नई दिल्ली: राजपूत करणी सेना ने पद्मावती को यू/ए प्रमाण-पत्र के साथ रिलीज की अनुमति देने के लिए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और सेंसर बोर्ड प्रमुख प्रसून जोशी की शुक्रवार को निंदा की और साथ ही फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की.
करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने मीडिया से यहां कहा, "मैं केंद्र सरकार से यह पूछना चाहता हूं कि इस फिल्म का समर्थन करके क्या लाभ मिलेगा? जिन सभी हिंदू पार्टियों से हमने हिंदुत्व के बारे में जाना है, वे सभी इस फिल्म पर शांत हैं."
उन्होंने कहा, "केंद्र सरकार इस फिल्म पर चुप्पी साधे हुए है, जबकि विदेशी कंपनी वायाकॉम 18 मोशन पिक्चर्स ने इस फिल्म का निर्माण नोटबंदी के दौरान किया था. जिस समय हमें 4,000 रुपये नहीं मिल पा रहे थे, उस समय संजय लीला भंसाली ने कैसे 160 से 180 करोड़ रुपये प्राप्त कर लिए."
उन्होंने कहा, "भंसाली को ब्रिटेन से (डेविड) भी हेडली के जरिए एक प्रमाण-पत्र मिला है. हेडली वर्तमान में जेल में है. मैं जानना चाहता हूं कि भंसाली जेल में क्यों नहीं हैं? उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए उनसे पूछताछ क्यों नहीं की जा रही है?"
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने पिछले सप्ताह भंसाली के निर्देशन में निर्मित विवादित फिल्म को प्रमाण-पत्र देने के अपने निर्णय की घोषणा की थी. साथ ही निर्माताओं को फिल्म का शीर्षक बदलने सहित उसमें पांच संशोधन करने के सुझाव दिए थे.
यह फैसला जोशी की उपस्थिति में एक विशेष समिति की बैठक के बाद लिया गया था. समिति में उदयपुर से अरविंद सिंह, इतिहासकार चंद्रमणि सिंह और जयपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर के.के. सिंह शामिल थे.
हालांकि, गोगामेड़ी ने कहा, "फिल्म 'पद्मावती' देखने के बाद अरविंद सिंह और के.के. सिंह ने कहा कि इस फिल्म से विरोध प्रदर्शन भड़क उठेंगे. इसके बावजूद, प्रसून जोशी ने फिल्म को हरी झंडी दे दी."
उन्होंने कहा, "यदि सीबीएफसी को खुद से निर्णय लेना था, तो उन्होंने हमारे समुदाय के लोगों को क्यों आमंत्रित किया? हम जल्द ही इस फिल्म के खिलाफ विरोध करेंगे और स्मृति ईरानी और प्रसून जोशी के पुतले जलाएंगे."
जोशी का कहना है कि विशेष समिति की भूमिका सिर्फ सलाह देने तक सीमित थी.