल माना जा रहा है. तमिलनाडु में जयललिता के निधन के बाद उनकी पार्टी AIADMK फिलहाल बिखरी हुई है. AIADMK में अभी पलानीसामी और दिनाकरन के दो गुट हैं. ऐसे में फिल्मों के भगवान माने जाने वाले रजनीकांत को राज्य में लोगों का समर्थन मिल सकता है.
रजनीकांत का झुकाव पीएम मोदी और बीजेपी की तरफ रहा है. ऐसे में बीजेपी रजनीकांत के सहारे तमिलनाडु में अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है.
लोकतंत्र बुरी स्थिति में- रजनीकांत
राजनीति में आने का एलान करने के बाद रजनीकांत ने कहा है, ‘’मैं निश्चित रूप से राजनीति में प्रवेश कर रहा हूं.’’ कर्त्तव्य करने और सबकुछ ईश्वर पर छोड़ देने संबंधी भगवद्गीता के एक श्लोक का हवाला देते हुए, रजनीकांत ने कहा, ‘‘यह समय की आवश्यकता है.’’ छह दिवसीय बैठक के समापन के मौके पर यहां अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए अभिनेता ने कहा कि वह अपनी एक राजनीतिक पार्टी बनायेंगे जो तमिलनाडु की सभी 234 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेंगी.''
रजनीकांत ने कहा कि पार्टी की शुरूआत विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उचित समय पर की जायेगी. रजनीकांत ने कहा कि पार्टी की नीतियों को आवाम तक ले जाया जायेगा और उनकी पार्टी का नारा सच्चाई, कड़ी मेहनत और विकास होगा. उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा करो, बोलो और केवल अच्छा होगा’’ मार्गदर्शक नारा होगा.
तमिलनाडु में जयललिता के निधन के कारण पैदा हुए राजनीतिक शून्य और डीएमके अध्यक्ष एम करूणानिधि की गिरती सेहत के कारण कम हुई उनकी सक्रियता को देखते हुए रजनी के राजनीति में प्रवेश का मुद्दा उठने लगा था.
रजनीकांत और राजनीति
पहले से ही रजनीकांत राजनीतिक बयानों के लिए जाने जाते रहे है. 1996 में रजनीकांत ने जयललिता के खिलाफ बयान दिया था, ‘’अगर जयललिता जीती तो भगवान् भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते.’’ रजनीकांत के इस बयान का ऐसा असर हुआ कि एआइएडीएमके को करारी हार झेलनी पड़ी.
साल 1998 के लोक सभा चुनाव में रजनीकांत ने बीजेपी को समर्थन दिया, लेकिन बावजूद इसके बीजेपी कोई कमाल नहीं कर पायी. उस वक़्त एआइएडीएमके ने 30 जबकि डीएमके ने 9 सीटें जीती थी. वहीं, साल 2004 में रजनीकांत ने अपने फैंस को पीएमके को वोट देने को कहा, लेकिन पीएमके एक भी सीट नहीं जीत पाई.