जब बॉलीवुड नवजात शिशु था, 107 साल पहले तब पहली बार भगवान श्रीराम ने बरसाई थी अपनी महिमा, जानें- बेहद दिलचस्प किस्सा
हिंदी सिनेमा का जन्म आज से 112 साल पहले हुआ था. इससे 5 साल बाद रामायण पर हिंदी सिनेमा की जो पहली फिल्म बनी उसने कई मामलों में रिकॉर्ड बनाए. फिल्म से जुड़ी ऐसी अनसुनी कहानिए हैं, जो आपको जानना चाहिए
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आज 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो गई है. पूरे देश का माहौल राममयी है. 1986-87 के आसपास जब दूरदर्शन में रामानंद सागर का टीवी शो रामायण आया था तब भी ऐसा ही माहौल था. शो जब टेलीकास्ट होता था, तब सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था. लेकिन ऐसा नहीं है कि रामायण पर बना ये शो ही रामायण की कहानी कहने वाला पहला है. इससे दशकों पहले बॉलीवुड में राम के जीवन पर फिल्म बन चुकी थी.
बॉलीवुड की पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' साल 1912 में आई. इस हिसाब से देखें तो 2024 तक बॉलीवुड 112 साल की उम्र का हो चुका है. और राम की महिमा बॉलीवुड पर 107 साल पहले से ही बरसनी शुरू हो गई थी. बॉलीवुड अभी 5 साल का बच्चा ही था कि दादा साहेब फाल्के ने भगवान राम के जीवन पर 'लंका दहन' नाम की एक फिल्म बनाई जो साल 1917 में रिलीज हुई थी. फिल्म ने 107 साल पहले भर-भरके कमाई की थी.
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कैसे आया था दादा साहेब फाल्के को रामायण पर फिल्म बनाने का आइडिया?
भारतीय फिल्मों के पितामह धुंडिराज गोविन्द फाल्के उर्फ दादा साहेब फाल्के की पहली और बॉलीवुड की भी पहली फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' रिलीज हुई तो दर्शकों के लिए ये एक अनोखा अनुभव था. फिल्म बनाने का जुनून दादा सेहब फाल्के के रम-रम में बसता था. बेशक उस जमाने में मूक फिल्में बनती थीं, लेकिन ये कमी होने के बावजूद दर्शकों को ये कमी नहीं लगती थी. क्योंकि उस समय तक दर्शकों को ये पता ही नहीं था कि फिल्मों में आवाज भी हो सकती है. इसी दौरान दादा साहेब एक बार विदेश गए और उन्होंने जीसस क्राइस्ट पर बनी फिल्म देखी, तो उन्हें आइडिया आया कि ऐसी कहानियां तो हमारे यहां भी हैं जिन्हें दर्शकों के बीच पहुंचाया जा सकता है. और दर्शक जिनसे जुड़ाव भी महसूस करेंगे. इसके बाद, उन्होंने 1913 में 'मोहिनी भस्मासुर' और फिर 1917 में 'लंका दहन' बनाई.
फिल्म से जुड़ी बहुत ही दिलचस्प बात
ये वो जमाना था जब फिल्मों में महिलाएं एक्ट करने से कतराती थीं. यही वजह रही कि इस फिल्म में जिस एक्टर ने राजा राम की भूमिका निभाई उन्होंने ही मां सीता का भी रोल निभाया. इस एक्टर का नाम अन्ना सालुंके था. ऐसा करते ही फिल्म इतिहास में एक रिकॉर्ड भी बन गया. दरअसल इस फिल्म के साथ अन्ना सालुंके पहले ऐसे अभिनेता बन गए जिन्होंने पहली बार डबल रोल निभाया था.
इसके अलावा, ये रिकॉर्ड भी आज तक नहीं टूटा कि हिंदी सिनेमा में किसी फिल्म ने इसके बाद महिला और पुरुष दोनों का रोल निभाया हो. राम के जीवन को एक फिल्म में दिखाना मुमकिन नहीं है. इसलिए, इस फिल्म की कहानी 14 साल के वनवास से शुरू हुई और रावण वध पर खत्म कर दी गई थी. उस जमाने में इस फिल्म में कुछ खास तरह के स्पेशल इफेक्ट भी इस्तेमाल किए गए थे. ये फिल्म सिर्फ 6 मिनट की थी.
फिल्म की कमाई
आईएमडीबी में दी गई जानकारी में इतिहासकार अमृत गंगर के हवाले से लिखा गया है कि फिल्म ने इतनी कमाई कर ली थी कि टिकट काउंटरों से सिक्कों को बोरियों में इकट्ठा किया जाता था और बैलगाड़ियों पर लादकर निर्माता के ऑफिस तक पहुंचाया जाता था. टिकट खिड़कियों पर लंबी-लंबी लाइनें लगती थीं. लोगों ने फिल्म को कुछ इस तरह से आत्मसात कर लिया था कि फिल्म देखने के लिए लोग जूते-चप्पल बाहर उतारकर और हाथ जोड़कर जाते थे.
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