नहीं रहे ऋषि कपूर: परिवार ने कहा- ‘अस्पताल में भी वह आखिर वक्त तक सभी का मनोरंजन करते रहे’
परिवार ने बताया कि डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का कहना है कि वह आखिर तक सभी का मनोरंजन करते रहे थे.परिवार ने कहा है कि हम उनके सभी फैंस और चाहने वालों से बस यही प्रथर्ना करते हैं कि वह इस समय में भी नियमों के पालन का ध्यान रखें.
नई दिल्ली: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ऋषि कपूर का आज कैंसर के चलते मुंबई के रिलायंस अस्पताल में निधन हो गया. पूरा देश ऋषि के निधन पर शोक में डूब गया है. वह सिर्फ 67 साल के थे. ऋषि कपूर के परिवार ने बताया कि उन्होंने बड़ी ही बहादुरी से करीब दो साल तक कैंसर से जंग लड़ी और अब इस दुनिया को अलविदा कह गए. ऋषि के निधन के बाद उनके परिवार ने जारी बयान में कहा है कि वह अस्पताल में भी आखिर वक्त तक सभी का मनोरंजन करते रहे.
ऋषि कपूर के परिवार का बयान-
‘’हम सबके प्यार ऋषि कपूर दो सालों तक ल्यूकेमिया से लड़ने के बाद आज सुबह 8.45 बजे अस्पताल में हम सब को छोड़कर चले गए. डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ का कहना है कि वह आखिर तक सभी का मनोरंजन करते रहे थे. वह कैंसर से चल रही लड़ाई के दो सालों में हमेशा दृढ़ निश्चय और जिंदादिल रहे थे. परिवार, दोस्त, खाना और फिल्में हमेशा उनके ध्यान में रही थीं और जो भी उनसे मिलता था ये देखकर दंग था कि आखिर वह इस बीमारी से जूझते हुए भी इस बीमारी को खुद पर हावी नहीं होने देते.
वह पूरी दुनिया से अपने फैंस के की तरफ से भेजे गए प्यार से अभिभूत थे. उनके इन आखिरी दिनों में हमें एक ही बात समझ आई कि वह चाहते हैं कि हम उन्हें हमेशा हंसते हुए और मुस्कुराहट के साथ ही याद रखें न कि आंसुओं के साथ. में व्यक्गित तौर पर क्षति हुई है. साथ ही हम समझते हैं कि पूरी दुनिया एक भयानक संकट से जूझ रही है. ऐसे में कई तरह की पाबंदियां हैं. हम उनके सभी फैंस और चाहने वालों से बस यही प्रथर्ना करते हैं कि वह इस समय में भी नियमों के पालन का ध्यान रखें और लो पाबंदियां लगी हैं उन्हें समझें. वह भी ऐसा ही चाहते होंगे.’’
67 साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा
बता दें कि ऋृषि कपूर का जन्म चार सितंबर 1952 को मुंबई में हुआ था. वह पृथ्वीराज कपूर परिवार में जन्मे थे. उनके पिता भी अभिनेता-निर्देशक राज कपूर थे. अपनी पहली ही फ़िल्म ‘मेरा नाम जोकर’ के लिए उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार ही मिला था. उन्हें ‘चिंटू’ के नाम से भी जाना जाता था. साल 2008 में उन्हें फ़िल्मफ़ेयर की ओर से लाइफ़टाइम अचीवमेंट पुरस्कार दिया गया था.
‘बॉबी’ फ़िल्म के उनके किरदार को काफ़ी पसंद किया जाता है. इसके अलावा उनकी ‘प्रेम रोग’, ‘नगीना’, ‘चांदनी’ जैसी पुरानी फ़िल्मों को भी पसंद किया जाता है. हाल ही में आईं उनकी फ़िल्में ‘मुल्क’, ‘दो दूनी चार’, ‘अग्निपथ’ और ‘102 नॉट आउट’ जैसी फ़िल्में भी काफ़ी पसंद की गईं थीं.