Uri- The Surgical Strike:  विकी कौशल अभिनीत फिल्म 'उरी:द सर्जिकल स्ट्राइक' बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हो रही है. उरी फिल्म एक राजनीतिक फिल्म से ज्यादा देशभक्ति फिल्म है जिसमें भारतीय सेना की शौर्य गाथा का जिक्र दिखता है. साल 2016 में भारतीय सेना ने देश में बढ़ रहे आतंकवाद और सेना की जवानों की शहादत का बदला पाकिस्तान के घर में घुसकर लिया था. फिल्म में परेश रावल का एक बेहद शानदार डायलॉग है जिसमें वो कहते हैं कि ये नया भारत है जो घर में घुसेगा भी और मारेगा भी.

आजादी के 70 साल में भारत की ये पॉलिसी रही है कि वो अपने पड़ोसी देशों के साथ दोस्ती पूर्ण संबंध रखने की हर संभव कोशिश करता है. साथ ही भारत की ये भी पॉलिसी रही है कि वो किसी भी देश पर पहला हमला नहीं करेगा. लेकिन जब आतंकियों ने साल 2016 में जम्मू कश्मीर के उरी सेना कैंप में घुसकर हमला किया तो देश के सब्र का बांध मानो टूट गया.

इस हमले के बाद जवानों की शहादत का बदला हर हाल में लेना जरूरी हो गया था और एक मजबूत देश होने के नाते भारत ने वही फैसला लिया जो उसे लेना चाहिए था. भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठीकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला लिया.

उरी हमले से उबला देश

हर आम सुबह की तरह 18 सितंबर 2016 की वो सुबह भी कुछ खास न होती अगर उस दिन सेना के कैंप पर वो हमला न हुआ होता. सुबह-सुबह करीब 4 से 5 बजे के करीब असले से लैस 4 आतंकी उरी सेना कैंप में दाखिल हुए और उन्होंने वो घिनौना कृत्य किया जिसने देश का खून खौला दिया.

प्रतीकात्मक तस्वीर

उस सुबह वो 4 आतंकी सेना की वर्दी पहने कैंप में दाखिल हुए और उन्होंने कैंप में रखे तेल के ड्रम को खाली किया और वहां सो रहे जवानों को सोते हुए ही जिंदा जला दिया. कैंप में सो रहे जवानों की चीख पुकार से हड़कंप मचा और सेना ने कड़े संघर्ष के बाद उन चारों आतंकियों को मार गिराया. लेकिन उन 4 आतकिंयों की मौत से हमारी सेना के 19 जवानों की निर्मम हत्या का बदला पूरा नहीं हो सकता था.

जैसे ही इस हमले की खबर मीडिया में सामने आई तो देश के हर नागरिक के मन में बदले की आग जल उठी. यही वो दौर था जिसने पीएम से लेकर सेना और आम आदमी सभी को झकझोर कर रख दिया. इस हमले के बाद अब भारत अपने जवानों की शहादत का बदला लेना चाहते था.

10 दिन में तैयार की सर्जिकल स्ट्राइक की रणनीति

उरी के सेना कैंप पर हमला 18 सिंतबर को हुआ था और सेना ने इसके ठीक 10 दिन बाद यानी 28 सिंतबर की रात को सर्जिकल स्ट्राइक की थी. सेना ने बेहद कम समय में इस बड़ी जिम्मेदारी को पूरा किया था.

उरी हमले के बाद पाकिस्तान को कड़े शब्दों में जवाब देना भी जरूरी था . देश की सेना के मोरल के लिए भी ये लड़ाई बेहद जरूरी थी. इसी के बाद भारत सरकार ने फैसला लिया कि अब चुप नहीं बैठा जा सकता. पीएम मोदी ने खुद इस बात का खुलासा किया कि सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ चुनिंदा लोगों के सुझावों के बाद सर्जिकल स्ट्राइक का निर्णय लिया गया. बता दें कि इस फैसले में देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अहम भूमिका निभाई थी.



पीएम मोदी ने खुलासा किया कि उन्होंने सेना को इस स्ट्राइक के लिए खुली छूट दी थी. उरी हमले के बाद सेना को सिर्फ 10 दिनों में दूसरे देश में जाकर आतंकी ठिकानों को तबाह करके आना था जो कि काफी जोखिम भरा काम था.

सरकार की ओर से सेना को अपनी रणनीति बनाने, टीम को चुनने और अहम फैसले लेने की खुली छूट दी गई थी. लेकिन इसमें एक शर्त रखी गई थी कि 28 -29 सितंबर की दरमियानी रात में होने वाली सर्जिकल स्ट्राइक को एक निश्चित समय में पूरा करना होगा. उस रात सूर्यउदय से पहले सेना को देश वापस लौट आना होगा. मिशन सफल रहे या विफल लेकिन हमारी सेना के किसी जवान को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए.

पीएम के इस फैसले के बाद सेना के जवानों ने अपने शहीद भाइयों का बदला लेने के लिए एक बार फिर अपनी जान दांव पर  लगाई और दुश्मन के घर में घुसकर उसके आतंकी ठिकानों को तबाह करके आए. इस मिशन की खास बात ये रही कि सेना के जवानों ने इस मिशन को उन्हीं शर्तों के तहत पूरा किया गया जो पीएम ने उनके सामने रखी थी. इस मिशन में हमारी सेना का एक जवान घायल जरूर हुआ था लेकिन बिना किसी जवान की शहादत के सेना ने दुश्मन के घर में घुसकर शहीदों का बदला लिया था.

सर्जिकल स्ट्राइक की कहानी PM मोदी की जुबानी