सुर सम्राज्ञी, सुर कोकिला और संगीत की देवी, भारत रत्न गायक लता मंगेशकर की आवाज के आगे ये सारे नाम छोटे पड़ जाते हैं, उनके जैसी महान गायिका न कोई थी, और न ही कोई अब तक हो पाई है. लता खुद में संगीत की पाठशाला है. शायद ही कोई ऐसा हो जो उनकी आवाज के जादू से अछूता होगा. बॉलीवुड में संगीत की दुनिया में उनका स्थान सबसे ऊपर आता है. बहुत कम लोग जानते होंगे कि खूबसूरत आवाज का जादू चलाने वाली लता मंगेशकर एक्टिंग भी किया करती थी. लेकिन एक बार शो मैन राजकपूर ने उन्हें अग्ली गर्ल कह दिया जिसके बाद वो कभी पर्दे पर दिखाई नहीं दी.
लता मंगेशकर 14 साल की उम्र से बॉलीवुड से जुड़ी हैं. शुरुआती दिनों में वो सिंगिंग के साथ-साथ कई फिल्मों में दोस्त, बहन या किसी छोटे-मोटे रोल में दिखाई देती थीं. लेकिन राजकपूर के बदसूरत लड़की कहने के बाद वो कभी फिल्मों में दिखाई नहीं दी यहां तक कि खुद राजकपूर ने उनकी फिल्म में काम करने के लिए लता से खूब मिन्नतें की फिर भी वो नहीं मानीं.
ये कहानी उस वक्त की है जब राजकपूर फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम बना रहे थे. ये फिल्म एक ऐसी लव स्टोरी पर आधारित थी जो तन की खूबसूरती से ज्यादा मन की खूबसूरती दर्शाती थी. इसके जरिए राजकपूर प्रेम और निस्वार्थ भाव को दिखाना चाहते थे. इसके लिए उन्हें एक ऐसी लड़की जरुरत थी, जिसकी आवाज बेहद सुरीली हो, जिसे सुनकर कोई भी दीवाना हो जाए लेकिन वो दिखने में बेहद साधारण सी हो.
1978 में राजकपूर ने इस फिल्म के लिए लता दीदी को अप्रोच किया. लता जी को फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई. वो इस फिल्म को करने के लिए राजी हो गई. इसी दौरान इस फिल्म को लेकर राजकपूर ने एक इंटरव्यू में कहा कि "आप एक पत्थर ले लीजिए, वो पत्थर तब तक ही पत्थर रहता है जब तक उस पर कोई धार्मिक निशान न हो, नहीं तो वो भगवान बन जाता है. ऐसे ही आप एक आवाज सुनते हैं और उसके दीवाने हो जाते हैं लेकिन बाद में पता चलता है कि वो एक बदसूरत लड़की की आवाज है." ये कहते ही राजकपूर रुक गए और उन्होंने इस शब्द को इंटरव्यू से हटाने के लिए कहा.
फिल्म की पब्लिसिटी के दौरान भी यही कहा गया कि लता जी को इस फिल्म के लिए इसलिए कास्ट किया गया है क्योंकि उनकी आवाज और चेहरे में विरोधाभास था. ये सुनकर लता भड़क उठीं और उन्होंने इस फिल्म को करने से इनकार कर दिया. राजकपूर ने उनके आगे खूब मिन्नतें की लेकिन वो नहीं मानी. इसके बाद राजकपूर ने उनसे फिल्म में गाना गाने की गुजारिश की पर लता दीदी नहीं मानी. कई बार मनाने के बाद वो सिर्फ टाइटल सॉन्ग गाने को तैयार हुईं, उन्होंने 'सत्यम शिवम सुंदरम' गाना गाया, जो आज उनके बेहतरीन गानों में से एक है. इसके बाद राजकपूर ने लता जी की जगह जीनत अमान को कास्ट किया.
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